ETV Bharat / city

टैक्स की मार: मध्यप्रदेश से अब रोड टैक्स का भी 'पलायन', ट्रांसपोर्टर पड़ोसी राज्यों में रजिस्टर्ड करा रहे हैं गाड़ियां

author img

By

Published : Apr 21, 2022, 10:26 PM IST

वाहन खरीदने पर रोड़ टैक्स जमा करना होता है, लेकिन मध्य प्रदेश में यह दूसरे राज्यों के मुकाबले 3 गुना ज्यादा है. इससे बचने के लिए वे ट्रांसपोर्टर जो कारोबार तो मध्य प्रदेश में कर रहे हैं लेकिन अपनी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान और नागालैंड जैसे राज्यों में करा रहे हैं.

mp vehicles registered other state
दूसरे राज्यों में रजिस्टर्ड हो रहे हैं एमपी के व्हीकल

इंदौर। मध्यप्रदेश में भारी-भरकम रोड़ टैक्स और सबसे ज्यादा रजिस्ट्रेशन शुल्क है यहीं वजह है कि प्रदेश के ट्रांसपोर्टर अपनी वाहनों का रजिस्ट्रेशन दूसरे राज्यों में करा रहे हैं. जिससे प्रदेश को मिलने वाला रोड़ टैक्स दूसरे राज्यों के खाते में जा रहा है. वाहन खरीदने पर रोड़ टैक्स जमा करना होता है, लेकिन मध्य प्रदेश में यह दूसरे राज्यों के मुकाबले 3 गुना ज्यादा है. इससे बचने के लिए वे ट्रांसपोर्टर जो कारोबार तो मध्य प्रदेश में कर रहे हैं लेकिन अपनी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान और नागालैंड जैसे राज्यों में करा रहे हैं.

दूसरे राज्यों में रजिस्टर्ड हो रहे हैं एमपी के व्हीकल

वाहन एमपी से खरीद रहे, रजिस्ट्रेशन दूसरे राज्यों में: मध्यप्रदेश में नए वाहन की खरीदी पर रोड़ टैक्स 8% की दरसे तय किया जा रहा है, जबकि गुजरात, नगालैंड, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों में टैक्स की दर 5 फीसदी से भी कम हैं. मध्य प्रदेश परिवहन विभाग टैक्स के साथ वाहन खरीदी पर लगने वाले जीएसटी, सीजीएसटी, टीसीएस समेत अन्य टैक्स पर भी 8% रोड़ टैक्स लगा रहा है, ऐसी स्थिति में औसत 28 लाख का वाहन खरीदने पर 2 से ढ़ाई लाख रुपए टैक्स लगता है.

दूसरे राज्यों में टेक्स दरें लगभग आधी: नगालैंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे राज्यों में रोड टैक्स की दरें लगभग आधी हैं, इस स्थिति से बचने के लिए प्रदेश के इंदौर, भोपाल एवं अन्य महानगरों के ट्रांसपोर्टर जो नया ट्रक खरीद रहे हैं उनकी खरीदी तो मध्य प्रदेश से कर रहे हैं, लेकिन टैक्स की मार से बचने के लिए वाहन का रजिस्ट्रेशन दूसरे राज्यों में करा रहे हैं. ऐसी स्थिति में मध्य प्रदेश को मिलने वाला परिवहन शुल्क भी अन्य राज्यों में शिफ्ट हो रहा है.

70% वाहनों का रजिस्ट्रेशन अन्य राज्यों में: इंदौर ट्रक ऑपरेटर एंड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सीएल मुकाती के मुताबिक मध्यप्रदेश में 36 लाख रुपए के वाहन की खरीदी पर सालाना 3 लाख 80 हजार का टैक्स लग रहा है, जबकि अन्य पड़ोसी राज्यों में टैक्स 35 से 40 हजार ही है. इसलिए मध्य प्रदेश के ट्रक ऑपरेटर अब अन्य राज्यों से ही गाड़ी खरीद कर वही रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं. इसकी वजह है परिवहन विभाग द्वारा पंजीयन के समय गाड़ी के गूगल प्राइस को प्राथमिकता दी जा रही है.जिससे टैक्स की दरें तीन गुनी हो जा रही हैं. एसोसिएशन का आरोप है कि राज्य का परिवहन विभाग खुद नहीं चाहता कि उसे राजस्व की मिले हो यही वजह है कि सबसे ज्यादा टैक्स वसूली के कारण अब राज्य को टैक्स मिलना ही बंद हो रहा है. जिससे उसे राजस्व का भी भारी नुकसान हो रहा है. यही वजह है कि ट्रक ऑपरेटरों को भी अपने वाहन अन्य राज्यों में रजिस्टर्ड कराना पड़ रहे हैं.

लॉकडाउन के बाद आधा बचा ट्रांसपोर्ट व्यवसाय: इंदौर ट्रक ऑपरेटर एंड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सीएल मुकाती बताते हैं कि कोरोना के लंबे लॉकडाउन के बाद वाहन नहीं चलने औऱ खर्चा नहीं निकल पाने के कारण जो ट्रक बैंक लोन अथवा किस्तों पर थे उनमें से 50 परसेंट लोन एनपीए हो गए जिसकी वजह से कई ट्रांसपोर्टरों को अपना धंधा बंद करना पड़ा, जबकि 20 परसेंट पर कमाई नहीं होने की मार पड़ी. इस वजह से बीते 2 सालों में ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय 70 फीसदी तक सिमट चुका है. अब जो 30 परसेंट ऑपरेटर बचे हैं वे डीजल की महंगाई और ट्रांसपोर्टर विरोधी सरकार की परिवहन नीति से जूझते हुए किसी तरह कारोबार करने को मजबूर हैं.

इंदौर। मध्यप्रदेश में भारी-भरकम रोड़ टैक्स और सबसे ज्यादा रजिस्ट्रेशन शुल्क है यहीं वजह है कि प्रदेश के ट्रांसपोर्टर अपनी वाहनों का रजिस्ट्रेशन दूसरे राज्यों में करा रहे हैं. जिससे प्रदेश को मिलने वाला रोड़ टैक्स दूसरे राज्यों के खाते में जा रहा है. वाहन खरीदने पर रोड़ टैक्स जमा करना होता है, लेकिन मध्य प्रदेश में यह दूसरे राज्यों के मुकाबले 3 गुना ज्यादा है. इससे बचने के लिए वे ट्रांसपोर्टर जो कारोबार तो मध्य प्रदेश में कर रहे हैं लेकिन अपनी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान और नागालैंड जैसे राज्यों में करा रहे हैं.

दूसरे राज्यों में रजिस्टर्ड हो रहे हैं एमपी के व्हीकल

वाहन एमपी से खरीद रहे, रजिस्ट्रेशन दूसरे राज्यों में: मध्यप्रदेश में नए वाहन की खरीदी पर रोड़ टैक्स 8% की दरसे तय किया जा रहा है, जबकि गुजरात, नगालैंड, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों में टैक्स की दर 5 फीसदी से भी कम हैं. मध्य प्रदेश परिवहन विभाग टैक्स के साथ वाहन खरीदी पर लगने वाले जीएसटी, सीजीएसटी, टीसीएस समेत अन्य टैक्स पर भी 8% रोड़ टैक्स लगा रहा है, ऐसी स्थिति में औसत 28 लाख का वाहन खरीदने पर 2 से ढ़ाई लाख रुपए टैक्स लगता है.

दूसरे राज्यों में टेक्स दरें लगभग आधी: नगालैंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे राज्यों में रोड टैक्स की दरें लगभग आधी हैं, इस स्थिति से बचने के लिए प्रदेश के इंदौर, भोपाल एवं अन्य महानगरों के ट्रांसपोर्टर जो नया ट्रक खरीद रहे हैं उनकी खरीदी तो मध्य प्रदेश से कर रहे हैं, लेकिन टैक्स की मार से बचने के लिए वाहन का रजिस्ट्रेशन दूसरे राज्यों में करा रहे हैं. ऐसी स्थिति में मध्य प्रदेश को मिलने वाला परिवहन शुल्क भी अन्य राज्यों में शिफ्ट हो रहा है.

70% वाहनों का रजिस्ट्रेशन अन्य राज्यों में: इंदौर ट्रक ऑपरेटर एंड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सीएल मुकाती के मुताबिक मध्यप्रदेश में 36 लाख रुपए के वाहन की खरीदी पर सालाना 3 लाख 80 हजार का टैक्स लग रहा है, जबकि अन्य पड़ोसी राज्यों में टैक्स 35 से 40 हजार ही है. इसलिए मध्य प्रदेश के ट्रक ऑपरेटर अब अन्य राज्यों से ही गाड़ी खरीद कर वही रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं. इसकी वजह है परिवहन विभाग द्वारा पंजीयन के समय गाड़ी के गूगल प्राइस को प्राथमिकता दी जा रही है.जिससे टैक्स की दरें तीन गुनी हो जा रही हैं. एसोसिएशन का आरोप है कि राज्य का परिवहन विभाग खुद नहीं चाहता कि उसे राजस्व की मिले हो यही वजह है कि सबसे ज्यादा टैक्स वसूली के कारण अब राज्य को टैक्स मिलना ही बंद हो रहा है. जिससे उसे राजस्व का भी भारी नुकसान हो रहा है. यही वजह है कि ट्रक ऑपरेटरों को भी अपने वाहन अन्य राज्यों में रजिस्टर्ड कराना पड़ रहे हैं.

लॉकडाउन के बाद आधा बचा ट्रांसपोर्ट व्यवसाय: इंदौर ट्रक ऑपरेटर एंड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सीएल मुकाती बताते हैं कि कोरोना के लंबे लॉकडाउन के बाद वाहन नहीं चलने औऱ खर्चा नहीं निकल पाने के कारण जो ट्रक बैंक लोन अथवा किस्तों पर थे उनमें से 50 परसेंट लोन एनपीए हो गए जिसकी वजह से कई ट्रांसपोर्टरों को अपना धंधा बंद करना पड़ा, जबकि 20 परसेंट पर कमाई नहीं होने की मार पड़ी. इस वजह से बीते 2 सालों में ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय 70 फीसदी तक सिमट चुका है. अब जो 30 परसेंट ऑपरेटर बचे हैं वे डीजल की महंगाई और ट्रांसपोर्टर विरोधी सरकार की परिवहन नीति से जूझते हुए किसी तरह कारोबार करने को मजबूर हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.