जबलपुर। एक अपराधिक प्रकरण में दो एफआईआर दर्ज कर ट्रायल कोर्ट के समक्ष पृथक-पृथक अभियोजन पत्र दायर करने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू की एकलपीठ ने एक ही ट्रायल करने के निर्देश जारी किए हैं. एकलपीठ ने दूसरी एफआईआर को प्रकरण में पूर्वक अभियोजक मानने के निर्देश दिए हैं. (Two FIRs registered on one crime in Jabalpur)
आरटीआई कार्यकर्ता पर हमला: होशंगाबाद निवासी कृष्ण कुमार रूसिया की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वे एक आरटीआई कार्यकर्ता हैं. नगर निगम होशंगाबाद से गृह आवंटन के संबंध में उसने आरटीआई के तहत सूचना मांगी थी, जिसके संबंध में जानकारी समाचार के जरिए मिली थी. समाचार से आक्रोशित होकर स्थानीय दबंग नेता ने उन पर हमला कर दिया था. शिकायत पर पुलिस ने अपराधियों के खिलाफ अजमानतीय मामला दर्ज किया था. याचिकाकर्ता के विरुद्ध भी राजनैतिक दबाववश एफआईआर दर्ज की गई थी.
एफआईआर के आरोपियों की जमानत निरस्त: विचारण न्यायालय ने याचिकाकर्ता की एफआईआर के आरोपियों की जमानत निरस्त करते हुए तख्ल टिप्पणी की थी कि पुलिस प्रशासन खुद न्यायालय बन गए हैं. न्यायालय की उक्त टिप्पणी के 4 दिन बाद पुरानी घटना पर 5 महीने बाद दूसरी एफआईआर दर्ज कर ली गई. इसके पूर्व उसी व्यक्ति ने सीएम ऑनलाइन में दूसरी एफआईआर दर्ज नहीं किए जाने के संबंध में एफआईआर दर्ज की थी, जो निरस्त कर दी गई थी. (Jabalpur High Court News)
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जांच अधिकारी को मिला दंड: एसपी और आईजी ने भी जांच में पाया था कि एक ही मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है. इस वजह से उन्होने जांच अधिकारी को दण्डित किया था. लोक अभियोजक ने भी मामले की खारिजी की अनुशंसा की, लेकिन राजनैतिक दबाव की वजह से याचिकाकर्ता के विरुद्ध दूसरी प्राथमिकी में अभियोग पत्र प्रस्तुत कर दिया गया, जो अनुच्छेद 21 का हनन है. याचिका का निराकरण करते हुए एकलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए. याचिकाकर्ता की अधिवक्ता असीम त्रिवेदी, पंकज तिवारी, रीतेश शर्मा ने पैरवी की.