जबलपुर। निर्विरोध निर्वाचित एक पंच का चुनाव रद्द करने के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है. कोर्ट ने पूछा है कि क्या आयोग को यह अधिकार है कि वह पंच के निर्वाचित होने के बाद उसका चुनाव रद्द कर दे. हाई कोर्ट में यह याचिका धूमा ग्राम पंचायत के पंच गोविंद साहू ने दायर की है. याचिका में कहा गया है कि वो निर्विरोध पंच चुन लिए गए थे ,लेकिन बाद में चुनाव आयोग ने पंचायत चुनाव निरस्त करते हुए उनका निर्वाचन भी रदद् कर दिया. इस मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और चुनाव आयोग दोनों से 4 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है. आयोग का जवाब आने के बाद ही मामले पर अगली सुनवाई की जाएगी.
नाबालिग को रेप के बाद जिंदा दफनाने वाले आरोपी को तिहरा आजीवन कारावास
एक 14 वर्षीय बालिका को दुष्कर्म के बाद जिंदा दफनाने वाले आरोपी को कोर्ट तिहरा आजीवन कारावास (triple life imprisonment for rape the victim की सजा सुनाई है. बैतूल में विशेष न्यायाधीश(पॉक्सो एक्ट)रेखा आर. चन्द्रवंशी ने सारणी थाना क्षेत्र के अंतर्गत 14 वर्ष की अनुसूचित जाति की बालिका के साथ बलात्कार कर हत्या करने, प्राणघातक चोटें पहुंचाने वाले आरोपी आरोपी सुशील वर्मा (37)को तिहरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. आरोपी को धारा 376 (3) में आजीवन कारावास एवं 5000 रुपये जुर्माना, धारा 307 में आजीवन कारावास एवं 5000 रुपये जुर्माना, धारा 5 (आर)/6 पॉक्सो एक्ट में आजीवन कारावास एवं 5000 जुर्माना से दंडित किया गया है.
यह था मामला
प्रकरण की जानकारी देते हुए मीडिया सेल प्रभारी सौरभ सिंह ठाकुर ने बताया कि 18.01.2021 को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र घोड़ाडोंगरी में पीड़िता की बड़ी बहन ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी. उसने बताया कि उसकी 14 वर्षीय छोटी बहन (पीड़िता) घटना दिनांक 18.01.2021 को शाम 5.30 बजे अपने खेत में मोटर बंद करने गई थी जो वापस नहीं आई. तब वह तथा उसके पिता एवं बड़ी बहन खेत तरफ देखने गए तो वह खेत के पास वाले नाले के पास गड्डे के अंदर पड़ी थी. उसके सिर पर चोट थी और खून बह रहा था. कपड़े भी अस्त-व्यस्त थे. जब पीड़िता से पूछताछ की गई तो पीड़िता ने बताया कि पड़ोसी सुशील वर्मा ने उसके साथ बलात्कार किया और मारपीट की.इस मामले में थाना सारणी में धारा 376 (3) 323, 324, 3/4 पॉक्सो एक्ट एवं 3(1) (डब्ल्यू) (1), 3 (2) (व्ही) (ए) एससी/एसटी एक्ट का प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था. न्यायालय ने घटना के लगभग 13 माह के भीतर अभियुक्त को दण्डित किया है.आरोपी के उपर अधिरोपित 15000 रुपये के अर्थदण्ड में से 10000 रुपये पीड़िता को दिलाया गया है.
विद्युत नियामक आयोग को नोटिस
हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के खिलाफ नोटिस जारी किया है. मामला बिजली कंपनियों को बिजली के दाम बढ़ाने की टैरिफ याचिका पेश करने के निर्देश देने का है. याचिका को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. निर्मल लोहिया नाम के एक वकील ने हाई कोर्ट में यह याचिका दायर की है.याचिका में कहा गया है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के प्रावधानों के तहत नियामक आयोग या तो बिजली कंपनियों की याचिका खारिज करेगा यह स्वीकार करेगा उसे कोई तीसरा आदेश देने का अधिकार नहीं है. याचिका में यह भी कहा गया है कि बीती 15 दिसंबर को आयोग ने दाम बढ़ाने की बिजली कंपनियों के टैरिफ याचिका को तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया था, लेकिन साथ ही कंपनियों को नई याचिका दायर करने के लिखित आदेश दे दिए थे. जिसके कुछ दिन बाद बिजली कंपनियों ने दाम बढ़ाने की नई टैरिफ पिटीशन दायर कर दी. मंगलवार को इस पूरे मामले में सुनवाई हुई जिसके बाद हाईकोर्ट ने नियामक आयोग को नोटिस जारी कर दो हफ्तों में जवाब मांगा है.
कार्यपालन यंत्री को निलंबित करने के आदेश
हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने दतिया के लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री एमके उदैनिया को निलंबित करने के आदेश दिए हैं. हाई कोर्ट ने यह आदेश कार्यपालन यंत्री उदैनिया के कोर्ट को मिसलीड करने के मामले में दिए हैं. ग्वालियर के एक ठेकेदार रविकांत बंसल ने दतिया में हाईवे के निर्माण के लिए पिछले साल अक्टूबर महीने में टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिया था, लेकिन कार्यपालन यंत्री उदैनिया ने उनका टेंडर निरस्त कर दिया था क्योंकि उन्होंने ठेकेदार पर 2020-21 की बैलेंस शीट पेश नहीं करने का आरोप लगाया था. टेंडर निरस्त करने पर ठेकेदार रविकांत बंसल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. जिसपर कोर्ट ने पिछले दिनों सरकार से जवाब तलब किया था. सरकार ने अपने जवाब में कहा कि टेंडर प्रक्रिया में शामिल होने के लिए बैलेंस शीट के प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है.
जब ठेकेदार रविकांत बंसल ने हाईकोर्ट में अपना टेंडर निरस्त करने के कार्यपालन यंत्री के फैसले को चुनौती दी तब भी उन्होंने कोर्ट में भी गलत जानकारी देकर उसे गुमराह करने की कोशिश की. इस मामले में मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ एवं न्यायमूर्ति एमआर फड़के की डिवीजन बेंच ने लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री एमके उदैनिया पर अपने दायित्वों का निर्वाहन ठीक प्रकार से नहीं करने पर और कोर्ट में गलत जानकारी देने पर उन्हें निलंबित करने के आदेश दिए हैं.
सरकार ने नहीं दी भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति
मप्र हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया गया है कि भ्रष्टाचार में मामलों से जुड़े अधिकारियों व कर्मियों के खिलाफ शासन ने अब तक अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी गई और न ही चालान पेश किया गया है. जस्टिस शील नागू व जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की डबल बेंच के सामने पूर्व के आदेश के परिपालन में आवेदक की ओर से एक अंतरिम आवेदन पेश कर मप्र शासन के मुख्य सचिव, गृह विभाग व सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को भी पक्षकार बनाने की अनुमति मांगी गई थी. जिसे न्यायालय ने स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई 2 मार्च को निर्धारित की है.
यह जनहित याचिका मंडला निवासी पत्रकार मुकेश श्रीवास की ओर से दायर की गई है. जिसमें कहा गया है कि साल 2012 से भ्रष्ट आचरण में लिप्त अधिकारी व कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई होने के बावजूद भी अब तक उनके खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी गई है. आवेदक का कहना है कि करीब पांच सौ से अधिक अधिकारी व कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं तो इतने ही अधिकारी व कर्मचारी कार्यरत हैं. जिनमें कई आईएएस व आईपीएस अधिकारी भी हैं. आवेदक का कहना है कि संबंधित विभागों की ओर से विधि एवं विधायी विभाग के समक्ष आवेदन कर लोक अभियोजन की स्वीकृति चाही गई, लेकिन की साल बीत जाने के बावजूद स्वीकृति प्रदान नहीं की गई, जिससे प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर है और उस पर अकुंश लगाना असंभव है. मामले में मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान आवेदक की ओर से उक्त अनावेदकों को पक्षकार बनाने संबंधी आवेदन पेश किया गया, जिसे न्यायालय ने स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई 2 मार्च को निर्धारित की है.