जबलपुर। आशिता दुबे सहित अन्य की तरफ से प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने के खिलाफ तथा पक्ष में 64 याचिकाएं दायर की गयी गयी थीं. हाईकोर्ट ने कई लंबित याचिकाओं पर ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत दिये जाने पर रोक लगा दी थी. सरकार द्वारा स्थगन आदेश वापस लेने के लिए आवेदन दायर किया गया. हाईकोर्ट ने सितम्बर 2021 को स्थगन आदेश वापस लेने से इंकार करते हुए संबंधित याचिकाओं को अंतिम सुनवाई के निर्देश जारी किये थे.
ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण के आदेश हुए थे : प्रदेश सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने महाधिवक्ता द्वारा अगस्त 2021 को दिये अभिमत के आधार पर पीजी नीट 2019-20 पीएससी के माध्यम से होने वाली मेडिकल अधिकारियों की नियुक्ति तथा शिक्षक भर्ती छोड़कर अन्य विभाग में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत दिये जाने के आदेश जारी कर दिये गए. उक्त आदेश के खिलाफ भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई के दूसरे दिन ओबीसी आरक्षण 27 किये प्रतिशत किये जाने के खिलाफ दायर याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि सर्वोच्च न्यायालय ने साल 1993 में पारित अपने आदेश में साफ कहा है कि कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिये.
सुप्रीम कोर्ट का हवाला दिया : महाजन आयोग ने ओबीसी वर्ग के आरक्षण में बढ़ोत्तरी करने की अनुशंसा उसके पूर्व की थी. आयोग ने जिस आधार पर अनुशंसा की थी, उसे पूर्व में ही न्यायालय ने अवैधानिक घोषित कर दिया है. विषेष स्थिति में जनसंख्या के आधार पर आरक्षण देने का प्रावधान है. इसके बावजूद आरक्षण की कुल सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए. मराठा आरक्षण के मामले में पारित आदेश में सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात का उल्लेख किया है. तीसरे दिन अधिवक्ता अंशुमान सिंह व अन्य ने पक्ष रखा. सरकार की तरफ से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह उपस्थित हुए.
Final hearing continues High Court, Petitions regarding OBC reservation, Demand reservation 27 percent