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हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी खिलाड़ी मैदान में अच्छे लगते हैं कोर्ट में नहीं, प्रोत्साहन राशि न देने पर सरकार को लगाई फटकार

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Published : Nov 20, 2021, 10:59 PM IST

जबलपुर के तीन वुशू खिलाड़ियों की तरफ से प्राइज मनी को लेकर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में लगी याचिका पर हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है. कोर्ट ने खेल एवं युवा कल्याण विभाग को फटकार लगाई गई है. कोर्ट ने कहा है कि खिलाड़ी मैदान में दौड़ते हुए अच्छे लगते है न कि कोर्ट में

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हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी खिलाड़ी मैदान में अच्छे लगते हैं कोर्ट में नहीं

जबलपुर। जबलपुर के तीन वुशू खिलाड़ियों की तरफ से प्राइज मनी को लेकर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में लगी याचिका पर हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है. कोर्ट ने खेल एवं युवा कल्याण विभाग को फटकार लगाई गई है. कोर्ट ने कहा है कि खिलाड़ी मैदान में दौड़ते हुए अच्छे लगते है न कि कोर्ट में हाई कोर्ट ने इस मामले में खेल और युवा कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी करते हुए 4 सप्ताह में जवाब तलब किया है


जबलपुर के खिलाड़ियों ने लगाई याचिका
वुशू के तीन राष्ट्रीय खिलाड़ियों ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई है, जिसमे कहा गया है कि मध्यप्रदेश शासन के राजपत्र ने 8 मार्च 2019 में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को पुरस्कार व प्रोत्साहन राशि देने के लिए नियम बनाए थे.खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने शासन के आदेश को दरकिनार करते हुए प्रतिभावान खिलाड़ियों को पुरस्कार राशि या तो कम दी या तो कुछ लोग को प्रदान ही नहीं. हाईकोर्ट में इस पूरे मामले को लेकर याचिका दायर की गई थी. प्राइज मनी और प्रोत्साहन राशी के तौर पर गोल्ड मेडल जीते खिलाड़ी को शासन की ओर से 1लाख रु सिल्वर मेडल जीतने वाले खिलाड़ी को 75 हजार रु देने का प्रावधान है, लेकिन खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने याचिका लगाने वाले तीनों ही खिलाड़ियों को अभी तक प्रोत्साहन राशि नहीं दी है.

श्रम न्यायालय के निर्णय पर अनावश्यक हस्तक्षेप न करें- हाई कोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा पारित अहम आदेश में कहा है कि सीजीआईटी तथा श्रम न्यायालय के निर्णय पर अनावश्यक रूप से हस्ताक्षेप नहीं करना चाहिए. हाईकोर्ट को सिर्फ सीजीआईटी व श्रम न्यायालय के श्रेत्राधिकार मामले में ही हस्ताक्षेप करना चाहिए. हाईकोर्ट के जस्टिस पुरूषेन्द्र कौरव की एकलपीठ ने औद्यौगिक विवाद अधिनियम को सामाजिक कल्याण बताते हुए सीजीआईटी द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया. साउथ ईस्टन कोल फिल्ड लिमिटेड की तरफ से दायर याचिका में सीजीआईटी के आदेश को चुनौती दी गयी थी. एसईसीएफ ने अनुपस्थित रहने के कारण चंद्रमणि तिवारी नामक कर्मचारी को सेवा से पृथक कर दिया था. जिसके खिलाफ उसने सीजीआईटी के समक्ष याचिका प्रस्तुत की थी. सीजीआईटी ने याचिकाकर्ता कर्मचारी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उसे बहाल करने के अलावा कर्मचारी को 50 प्रतिशत वेतन देेने के निर्देश भी जारी किये थे.

जबलपुर। जबलपुर के तीन वुशू खिलाड़ियों की तरफ से प्राइज मनी को लेकर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में लगी याचिका पर हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है. कोर्ट ने खेल एवं युवा कल्याण विभाग को फटकार लगाई गई है. कोर्ट ने कहा है कि खिलाड़ी मैदान में दौड़ते हुए अच्छे लगते है न कि कोर्ट में हाई कोर्ट ने इस मामले में खेल और युवा कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी करते हुए 4 सप्ताह में जवाब तलब किया है


जबलपुर के खिलाड़ियों ने लगाई याचिका
वुशू के तीन राष्ट्रीय खिलाड़ियों ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई है, जिसमे कहा गया है कि मध्यप्रदेश शासन के राजपत्र ने 8 मार्च 2019 में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को पुरस्कार व प्रोत्साहन राशि देने के लिए नियम बनाए थे.खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने शासन के आदेश को दरकिनार करते हुए प्रतिभावान खिलाड़ियों को पुरस्कार राशि या तो कम दी या तो कुछ लोग को प्रदान ही नहीं. हाईकोर्ट में इस पूरे मामले को लेकर याचिका दायर की गई थी. प्राइज मनी और प्रोत्साहन राशी के तौर पर गोल्ड मेडल जीते खिलाड़ी को शासन की ओर से 1लाख रु सिल्वर मेडल जीतने वाले खिलाड़ी को 75 हजार रु देने का प्रावधान है, लेकिन खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने याचिका लगाने वाले तीनों ही खिलाड़ियों को अभी तक प्रोत्साहन राशि नहीं दी है.

श्रम न्यायालय के निर्णय पर अनावश्यक हस्तक्षेप न करें- हाई कोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा पारित अहम आदेश में कहा है कि सीजीआईटी तथा श्रम न्यायालय के निर्णय पर अनावश्यक रूप से हस्ताक्षेप नहीं करना चाहिए. हाईकोर्ट को सिर्फ सीजीआईटी व श्रम न्यायालय के श्रेत्राधिकार मामले में ही हस्ताक्षेप करना चाहिए. हाईकोर्ट के जस्टिस पुरूषेन्द्र कौरव की एकलपीठ ने औद्यौगिक विवाद अधिनियम को सामाजिक कल्याण बताते हुए सीजीआईटी द्वारा पारित आदेश के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया. साउथ ईस्टन कोल फिल्ड लिमिटेड की तरफ से दायर याचिका में सीजीआईटी के आदेश को चुनौती दी गयी थी. एसईसीएफ ने अनुपस्थित रहने के कारण चंद्रमणि तिवारी नामक कर्मचारी को सेवा से पृथक कर दिया था. जिसके खिलाफ उसने सीजीआईटी के समक्ष याचिका प्रस्तुत की थी. सीजीआईटी ने याचिकाकर्ता कर्मचारी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उसे बहाल करने के अलावा कर्मचारी को 50 प्रतिशत वेतन देेने के निर्देश भी जारी किये थे.

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