जबलपुर। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ के बताया गया कि प्रदेश 453 नर्सिंग कॉलेज के एफिलेशन तथा फैक्लटियों के संबंध में पूरा डिजिटल डाटा उपलब्ध नहीं करवाया गया है. (Digital Data Not Provided) मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल (Nursing Registration Council) की तरफ से बताया गया कि, पूरा डाटा उपलब्ध करवा दिया गया है. युगलपीठ ने काउंसिल के जवाब को रिकॉर्ड में लेते हुए याचिकाकर्ता को निर्देश दिया है कि जो जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है, उसकी जानकारी पेश करें. युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 27 जुलाई को निर्धारित की है.
यह था मामला: लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि, शैक्षणिक सत्र 2000-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई थी. मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने निरीक्षण के बाद इन कॉलजों की मान्यता दी थी. वास्तविकता में ये कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं. ऐसा कोई कॉलेज नहीं है जो निर्धारिण मापदण्ड पूरा करता है. अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है. कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं. ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है. बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है. नर्सिंग कॉलेज को फर्जी तरीके से मान्यता दिए जाने के आरोप में मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल के रजिस्टार को पद से हटा दिया गया था. फर्जी नर्सिंग कॉलेज संचालित होने के संबंध में उन्होंने शिकायत की थी. शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण उक्त याचिका दायर की गई है.
युगलपीठ की नाराजगी: बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया था कि, अभी तक उन्हें डिजिटल डाटा उपलब्ध नहीं करवाया गया है. सरकार की तरफ से बताया गया कि, एग्जाम सहित अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज होने के कारण याचिकाकर्ता को पासवर्ड नहीं दिया गया है. सुनवाई के दौरान नर्सिंग कॉलेज एसोसिएशन की तरफ से इंटर विनर बनने का आवेदन पेश करते हुए याचिकाकर्ता का डाटा उपलब्ध नहीं करवाने का अनुरोध किया गया. युगलपीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को पासवर्ड देने नहीं कहा गया है. उन्हें सिर्फ डाटा उपलब्ध करवाने को कहा गया है. डाटा उपलब्ध नहीं करवाने पर न्यायालय सभी नर्सिंग कॉलेजों को बंद करने के निर्देश जारी कर सकती है.
दस्तावेज निरिक्षण की अनुमति: याचिका के साथ कॉलेज की सूची व फोटो प्रस्तुत किए गए थे. याचिका में कहा गया था कि जब कॉलेज ही नहीं हैं तो छात्रों को कैसे पढ़ाया जाता होगा. याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने ऐसे कॉलेजों को अनावेदक बनाने याचिकाकर्ता को निर्देश दिए थे. हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रदेश के 453 नर्सिंग कॉलेज के मान्यता संबंधित ओरिजनल दस्तावेज पेश किए गए थे. युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को दस्तावेज के निरिक्षण की अनुमति प्रदान की थी.
डिजिटल डाटा उपलब्ध कराने का निर्देश: पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि कॉलेज के कितने पेज के दस्तावेज है, इसका उल्लेख किया जाता है. हाईकोर्ट में पेश किए गए 453 नर्सिंग कॉलेज के दस्तावेजों में 37759 पेज गायब है. 80 कॉलेज ऐसे हैं, जिसमें एक व्यक्ति उसी समय में कई स्थानों में काम किया है. दस कॉलेज में एक ही व्यक्ति एक समय में प्राचार्य था. उन कॉलेजों के बीच की दूरी सैकडों किलोमीटर है. टीचिंग स्टॉफ भी एक समय में पांच-पांच कॉलेज में एक ही समय में सेवा दे रहा था. पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने याचिकाकर्ता को डिजिटल डाटा उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए थे. एसोसिएशन के 100 कॉलेजों की तरफ से इंटरविनर बनने का आवेदन पेश किया गया है. उनके अधिवक्ता डाटा उपलब्ध करवा दें. डाटा उपलब्ध करवाने की बजाय संस्थानों का पक्ष रखा जा रहा है.
पेन ड्राइव में नहीं है पूरा डाटा: पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता को डिजिटल डाटा उपलब्ध नहीं करवाने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की थी. युगलपीठ ने 24 घंटो में डिजिटल डाटा उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए थे. याचिका पर शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने युगलपीठ को बताया कि, पेन ड्राइव में उपलब्ध कराया गया डाटा पूरा नहीं है. काउंसिल की तरफ से पूरा डाटा उपलब्ध करवाने की बात कही गई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने पक्ष रखा था.