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'पढ़ने से नहीं सर, क्लास में बैठने से डरते लगता है', पढ़िए जबलपुर से ईटीवी भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट - जबलपुर की लेटेस्ट न्यूज

जबलपुर जिले के चरगवां विकासखंड में सरकारी स्कूल की हालत दयनीय है, यहां कक्षाओं में बैठने से बच्चों को डर लगता है कि, कहीं छत उनके उपर न गिर जाए. देखिए ईटीवी भारत की रिपोर्ट... (Jabalpur Students in fear to sit in classrooms)

Government Schools in Jabalpur district
कैसे संवरेगा बच्चों का भविष्य
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Published : Jan 15, 2022, 12:21 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश सरकार भले ही स्कूलों में बेहतर व्यवस्थाएं होने का दावा करती हो, लेकिन जमीनी स्तर पर हाल बदहाल हैं. कहीं बारिश होते ही स्कूलों की छत से पानी टपकने लगता है, तो कहीं फर्श धंस रही है. किसी जगह तो मूलभूत सुविधाएं जैसे पीने का पानी और बिजली तक नहीं है. कुछ ऐसा ही हाल है जबलपुर जिले के चरगवां विकासखंड में बने शासकीय स्कूल का. जहां के बच्चों का कहना है कि पढ़ने से नहीं सर क्लास में बैठने से डर लगता है. जब ईटीवी भारत की टीम स्कूल पहुंची तो यहां की दीवारें और छतें चीख-चीखकर सरकारी तंत्र के भ्रष्टाचार की कहानी बयां कर रही थीं. यहां रोजाना 538 बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं. स्कूल की खस्ता हालत का आलम यह है कि दीवारों पर हाथ लग जाए तो रेत झड़ने लगती है, कुछ दिन पहले एक छात्रा के सिर पर प्लास्टर गिर गया था जिसमें वह घायल हो गई थी. कई सालों से यहां मरम्मत तक नहीं हुई है.

जबलपुर में बदहाल सरकारी स्कूल

कैसे बनेगा बच्चों का भविष्य ?

स्कूल के बच्चे कक्षाओं में बैठने से डरते हैं. प्रिंसिपल और शिक्षक स्कूल की हालत से वाकिफ हैं, लेकिन बच्चों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं. उन्होंने इस दुर्दशा की शिकायत प्रशासन से नहीं की है. ऐसे में स्कूल में बच्चों को बैठाना उनकी जान से खिलवाड़ है. 7 साल पहले ही 28 लाख रूपयों की लागत से इस स्कूल का निर्माण हुआ था, लेकिन चंद दिनों के बाद ही स्कूल की तस्वीर कुछ इस तरह हो गई कि दीवारों की ईंटे हाथ से निकाली जा सकती हैं. दीवार पर हाथ मारो तो रेत निकलने लगती है. हाईटेक शिक्षा का दावा करने वाला सिस्टम और शिवराज सरकार किस तरह बच्चों के भविष्य को संवार रही है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है.

New Corona Restrictions in MP: मध्य प्रदेश में 31 जनवरी तक बंद रहेंगे सभी स्कूल, राजनीतिक रैलियों और मेले भी प्रतिबंधित

छत गिरने से छात्र की हुई थी मौत

कुछ दिन पहले सरकारी दावों की पोल खोलती एक तस्वीर बेलखेड़ा के गुंदरई से सामने आई थी. यहां स्कूल का छज्जा गिरने से सातवीं कक्षा के एक छात्र कार्तिक उर्फ विक्रांत लोधी की मौत हो गई. स्कूल में बच्चों की जान कितनी सुरक्षित है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है. स्कूल में 8 कमरे हैं, लेकिन चार कमरे जर्जर हो गए हैं जिसमें बैठना खतरे से खाली नहीं है, इसलिए 4 कमरों में क्लास चलती हैं. वहीं पूरे मामले से जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी को स्कूल की दुर्दशा से अवगत कराया गया तो उन्होंने इसकी जांच करवाने के बाद कार्रवाई का आश्वासन दिया है. बहरहाल अब देखना यह होगा कि ईटीवी भारत द्वारा खबर चलाने के बाद शिक्षा विभाग इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है, भविष्य में खतरा ना हो इसके लिए क्या ठोस कदम उठाता है.

(Jabalpur Students in fear to sit in classrooms)

जबलपुर। मध्यप्रदेश सरकार भले ही स्कूलों में बेहतर व्यवस्थाएं होने का दावा करती हो, लेकिन जमीनी स्तर पर हाल बदहाल हैं. कहीं बारिश होते ही स्कूलों की छत से पानी टपकने लगता है, तो कहीं फर्श धंस रही है. किसी जगह तो मूलभूत सुविधाएं जैसे पीने का पानी और बिजली तक नहीं है. कुछ ऐसा ही हाल है जबलपुर जिले के चरगवां विकासखंड में बने शासकीय स्कूल का. जहां के बच्चों का कहना है कि पढ़ने से नहीं सर क्लास में बैठने से डर लगता है. जब ईटीवी भारत की टीम स्कूल पहुंची तो यहां की दीवारें और छतें चीख-चीखकर सरकारी तंत्र के भ्रष्टाचार की कहानी बयां कर रही थीं. यहां रोजाना 538 बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं. स्कूल की खस्ता हालत का आलम यह है कि दीवारों पर हाथ लग जाए तो रेत झड़ने लगती है, कुछ दिन पहले एक छात्रा के सिर पर प्लास्टर गिर गया था जिसमें वह घायल हो गई थी. कई सालों से यहां मरम्मत तक नहीं हुई है.

जबलपुर में बदहाल सरकारी स्कूल

कैसे बनेगा बच्चों का भविष्य ?

स्कूल के बच्चे कक्षाओं में बैठने से डरते हैं. प्रिंसिपल और शिक्षक स्कूल की हालत से वाकिफ हैं, लेकिन बच्चों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं. उन्होंने इस दुर्दशा की शिकायत प्रशासन से नहीं की है. ऐसे में स्कूल में बच्चों को बैठाना उनकी जान से खिलवाड़ है. 7 साल पहले ही 28 लाख रूपयों की लागत से इस स्कूल का निर्माण हुआ था, लेकिन चंद दिनों के बाद ही स्कूल की तस्वीर कुछ इस तरह हो गई कि दीवारों की ईंटे हाथ से निकाली जा सकती हैं. दीवार पर हाथ मारो तो रेत निकलने लगती है. हाईटेक शिक्षा का दावा करने वाला सिस्टम और शिवराज सरकार किस तरह बच्चों के भविष्य को संवार रही है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है.

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छत गिरने से छात्र की हुई थी मौत

कुछ दिन पहले सरकारी दावों की पोल खोलती एक तस्वीर बेलखेड़ा के गुंदरई से सामने आई थी. यहां स्कूल का छज्जा गिरने से सातवीं कक्षा के एक छात्र कार्तिक उर्फ विक्रांत लोधी की मौत हो गई. स्कूल में बच्चों की जान कितनी सुरक्षित है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है. स्कूल में 8 कमरे हैं, लेकिन चार कमरे जर्जर हो गए हैं जिसमें बैठना खतरे से खाली नहीं है, इसलिए 4 कमरों में क्लास चलती हैं. वहीं पूरे मामले से जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी को स्कूल की दुर्दशा से अवगत कराया गया तो उन्होंने इसकी जांच करवाने के बाद कार्रवाई का आश्वासन दिया है. बहरहाल अब देखना यह होगा कि ईटीवी भारत द्वारा खबर चलाने के बाद शिक्षा विभाग इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है, भविष्य में खतरा ना हो इसके लिए क्या ठोस कदम उठाता है.

(Jabalpur Students in fear to sit in classrooms)

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