जबलपुर। स्कूल ऑफ वाईल्ड लाईफ फॉरेन्सिक एण्ड हेल्थ साइंस में इलाज के दौरान चिकित्सकों ने बताया कि तेंदुए के शावक 'केनाइन डिस्टेंपर' नामक गंभीर बीमारी से ग्रसित है, शावक का रेस्क्यू कर स्कूल ऑफ वाईल्ड लाईफ फॉरेन्सिक एण्ड हेल्थ साइंस में इलाज किया जा रहा था. वन्यप्राणी विशेषज्ञ डॉ केपी सिंह, डॉ देवेन्द्र पोधाड़े एवं डॉ अमोल रोकड़े की टीम द्वारा तेंदुए का प्रारंभिक जांच परीक्षण करने पर पाया गया कि शावक एग्रेशन एवं स्ट्रेस में था. साथ ही शावक के ऊपरी जबड़े का एक कार्निसल दांत टूटा हुआ और उसकी जीभ कटी पाई गई थी, जिसका उपचार किया जा रहा था. (Jabalpur Leopard Died)
अन्य पशुओं में भी फैल सकता है संक्रमण: मामले में वनमंडलाधिकारी अखिल बंसल ने बताया कि 'शावक के इलाज किए जाने पर पता चला की वन्यप्राणी 'केनाइन डिस्टेंपर' बीमारी से ग्रसित था, जिसके कारण इलाज के दौरान शावक की मौत हो गई." वन्यप्राणी विशेषज्ञों द्वारा चेताया गया है कि 'इस बीमारी का संक्रमण जिले के अन्य पालतू पशुओं में भी फैल सकता है. संक्रमण अन्य पालतू पशुओं में ना फैले, इसके लिए पशुओं में संक्रमण के लक्षण दिखने पर तत्काल उनका समुचित उपचार कराया जाए."
समुचित उपाय करने हेतु निर्देश जारी: वनमंडलाधिकारी ने ग्राम बनखेड़ी , इन्द्राना तथा समीपस्थ क्षेत्रों में पालतू पशुओं का प्रीवेन्टेटिव वैक्सीनेशन कराये जाने के संबंध में पशु पालन विभाग को निर्देशित करने हेतु कलेक्टर से आग्रह किया गया है. साथ ही वनमण्डल के समस्त उपवनमण्डलाधिकारी एवं परिक्षेत्र अधिकारियों का भी बीमारी की रोकथाम हेतु पशु पालन विभाग से संपर्क स्थापित कर समुचित उपाय करने हेतु निर्देशित किया गया है.
रेस्क्यू कर लाया गया था शावक: स्कूल ऑफ वाईल्ड लाईफ फॉरेन्सिक एण्ड हेल्थ साइंस जबलपुर एवं वन विभाग की टीम का कहना हैं की "भले ही हम उक्त शावक के जीवन को नहीं बचा सके, लेकिन जिस प्रकार से मृत शावक के रेस्क्यू कार्य में तत्परता से कार्य किया है वह सराहनीय है."