इंदौर। देश में आम चुनाव होने है और चुनाव के दौरान ईवीएम मशीन से भी कई बोगस वोटिंग(फर्जी वोटिंग) के मामले सामने आते हैं. वहीं इस बार बोगस वोटिंग को रोकने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने एक फैसला लिया है. इस बार लोकसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं की पहचान का सत्यापन करने के बाद ही उन्हें मतदान की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है.
भारत निर्वाचन आयोग ने यह निर्णय लिया है कि अब पीठासीन अधिकारी को यह अधिकार होगा कि वह मतदाता पर्ची के बावजूद मौके पर ही मतदाता की पहचान स्थापित किए जाने वाले पहचान पत्र की जांच करें. जब पीठासीन अधिकारी संबंधित मतदाता की पहचान से संतुष्ट होंगे तभी वे उन्हें मतदान की अनुमति प्रदान करेंगे. बता दें इस व्यवस्था के तहत लोकसभा चुनाव के मतदान के दौरान पोलिंग बूथ के पीठासीन अधिकारी मतदाताओं की पहचान के लिए उनसे पहचान संबंधी दस्तावेज मांगेंगे.
इन दस्तावेजों से मिलेगी मतदान की अनुमति
आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, बैंकों की पासबुक, मतदाता परिचय पत्र, राशन कार्ड, पैन कार्ड, किसी ऑफिस का आईडी कार्ड, राज्य सरकार और केंद्र सरकार के विभागों द्वारा प्रदत्त परिचय पत्र सहित अन्य वे पहचान पत्र जिनमें उल्लेखित फोटो के जरिए संबंधित मतदाता की पहचान स्थापित होती हो. ऐसे किसी एक परिचय पत्रों के आधार पर मतदाता के पहचान की पुष्टि होने पर ही पोलिंग बूथ में मतदान की अनुमति दी जा सकेगी.
गौरतलब है ईवीएम से मतदान के लिए आवश्यक रूप से मतदाता पर्ची और एपिक की व्यवस्था के अंतर्गत मतदाता के फोटो मिलान की व्यवस्था पहले से निर्धारित है. अब तक इसी आधार पर मतदाताओं से ईवीएम के जरिए मतदान कराया जाता है. इस स्थिति के बावजूद भारत निर्वाचन के समक्ष ऐसे कई मामले आए जिसमें कई मतदाताओं के वोट उनके पोलिंग बूथ पर पहुंचने के पहले ही डाल दिए गए.