इंदौर। कोरोना काल में भुखमरी और आर्थिक तंगी से जूझ रहे बैंड-बाजे के कामकाज में चुनावों के कारण एक बार फिर रौनक लौट आई है. फिलहाल नगरी निकाय और पंचायत चुनाव के कारण स्थिति ये है कि कई प्रत्याशियों को बैंड-बाजा पार्टियों के लिए कई दिनों तक उनका इंतजार करना पड़ रहा है. इसके अलावा बाजार में जितने बैंड और ढोल बजाने वाले हैं उनके पास भी एक ही दिन में कई प्रत्याशियों के क्षेत्र में ढोल बजाने के आर्डर आ रहे हैं. नतीजतन चुनाव के सीजन में ढोल बजाने वालों की भी डिमांड अब चरम पर है.(MP Chunav 2022)
कोरोना काल में बैंड-बाजा संचालकों की दुकानें बंद: कोरोना के समय सारे सार्वजनिक समारोह और शादी विवाह के आयोजनों पर पूर्णता प्रतिबंध था, तो छोटे-छोटे आयोजनों में ढोल बजाकर आजीविका चलाने वाले बैंड-बाजा और ढोल संचालकों के बीच भूखों मरने की नौबत आ गई थी. इंदौर में स्थिति ये थी कि कई ढोल बजाने वालों ने भुखमरी के हालातों में अंतिम संस्कार का सामान बेचना शुरू कर दिया था. इसके अलावा जो बैंड पार्टी के अन्य सदस्य और कार्यकर्ता थे उन्हें मेहनत मजदूरी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा था. ऐसी स्थिति इसलिए भी थी क्योंकि बैंड-बाजे और ढोल बजाने वालों के पास अन्य कोई हुनर और कामकाज का विकल्प नहीं था. लिहाजा बड़ी संख्या में इंदौर में बैंड बाजा संचालकों की दुकानें बंद हो गई थी.(MP Chunav 2022 work of bandwagon returned)
बैंड-बाजों के कामों में लौटी रौनक: अब धीरे-धीरे हालात सामान होने लगे हैं. अब शादी विवाह के सीजन से इस धंधे ने एक बार फिर पटरी पर आना शुरू कर दिया है. हालांकि अब कोरोना का संक्रमण पूरी तरह नियंत्रण में है तो प्रदेश के पंचायत और नगरी निकाय चुनाव ने इस कामकाज को एक बार फिर गति दी है. दरअसल चुनावी माहौल बनाने के लिए ढोल इन दिनों प्रमुख जरिया है. कांग्रेस, भाजपा के अलावा आम आदमी पार्टी और निर्दलीय प्रत्याशी का चुनाव प्रचार भी ढोल और बैंड बाजों के भरोसे है. फिलहाल इंदौर में स्थिति ये है कि शहर के 85 वार्डों में लगभग 3 गुना प्रत्याशी इन दिनों प्रचार प्रसार में ढोल और बैंड-बाजों का उपयोग कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में शहर के करीब ढाई सौ से 300 ढोल संचालकों को एक-एक दिन में कई कई जगह ढोल बजाने पहुंचना पड़ रहा है.(work of bandwagon returned in Indore)