जबलपुर। कोरोना से मृत मरीजों की वास्तविक संख्या छुपाने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने याचिका की प्रति केन्द्र व राज्य सरकार सहित इंडियन मेडिकल काउंसिल के अधिवक्ताओं को देने के निर्देश दिए हैं. पीठ ने इस संबंध में दिशा-निर्देश प्राप्त कर जवाब पेश करने का निर्देश जारी किया है.
सागर रहली निवासी हेमंत हजारी की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि कोरोना संक्रमण से हुई मौत के वास्तविक आंकड़े छुपाकर जनता को भ्रमित किया गया है, जिसके कारण लोगों का समूह सड़कों पर आया और कोरोना संक्रमण की दर में अप्रत्याशित रूप से बढ़ोतरी हुई.
सरकार किस वजह से छुपा रही मौत के आंकड़े
एक खबर का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि कोरोना मौत के वास्तविक आंकड़े छुपाने के संबंध में इंडियन मेडिकल काउंसिल ने पत्र लिखा था. पत्र में कहा गया था कि कोरोना की पहली लहर में हमने 756 डाॅक्टरों को खो दिया. दूसरी लहर में 146 डाॅक्टरों को खो दिया है. इसके अलावा अस्पतालों में सैकड़ों की संख्या में बैग में लिपटे शवों को नाॅन कोविट डेथ बताया जा रहा है. आरटीपीसीआर टेस्ट निगेटिव होने के बावजूद भी उनका सीटी स्कैन पाॅजीटिव था. सरकार कोरोना संक्रमण से हुई मौत के वास्तविक आंकड़े किस कारण से छुपा रही है.
क्या कहा गया है याचिका में
याचिका में कहा गया था कि विदिशा में कोरोना से पीड़ित एक मरीज को दो बार मृत घोषित कर दिया गया. एक घटना का हवाला देते हुए बताया गया कि अंतिम सस्कार के लिए ले जाते वक्त एक कोरोना संक्रमित मृत व्यक्ति का शव एम्बुलेंस से अस्पताल के बाहर ही गिर गया. ग्वालियर में एक कोरोना संक्रमित मृत व्यक्ति का शव 24 घंटों तक अस्तपाल में पड़ा रहा. इसके अलावा नदियों में कोरोना संक्रमित व्यक्तियों का प्रवाह किया जाने से जल के कारण आसपास के क्षेत्र में कोरोना संक्रमण फैल रहा है.
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याचिका में कहा गया था कि ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी तेजी के साथ कोरोना संक्रमण फैल रहा है और टेस्टिंग नहीं हो रही है. याचिका में यह भी मांग की गयी थी कि निजी अस्पतालों में उपलब्ध दवाईयों का ऑडिट करवाया जाए और प्रशासक नियुक्त किया जाये. याचिका में कहा गया है कि गुजरात हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण हुई मौत के संबंध में संज्ञान लेते हुए याचिका के रूप में सुनवाई किये जाने का उल्लेख भी किया गया है.
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याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आलोक बागरेजा ने बताया कि सुनवाई के दौरान प्रकाशित एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए युगलपीठ को इस बात की जानकारी दी कि सरकार के निर्देश पर जन्म व मृत्यु पंजीकरण विभाग द्वारा श्मशान के एंट्री रजिस्टरों को जब्त कर लिया है. यह इसलिए किया गया है कि वास्तविक आंकड़े सामने नहीं आये हैं.