जबलपुर: एक सामाजिक संस्था ने केंद्र सरकार के पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले 8 फीसदी सेस के उपयोग को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी है. यह सेस सेंट्रल रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड एक्ट के तहत सन 2000 से पेट्रोल एवं डीजल पर लगाया जा रहा है. इससे होने वाली आय को केंद्र सरकार द्वारा रोड इंफ्रास्ट्रक्चर, ब्रिज निर्माण और रेलवे के निर्माण में खर्च किया जाता था.
साल 2018 में सेंट्रल रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड एक्ट में परिवर्तन कर दिया गया. इस संशोधन के बाद 8 फीसदी सेस की आय को सोशल और कमर्शियल इंफ्रास्ट्रक्चर में भी खर्च करने का प्रावधान कर दिया गया, जिसके बाद पेट्रोल-डीजल से होने वाली इस 8 फीसदी आय को खेल, हॉस्पिटल, टैक्सटाइल पार्क के साथ ही अन्य मदों में खर्च करने का प्रावधान कर दिया गया.
एक्ट में परिवर्तन असंवैधानिक
याचिकाकर्ता का कहना है कि सेस का उपयोग किसी दूसरे मद में करना असंवैधानिक है.उन्होंने यह तथ्य भी अदालत के समक्ष रखा कि सेस का मूल स्वरूप यही था कि इससे होने वाली आय को रोड निर्माण और उसके रख रखाव पर खर्च किया जाएगा. लेकिन अब जब 2018 में संशोधन कर लिया गया है. जिसके बाद उसका उपयोग व्यावसायिक गतिविधियों में भी किया जाना है, जो एक्ट की मूल अवधारणा का उल्लंघन करता है. मामले की प्राथमिक सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए चार हफ्तों में जवाब तलब किया है.