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स्वच्छता सर्वेक्षण में लगेगा 'सिक्सर'! छप्पन दुकान MP का पहला पॉल्यूशन फ्री कुकिंग फूड जोन, अब भट्टी पर नहीं बनेंगे पकवान

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Published : Dec 2, 2021, 9:26 PM IST

स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 (Swachhta Sarvekshan 2022) में मध्य प्रदेश का इंदौर शहर अब 'सिक्सर' लगाने की ओर अग्रसर है. इसकी शुरुआत भी शहर प्रशासन ने कर दी है. दरअसल शुक्रवार से छप्पन दुकान प्रदेश का पहला पॉल्यूशन फ्री कुकिंग फूड जोन (Pollution Free Cooking Food Zone) होगा. यहां प्रशासन ने कोयले की भट्टी में व्यंजन बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है (Restrictions on Use of Furnace).

mp first pollution free cooking food zone 56 shop indore
स्वच्छता सर्वेक्षण में लगेगा सिक्सर

इंदौर। देशभर में लगातार पांचवीं बार स्वच्छता में नंबर-वन आने वाला शहर छठवीं बार भी स्वच्छता की दौड़ में सबसे आगे है. शहर और नदियां साफ करने के बाद इंदौर अब वायु प्रदूषण रोकने की तरफ तेजी से अग्रसर है. इसकी शुरुआत प्रसिद्ध फूड जोन छप्पन दुकान से हुई है. जिसे शुक्रवार से पॉल्यूशन फ्री कुकिंग फूड जोन (Pollution Free Cooking Food Zone) में तब्दील कर दिया जाएगा. यहां कोयले की भट्टी से किसी भी तरह के व्यंजन बनाना या भट्टी जलाना प्रतिबंधित होगा (Restrictions on Use of Furnace).

2022 के स्वच्छता सर्वेक्षण की तैयारी
2022 के स्वच्छता सर्वेक्षण (Swachhta Sarvekshan 2022) की प्राथमिकता कचरे के निष्पादन के लिए बायो मीथेन प्लांट और वायु प्रदूषण रोकने के लिए एयर क्वालिटी इंडेक्स रहने वाला है. यही वजह है कि इंदौर शहर में इसको लेकर अभी से व्यापक रणनीति के तहत कार्य शुरू कर दिया गया है. शहर में साढ़े 500 टन का बायो मीथेन प्लांट तैयार किए जाने के बाद अब वायु प्रदूषण रोकने पर प्रशासन का फोकस है. इंदौर समेत पीथमपुर सांवेर रोड देवास के उन औद्योगिक क्षेत्र पर भी फौकस किया जा रहा है, जिनमें ईंट भट्टा, बायलर, रोलिंग, मिल, रेस्टोरेंट्स, ऑटोमोबाइल आदि के काम से वायु प्रदूषण फैलता है (Chappan Shop Pollution Free Cooking Food Zone).

mp first pollution free cooking food zone 56 shop indore
एमपी का पहला पॉल्यूशन फ्री कुकिंग फूड जोन

छप्पन दुकान में भट्टी का उपयोग प्रतिबंधित
शहर में अब उन जगहों को चिन्हित किया जा रहा है जहां कोयले की भट्टी पर कुकिंग होती है. सबसे पहले शुरुआत शहर के छप्पन दुकान से की गई है. जहां कोयले की भट्टी से किसी भी तरह के व्यंजन बनाना अथवा भट्टी को जलाना प्रतिबंधित कर दिया गया है. लिहाजा शहर को प्रदूषण मुक्त बनाने की इस पहल का स्वागत छप्पन दुकान व्यापारी एसोसिएशन ने भी किया. सभी व्यापारियों ने तमाम दुकानों से कोयले की भट्टी हटाने का फैसला किया है. नतीजतन शुक्रवार से छप्पन दुकान पॉल्यूशन फ्री कुकिंग जोन के रूप में तब्दील हो जाएगा (Chappan Shop Restrictions on use of Furnace).

अब भट्टी पर नहीं बनेंगे पकवान

स्वाद से बढ़कर है स्वास्थ्य
पकवान बनाने में भट्टी का उपयोग पुराने जमाने से होता आया है. ऐसा कहा जाता है कि खाने का स्वाद पारंपरिक इंधन पर तैयार करने पर ज्यादा आता है. यही वजह है कि गैस से चलने वाले इंधन स्रोत होने के बावजूद भी कई स्थानों पर भट्टी का उपयोग होता है. हालांकि अब दुकानदार भी मानते हैं कि आधुनिक ईंधन से व्यंजन तैयार करने से मामूली अंतर आता है, लेकिन जन स्वास्थ्य की दृष्टि से भट्टी को हटाना ज्यादा अच्छा विकल्प है. शहर के आम लोगों ने भी इस फैसले का स्वागत किया है.

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अभी घातक स्तर पर है एयर क्वालिटी इंडेक्स
इंदौर में एयर क्वालिटी इंडेक्स अक्टूबर में 101 पर था. इसके बाद नवंबर में यह 300 तक पहुंच गया है, जबकि सितंबर में यह बारिश के कारण 29 ही था. कलेक्टर मनीष सिंह के मुताबिक, फिलहाल इंदौर के कुछ इलाके कई बार प्रदेश के सबसे ज्यादा प्रदूषित वायु का स्तर दर्शाते हैं. जहां हवा में सल्फर, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड और लेड जैसे तत्व पाए गए हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिहाज से काफी घातक हैं. यदि शहर की करीब 4000 इकाइयों को प्रदूषण मुक्त कर दिया जाए, जिनसे प्रदूषण फैलता है तो यह क्वालिटी इंडेक्स सामान्य स्तर पर आ सकेगा.

इंदौर। देशभर में लगातार पांचवीं बार स्वच्छता में नंबर-वन आने वाला शहर छठवीं बार भी स्वच्छता की दौड़ में सबसे आगे है. शहर और नदियां साफ करने के बाद इंदौर अब वायु प्रदूषण रोकने की तरफ तेजी से अग्रसर है. इसकी शुरुआत प्रसिद्ध फूड जोन छप्पन दुकान से हुई है. जिसे शुक्रवार से पॉल्यूशन फ्री कुकिंग फूड जोन (Pollution Free Cooking Food Zone) में तब्दील कर दिया जाएगा. यहां कोयले की भट्टी से किसी भी तरह के व्यंजन बनाना या भट्टी जलाना प्रतिबंधित होगा (Restrictions on Use of Furnace).

2022 के स्वच्छता सर्वेक्षण की तैयारी
2022 के स्वच्छता सर्वेक्षण (Swachhta Sarvekshan 2022) की प्राथमिकता कचरे के निष्पादन के लिए बायो मीथेन प्लांट और वायु प्रदूषण रोकने के लिए एयर क्वालिटी इंडेक्स रहने वाला है. यही वजह है कि इंदौर शहर में इसको लेकर अभी से व्यापक रणनीति के तहत कार्य शुरू कर दिया गया है. शहर में साढ़े 500 टन का बायो मीथेन प्लांट तैयार किए जाने के बाद अब वायु प्रदूषण रोकने पर प्रशासन का फोकस है. इंदौर समेत पीथमपुर सांवेर रोड देवास के उन औद्योगिक क्षेत्र पर भी फौकस किया जा रहा है, जिनमें ईंट भट्टा, बायलर, रोलिंग, मिल, रेस्टोरेंट्स, ऑटोमोबाइल आदि के काम से वायु प्रदूषण फैलता है (Chappan Shop Pollution Free Cooking Food Zone).

mp first pollution free cooking food zone 56 shop indore
एमपी का पहला पॉल्यूशन फ्री कुकिंग फूड जोन

छप्पन दुकान में भट्टी का उपयोग प्रतिबंधित
शहर में अब उन जगहों को चिन्हित किया जा रहा है जहां कोयले की भट्टी पर कुकिंग होती है. सबसे पहले शुरुआत शहर के छप्पन दुकान से की गई है. जहां कोयले की भट्टी से किसी भी तरह के व्यंजन बनाना अथवा भट्टी को जलाना प्रतिबंधित कर दिया गया है. लिहाजा शहर को प्रदूषण मुक्त बनाने की इस पहल का स्वागत छप्पन दुकान व्यापारी एसोसिएशन ने भी किया. सभी व्यापारियों ने तमाम दुकानों से कोयले की भट्टी हटाने का फैसला किया है. नतीजतन शुक्रवार से छप्पन दुकान पॉल्यूशन फ्री कुकिंग जोन के रूप में तब्दील हो जाएगा (Chappan Shop Restrictions on use of Furnace).

अब भट्टी पर नहीं बनेंगे पकवान

स्वाद से बढ़कर है स्वास्थ्य
पकवान बनाने में भट्टी का उपयोग पुराने जमाने से होता आया है. ऐसा कहा जाता है कि खाने का स्वाद पारंपरिक इंधन पर तैयार करने पर ज्यादा आता है. यही वजह है कि गैस से चलने वाले इंधन स्रोत होने के बावजूद भी कई स्थानों पर भट्टी का उपयोग होता है. हालांकि अब दुकानदार भी मानते हैं कि आधुनिक ईंधन से व्यंजन तैयार करने से मामूली अंतर आता है, लेकिन जन स्वास्थ्य की दृष्टि से भट्टी को हटाना ज्यादा अच्छा विकल्प है. शहर के आम लोगों ने भी इस फैसले का स्वागत किया है.

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अभी घातक स्तर पर है एयर क्वालिटी इंडेक्स
इंदौर में एयर क्वालिटी इंडेक्स अक्टूबर में 101 पर था. इसके बाद नवंबर में यह 300 तक पहुंच गया है, जबकि सितंबर में यह बारिश के कारण 29 ही था. कलेक्टर मनीष सिंह के मुताबिक, फिलहाल इंदौर के कुछ इलाके कई बार प्रदेश के सबसे ज्यादा प्रदूषित वायु का स्तर दर्शाते हैं. जहां हवा में सल्फर, नाइट्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड और लेड जैसे तत्व पाए गए हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिहाज से काफी घातक हैं. यदि शहर की करीब 4000 इकाइयों को प्रदूषण मुक्त कर दिया जाए, जिनसे प्रदूषण फैलता है तो यह क्वालिटी इंडेक्स सामान्य स्तर पर आ सकेगा.

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