जबलपुर। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के बाद देश में बड़े पैमाने पर युवा बेरोजगार हुए हैं. मध्य प्रदेश का भी कमोबेश यही हाल है. जहां प्रदेश के लाखों युवा लॉकडाउन के बाद बेरोजगार हो गए. कोरोना के चलते दुकानें, फैक्ट्रियां, बाजार, कंपनियां, होटल, पर्यटन से लेकर तमाम क्षेत्रों को खासा नुकसान हुआ. लिहाजा इन सेक्टरों में काम करने वाले युवाओं की बड़े पैमाने पर नौकरियां चली गई. जिन्हें अब आसानी से रोजगार नहीं मिल रहा.
जबलपुर शहर में बेरोजगार हुए युवाओं की बड़ी संख्या है, नगर-निगम में बेरोजगार युवाओं के आंकड़े तेजी से बढ़े हैं. आलम यह है कि कभी करोड़ों रुपए खर्च कर संस्कृतिक कार्यक्रम के लिए जो स्ट्रीट कल्चर रोड नगर-निगम ने बनाई थी. आज उस रोड में बेरोजगार युवा अपना पंजीयन कराने लाइनों में खड़े रहते हैं. स्थानीय युवा बेरोजगार कहते है कि कोरोना के पहले सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था. लेकिन जैसे ही कोरोना ने जबलपुर में प्रवेश किया तो उसके बाद पूरे शहर में लॉकडाउन लग गया. करीब तीन माह तक लगे लॉकडाउन के बाद जब अनलॉक हुआ तब तक हजारों युवा बेरोजगार हो चुके थे. कुछ युवाओं का रोजगार छिन गया था तो कुछ लोगों के कार्यालय बंद हो गए. आलम यह है कि हर दिन युवा बड़ी संख्या में अपना रोजगार पंजीयन कराने नगर-निगम पहुंच रहे हैं.
पैसों की तंगी से ऑफिस बंद हो गए
शहर के बेरोजगार युवा विनय तिवारी कहते है वे मार्केटिंग फील्ड में काम करते थे. लॉकडाउन के बाद जब वो ऑफिस गए तो पता चला ऑफिस बंद हो चुका है. जिससे अब स्ट्रीट लाइन पर काम करना पड़ता है. क्योंकि अधिकतर ऑफिस किराए पर चलते थे. लेकिन किराया न चुका पाने की वजह से ऑफिस बंद हो गया. जबकि उनकी सैलरी पर भी बहुत असर पड़ा है.
कुछ यही हाल रति तिवारी का भी है, वे एक निजी कंपनी में काम करते थे. लेकिन लॉकडाउन के बाद कंपनी बंद हो गई. लिहाजा उनकी नौकरी चली गई और अब रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले कई दिनों से रोजगार की तलाश में कई जगह रिज्यूम भेजे लेकिन अब तक काम नहीं मिला. अब तो हालात यह है कि घर भी चलाना मुश्किल हो रहा है.
यानि लॉकडाउन इन युवाओं के लिए किसी बुरे दौर की तरह आया, जिसमें उनकी नौकरियां चली गई. ऑफिस बंद हो गए. जिससे इन युवाओं की परेशानियां बढ़ गई है. बेरोजगार होने के बाद युवा रोजगार कार्यालय में पंजीयन कराने में जुटे हैं. ताकि उन्हें कोई अच्छी नौकरी मिल सके.