इंदौर। स्वच्छता सर्वेक्षण की दूसरी तिमाही में भी इंदौर नंबर वन बना है. ऐसे में स्वच्छता सर्वेक्षण में हैट्रिक लगा चुके इंदौर की नजरें अब स्वच्छता में चौका लगाने पर है. लेकिन देशभर के लोगों के जहन में बार-बार यही सवाल उठता है कि, आखिर इंदौर कैसे हर बार स्वच्छता में नंबर वन का खिताब हासिल कर लेता है.
क्योंकि जो शहर साल 2011 की स्वच्छता रैंकिंग में 61वें स्थान पर था. आखिर उसने ऐसा क्या कमाल किया वह 2016 में नंबर वन बन गया और अभी भी नंबर वन का ताज बरकरार है.
इन 10 कामों के चलते क्लीन हुआ इंदौर
- इंदौर नगर-निगम की टीम ने सबसे पहले हर घर से कचरा उठाने के लिए विशेष अभियान शुरु किया.
- पूरे शहर के कचरे को खत्म करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक से ट्रेचिंग का काम शुरु हुआ.
- शहर में अत्याधुनिक सॉलिड वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन तैयार कर मशीनों के जरिए शहर की छोटी-छोटी गलियों से भी कचरा उठाया गया.
- सड़कों को साफ रखने के लिए विदेशी मशीनों से साफ-सफाई पर जोर दिया गया. (इस योजना के जरिए देश में पहली बार हाईवे क्लीनिंग के लिए 6 करोड़ रुपए की मशीनें खरीद गई)
- शहर भर से जमा होने वाले कचरे से खाद बनाना शुरु किया गया. ये प्रयोग बेहद सफल साबित हुआ.
- सीवरेज को ट्रीट करने के लिए एसटीपी प्लांट शहर में लगाए गए.
- नगर निगम ने अपने सफाई कर्मियों को यूनिफॉर्म दी, जिससे सफाई कर्मी ट्रेस कोर्ट में दिखने लगे और इंदौर का स्वरूप बदल गया.
- शहर में कई स्थानों पर सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालय बनाए गए, जिनकी लोकेशन गूगल पर भी डाली गई. ताकि लोग आसानी से इनका इस्तेमाल कर सके.
- हजारों वाहनों के बेहतर मैनेजमेंट के चलते वर्कशॉप को ISO सर्टिफिकेट भी मिला.
- इंदौर में गीले और सूखे कचरे का निपटारन हर दिन कर दिया जाता है. जिससे कचरा जमा नहीं हो पाता.
इन 10 प्रमुख बिंदुओं पर काम करके इंदौर शहर हर बार स्वच्छता सर्वेक्षण में बाजी मार ले जाता है. लेकिन इस उपलब्धि के लिए केवल इंदौर नगर-निगम ही काम नहीं करता. बल्कि इंदौर को स्वच्छता में नंबर वन बनाने के लिए पूरा शहर मेहनत करता है. इंदौर ने पिछले तीन सालों में कचरे के निपटारन के लिए ऐसे प्रयास किए हैं. जो देश के अन्य शहरों में शायद नहीं हुए. यही वजह है कि इंदौर हर बार स्वच्छता में बाजी मार ले जाता है.