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MP High Court News : तथ्य छिपाकर जनहित याचिका लगाना पड़ा महंगा, उच्च न्यायालय ने लगाया एक लाख रुपये का जुर्माना - एमपी हाईकोर्ट न्यूज़

जबलपुर उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका में तथ्यों को जानबूझकर छिपाने के मामले को कानून का दुरुपयोग बताते हुए एक लाख रुपये का जुमार्ना लगाकर याचिका को खारिज कर दिया. ( MP High Court News )

MP High Court imposed penalty for hiding facts while filing public interest litigation
उच्च न्यायालय ने लगाया एक लाख रुपये का जुर्माना
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Published : Jan 17, 2022, 9:46 AM IST

जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर उच्च न्यायालय में तथ्यों को छिपाकर जनहित याचिका लगाना राम लल्लू वैश्य को महंगा पड़ गया. उन पर मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और न्यायाधीश पुष्पेंद्र कुमार कौरव की युगल पीठ ने एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. साथ ही जनहित याचिका को भी निरस्त कर दिया है.

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क्या था मामला ?

बताया गया है कि सिंगरौली जिले के मधोली ग्राम निवासी राम लल्लू वैश्य की ओर से उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई थी. वैश्य की ओर से अधिवक्ता के के सिंह ने पक्ष रखते हुए दलील दी कि कोल इंडिया व नॉर्दर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड मिलकर उसकी जमीन पर अवैध रूप से कोयला उत्खनन कर रहे हैं, इसे रोका जाए.

झूठा शपथपत्र लगाया
न्यायालय में सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता अंकित अग्रवाल ने बताया कि इस सम्बंध में याचिकाकर्ता व कोयला कंपनियों के बीच पुराना विवाद है. इसे लेकर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में तीन याचिकाएं लम्बित हैं. वहीं याचिकाकर्ता ने याचिका में शपथपत्र पर उल्लेख किया है कि इस सम्बंध में किसी भी न्यायालय में कोई मामला विचाराधीन नहीं है न ही दायर किया गया.

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MP हाईकोर्ट ने तथ्यों को छिपाने के लिए लगाया 1 लाख का जुर्माना
इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश की युगल पीठ ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से अन्य याचिकाओं के बारे में पूछा तो उन्होंने न्यायालय के संज्ञान में न लाने पर माफी भी मांगी. इस पर न्यायालय ने कहा कि यह ऐसी परिस्थिति नहीं है कि क्षमायाचना स्वीकार की जा सके. कोर्ट ने कहा कि तथ्यों को जानबूझकर छिपाया गया है और ये कानून का दुरुपयोग है.
(MP High Court imposed penalty for hiding facts) (MP High Court News)

(इनपुट-आईएएनएस)

जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर उच्च न्यायालय में तथ्यों को छिपाकर जनहित याचिका लगाना राम लल्लू वैश्य को महंगा पड़ गया. उन पर मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और न्यायाधीश पुष्पेंद्र कुमार कौरव की युगल पीठ ने एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. साथ ही जनहित याचिका को भी निरस्त कर दिया है.

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क्या था मामला ?

बताया गया है कि सिंगरौली जिले के मधोली ग्राम निवासी राम लल्लू वैश्य की ओर से उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई थी. वैश्य की ओर से अधिवक्ता के के सिंह ने पक्ष रखते हुए दलील दी कि कोल इंडिया व नॉर्दर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड मिलकर उसकी जमीन पर अवैध रूप से कोयला उत्खनन कर रहे हैं, इसे रोका जाए.

झूठा शपथपत्र लगाया
न्यायालय में सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता अंकित अग्रवाल ने बताया कि इस सम्बंध में याचिकाकर्ता व कोयला कंपनियों के बीच पुराना विवाद है. इसे लेकर मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में तीन याचिकाएं लम्बित हैं. वहीं याचिकाकर्ता ने याचिका में शपथपत्र पर उल्लेख किया है कि इस सम्बंध में किसी भी न्यायालय में कोई मामला विचाराधीन नहीं है न ही दायर किया गया.

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MP हाईकोर्ट ने तथ्यों को छिपाने के लिए लगाया 1 लाख का जुर्माना
इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश की युगल पीठ ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से अन्य याचिकाओं के बारे में पूछा तो उन्होंने न्यायालय के संज्ञान में न लाने पर माफी भी मांगी. इस पर न्यायालय ने कहा कि यह ऐसी परिस्थिति नहीं है कि क्षमायाचना स्वीकार की जा सके. कोर्ट ने कहा कि तथ्यों को जानबूझकर छिपाया गया है और ये कानून का दुरुपयोग है.
(MP High Court imposed penalty for hiding facts) (MP High Court News)

(इनपुट-आईएएनएस)

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