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डॉक्टरों का कमाल! डेढ़ साल की उम्र महज 6 किलो वजन, सफल हाइब्रिड सर्जरी से बंद किया दिल में बना 16 एमएम की छेद

मध्य भारत में हुई पहली सफल हाइब्रिड सर्जरी माना जा रहा है. इस तकनीक की मदद से महज 6 किलो के मासूम के दिल के 16 एमएम से बड़े छेद को बंद किया गया. जबलपुर के मेट्रो हॉस्पिटल में बच्चे की सफल हाईब्रिड हार्ट सर्जरी की गई.

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Published : Oct 21, 2021, 8:00 PM IST

Updated : Oct 21, 2021, 9:53 PM IST

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डॉक्टरों का कमाल!

जबलपुर। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में रहने वाले एक डेढ़ साल के बच्चे की हाइब्रिड तरीके से हार्ट सर्जरी की गई. इसे मध्य भारत में हुई पहली सफल हाइब्रिड सर्जरी माना जा रहा है. इस तकनीक की मदद से महज 6 किलो के मासूम के दिल के 16 एमएम से बड़े छेद को बंद किया गया. जबलपुर के मेट्रो हॉस्पिटल में बच्चे की सफल हाईब्रिड हार्ट सर्जरी करने वाले डॉक्टरों का कहना था कि इस छेद की वजह से ही बच्चे को कई तरह की बीमारियां हो रहीं थी. अब बच्चा तेजी से रिकवरी कर रही है.

डॉक्टरों का कमाल!

डॉक्टर बोले 6 किलो के बच्चे का ऑपरेशन करना संभव नहीं था
मासूम बच्चे की हार्ट सर्जरी से जुड़े डॉक्टरों के मुताबिक महज डेढ़ साल की उम्र और 6 किलो वजन ऐसे में दिल के छेद के बंद करने का ऑपरेशन एक बहुत बड़ी चुनौती थी. ऑपरेशन में बच्चे की जान का भी खतरा बना हुआ था. ऐसे में डॉक्टरों के पास दो विकल्प थे एक था कि लेजर ऑपरेशन से पैर की नस कि जरिए एक छल्ला बनाकर उसके हार्ट के छेद को बंद किया जाए, तो वही दूसरा विकल्प था ओपन हार्ट सर्जरी, लेकिन बच्चे के दिल का वह छेद ऐसी निचली और मुश्किल जगह पर था जहां पर ओपन हार्ट सर्जरी करने में बहुत ही परेशानी जाती और बच्चे के फेफड़े पर भी बहुत प्रेशर बनता जिसके उसकी जान भी जा सकती थी.

जब नए तरीके से ऑपरेशन करने का लिया फैसला
महज डेढ़ साल के बच्चे के दिल का इतना बड़ा छेद बंद करना और बच्चे का सकुशल इलाज करना. डॉक्टरों के लिए एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन डॉक्टर्स तय कर चुके थे कि हर हाल में बच्चे की जान बचाना है. इसके लिए डॉ. एल.उमामहेश्वर, डॉ. सुनील जैन, डॉ. दिलीप तिवारी, डॉ. अमजद अली, डॉ. विनीत चावला और कार्डियक टीम ने निर्णय लिया कि क्यों ना बच्चे के ऑपरेशन के लिए एक नया तरीका इजाद किया जाए. जिसके बाद हाइब्रिड सर्जरी करने का फैसला लिया गया.

छतरी नुमा छल्ला बच्चे के दिल में किया गया फिट
मेट्रो हॉस्पिटल के डॉ.एल उमामहेश्वर और उनकी टीम ऑपरेशन के लिए जिस तरीके को अपनाने जा रही थी वह बहुत रिस्की था, लेकिन दो हिस्सों में इस ऑपरेशन को करने की तैयारी की गई. बच्चे के ऑपरेशन के लिए आधा काम सर्जन ने किया और आधा काम कार्डियक टीम ने किया. सर्जन टीम ने जहां बच्चे की हार्ट को सर्जरी कर बाहर निकाला तो वहीं कार्डियो टीम ने डायरेक्टर छल्ला लगाकर उसे ऑपरेट कर दिल के छेद को बंद कर दिया.

मध्य भारत का पहला जटिल सफल ऑपरेशन
महज डेढ़ साल की उम्र और 6 किलो वजन के बच्चे की सफल हाइब्रिड हार्ट सर्जरी कर दिल में बने 16 एमएम के छेद को बंद करना अपने आप काफी सफल ऑपरेशन माना जा रहा है. साथ ही इसे मध्य भारत का पहला ऐसा जटिल ऑपरेशन भी बताया जा रहा है जो इससे पहले कभी नहीं हुआ. एक्सपर्ट का कहना है कि अभी तक इस तरह की सुविधा देश में चेन्नई, नई दिल्ली, हैदराबाद और अहमदाबाद में ही मौजूद है लेकिन अब मध्यप्रदेश के जबलपुर में भी इस तरह का ऑपरेशन होना यह प्रदेश के लिए खुशी की बात है.


पूरी तरह से निशुल्क हुआ ऑपरेशन
बच्चे के परिवार वालों के आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होने पर मेट्रो हॉस्पिटल प्रबंधन ने केंद्र सरकार की योजना के तहत बच्चे का निशुल्क ऑपरेशन किया है. डॉक्टरों के मुताबिक इस तरह के ऑपरेशन में करीब 5 लाख रु का खर्च आता है, लेकिन जबलपुर के मेट्रो अस्पताल में यह ऑपरेशन फ्री ऑफ कॉस्ट किया गया है.

जबलपुर। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में रहने वाले एक डेढ़ साल के बच्चे की हाइब्रिड तरीके से हार्ट सर्जरी की गई. इसे मध्य भारत में हुई पहली सफल हाइब्रिड सर्जरी माना जा रहा है. इस तकनीक की मदद से महज 6 किलो के मासूम के दिल के 16 एमएम से बड़े छेद को बंद किया गया. जबलपुर के मेट्रो हॉस्पिटल में बच्चे की सफल हाईब्रिड हार्ट सर्जरी करने वाले डॉक्टरों का कहना था कि इस छेद की वजह से ही बच्चे को कई तरह की बीमारियां हो रहीं थी. अब बच्चा तेजी से रिकवरी कर रही है.

डॉक्टरों का कमाल!

डॉक्टर बोले 6 किलो के बच्चे का ऑपरेशन करना संभव नहीं था
मासूम बच्चे की हार्ट सर्जरी से जुड़े डॉक्टरों के मुताबिक महज डेढ़ साल की उम्र और 6 किलो वजन ऐसे में दिल के छेद के बंद करने का ऑपरेशन एक बहुत बड़ी चुनौती थी. ऑपरेशन में बच्चे की जान का भी खतरा बना हुआ था. ऐसे में डॉक्टरों के पास दो विकल्प थे एक था कि लेजर ऑपरेशन से पैर की नस कि जरिए एक छल्ला बनाकर उसके हार्ट के छेद को बंद किया जाए, तो वही दूसरा विकल्प था ओपन हार्ट सर्जरी, लेकिन बच्चे के दिल का वह छेद ऐसी निचली और मुश्किल जगह पर था जहां पर ओपन हार्ट सर्जरी करने में बहुत ही परेशानी जाती और बच्चे के फेफड़े पर भी बहुत प्रेशर बनता जिसके उसकी जान भी जा सकती थी.

जब नए तरीके से ऑपरेशन करने का लिया फैसला
महज डेढ़ साल के बच्चे के दिल का इतना बड़ा छेद बंद करना और बच्चे का सकुशल इलाज करना. डॉक्टरों के लिए एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन डॉक्टर्स तय कर चुके थे कि हर हाल में बच्चे की जान बचाना है. इसके लिए डॉ. एल.उमामहेश्वर, डॉ. सुनील जैन, डॉ. दिलीप तिवारी, डॉ. अमजद अली, डॉ. विनीत चावला और कार्डियक टीम ने निर्णय लिया कि क्यों ना बच्चे के ऑपरेशन के लिए एक नया तरीका इजाद किया जाए. जिसके बाद हाइब्रिड सर्जरी करने का फैसला लिया गया.

छतरी नुमा छल्ला बच्चे के दिल में किया गया फिट
मेट्रो हॉस्पिटल के डॉ.एल उमामहेश्वर और उनकी टीम ऑपरेशन के लिए जिस तरीके को अपनाने जा रही थी वह बहुत रिस्की था, लेकिन दो हिस्सों में इस ऑपरेशन को करने की तैयारी की गई. बच्चे के ऑपरेशन के लिए आधा काम सर्जन ने किया और आधा काम कार्डियक टीम ने किया. सर्जन टीम ने जहां बच्चे की हार्ट को सर्जरी कर बाहर निकाला तो वहीं कार्डियो टीम ने डायरेक्टर छल्ला लगाकर उसे ऑपरेट कर दिल के छेद को बंद कर दिया.

मध्य भारत का पहला जटिल सफल ऑपरेशन
महज डेढ़ साल की उम्र और 6 किलो वजन के बच्चे की सफल हाइब्रिड हार्ट सर्जरी कर दिल में बने 16 एमएम के छेद को बंद करना अपने आप काफी सफल ऑपरेशन माना जा रहा है. साथ ही इसे मध्य भारत का पहला ऐसा जटिल ऑपरेशन भी बताया जा रहा है जो इससे पहले कभी नहीं हुआ. एक्सपर्ट का कहना है कि अभी तक इस तरह की सुविधा देश में चेन्नई, नई दिल्ली, हैदराबाद और अहमदाबाद में ही मौजूद है लेकिन अब मध्यप्रदेश के जबलपुर में भी इस तरह का ऑपरेशन होना यह प्रदेश के लिए खुशी की बात है.


पूरी तरह से निशुल्क हुआ ऑपरेशन
बच्चे के परिवार वालों के आर्थिक रूप से सक्षम नहीं होने पर मेट्रो हॉस्पिटल प्रबंधन ने केंद्र सरकार की योजना के तहत बच्चे का निशुल्क ऑपरेशन किया है. डॉक्टरों के मुताबिक इस तरह के ऑपरेशन में करीब 5 लाख रु का खर्च आता है, लेकिन जबलपुर के मेट्रो अस्पताल में यह ऑपरेशन फ्री ऑफ कॉस्ट किया गया है.

Last Updated : Oct 21, 2021, 9:53 PM IST
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