जबलपुर। प्रदेश में नकली दवाओं की बिक्री पर कार्रवाई नहीं किये जाने के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस वी के शुक्ला की युगलपीठ ने सरकार से पूछा है कि साल 2016 से 2020 तक नकली दवाओं के संबंध में कितने प्रकरण दर्ज किये गये हैं, युगलपीठ ने प्रदेश में ड्रग इस्पेक्टर के रिक्त पदों की जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश भी जारी किये हैं.
नकली दवाओं के कारोबार पर कोर्ट सख्त
अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा ने तरफ से साल 2010 में दायर की गयी याचिका में ड्रग इस्पेक्टर के रिक्त पदों को चुनौती दी गयी थी, याचिका की तरफ से हाईकोर्ट में रिजाइडर पेश कर बताया गया कि साल 2006-07 में नकली दवा बेचने का प्रकरण दर्ज किया गया था, इसके बाद साल 2020 तक कोई प्रकरण दर्ज नहीं किया गया, इस दौरान किसी प्रकार की छापेमारी की कार्रवाई तक नहीं की गयी, रिजाइडर के साथ इस संबंध में आरटीआई के तहत प्राप्त जानकारी के दस्तावेज भी प्रस्तुत किये गये थे.
ऑक्सीजन को लेकर फिर गहरी नींद सोया प्रशासन, ग्वालियर में 9 प्लांट में से एक भी चालू नहीं
याचिका में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के सचिव, आयुक्त स्वास्थ और कंट्रोलर फूड एंड ड्रग विभाग को अनावेदक बनाया गया था, याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किये, याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष स्वयं रखा.