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Indore Artificial Heart: आर्टिफिशियल हार्ट से बची गंभीर हृदय रोगी की जिंदगी, खत्म हो गई थी जिंदा रहने की उम्मीद

मध्यप्रदेश के इंदौर में हार्ट फेल मरीजों का जीवन बचाने की शुरुआत हो चुकी है. उन्नत लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्टेंट डिवाइस के जरिए अब ऐसे मरीजों को बचाना संभव हो जाएगा जिनके हृदय की धड़कने की गति 5 परसेंट तक बची होगी. मध्य भारत में यह शुरुआत हुई है. (Indore Artificial Heart) इसका लाभ अब हृदय रोग के गंभीर मरीजों को मिल सकेगा. (Temporary Artificial Heart) (Indore Heart Surgery) (Impella Heart Surgery Hospital In Indore)

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Published : Aug 6, 2022, 12:27 PM IST

Indore Artificial Heart
इंदौर आर्टिफिशियल हार्ट से बची गंभीर हृदय रोगी की जिंदगी

इंदौर। अनियमित दिनचर्या और व्यवस्थित खानपान से जहां दुनिया भर में हृदय रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, वहीं हार्ट फैलियर की स्थिति में ऐसे मरीजों को बचा पाना मुश्किल हो रहा है. फिलहाल चिकित्सा विज्ञान ने अब इंपैला नामक ऐसा मेडिकल डिवाइस विकसित किया है, (Impella Heart Surgery Hospital In Indore)जिसमें टेंपरेरी आर्टिफिशियल हार्ट (Temporary Artificial Heart) के जरिए हार्ट फेलियर के मरीजों को बचाना संभव हो गया है.(Indore Artificial Heart) मध्य भारत के इंदौर में ख्यात कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर सरिता राव और रोशन गांव की टीम ने पहली बार एक मैकेनिकल हार्ट से ऐसे मरीज की जान बचा ली है, जिसका दिल महज 5 % ही धड़क रहा था और उसे बचा पाना लगभग असंभव था.

इंदौर आर्टिफिशियल हार्ट से बची गंभीर हृदय रोगी की जिंदगी

खत्म हो गई थी जिंदा रहने की संभावना: हार्ट फेल से जूझ रहे 5 बच्चों के पिता को टेम्परेरी अर्टिफिशियल हार्ट ने नया जीवन दिया है. मरीज का हार्ट केवल 5 प्रतिशत ही काम रहा था, यह सबसे कमजोर केस में से एक माना जा रहा है. इसमें किसान मरीज के जिंदा रहने की संभावनाएं लगभग खत्म हो गई थी. (Indore Heart Surgery) इस प्रोसेस को 'एशिया-पेसेफिक' इंटरनेशनल कांफ्रेंस में लाइव दिखाया गया, डॉक्टरों ने उन्हें सबसे उन्नत लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस "इम्पेला" का उपयोग कर उनकी जान बचाई. खास बात यह कि इस टेक्नोलॉजी का सेंट्रल इंडिया में पहली बार उपयोग हुआ है, मरीज को ट्रीटमेंट के चौथे ही दिन डिस्चार्ज कर दिया.

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तीन हार्ट थे ब्लॉकेज: मामला सुजालपुर के 50 वर्षीय किसान अर्जुन का है, वे पहले से ही डायबिटिक पेशेंट हैं. उन्हें पहले भी दो बार हार्ट अटैक आ चुका था. जिसके कारण उनका हार्ट कमजोर हो गया था. 25 जुलाई को उन्हें फिर सीने में दर्द होना शुरू हुआ. इस पर वे अपनी एक हफ्ते पुरानी इकोकार्डियोग्राफी और एंजियोग्राफी की रिपोर्ट्स लेकर एक प्राइवेट अस्पताल में दिखाने पहुंचे. डॉक्टरों ने उनकी सारी रिपोर्टस देखी और चेकअप किया. यहां डॉ के. रोशन राव और डॉ. सरिता राव की टीम ने डायग्नोस किया कि उनके उनके पास ज्यादा समय नहीं है क्योंकि हार्ट में तीन ब्लॉकेज थे. इसके साथ ही उनका हार्ट पंपिंग सिर्फ 5% काम करने के कारण समय तेजी से खत्म हो रहा था. टीम ने हार्ट ट्रांसप्लांट सहित अन्य कई विकल्पों के बारे में सोचा लेकिन पेशेंट की स्थिति और स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए उपलब्ध सभी विकल्प उनके लिए ठीक नहीं थे.

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ऐसे काम करता है आर्टिफिशियल हार्ट: आर्टिफिशियल हार्ट कही जाने वाली इंपैला डिवाइस दुनिया की सबसे उन्नत लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस है. इसमें खून का थक्का जमना बंद हो जाता है. जिससे हार्ट में स्ट्रोक की आशंका कम हो जाती है. सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें मरीज के पैरामीटर्स को जल्दी से ऐड करने की क्षमता होती है. सीनियर इंटरवेंशन कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर सरिता राव बताती हैं कि, हार्डवेल के मरीजों का हार्ट ट्रांसप्लांट नहीं किया जा सकता, लेकिन गंभीर रूप से बीमार ह्रदय रोगी जिनके पास अन्य और कोई विकल्प नहीं है फिर वह इस इंपैला प्रक्रिया से अपनी जान बचा सकते हैं. यह सबसे नई और उन्नत हार्ट सर्जरी में से एक है. जो सेंट्रल इंडिया में पहली बार इंदौर में शुरू हो सकी है.

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उम्मीद होने के बावजूद बच गई जिंदगी: सर्जरी के बाद पहली बार स्वस्थ होकर सामने आए अर्जुन बताते हैं कि, "कई बार हार्ट अटैक आने के बाद कई डॉक्टरों का इलाज ले चुका था. इसलिए अब इलाज छोड़ने का फैसला कर लिया था. लेकिन डॉ. सरिता और डॉ रोशन राव ने जब इस सर्जरी के बारे में बताया तो और कोई विकल्प ना देख कर सहमति दी. डॉक्टरों ने टेंपरेरी आर्टिफिशियल हार्ट की मदद से उनकी एंजो प्लास्टिक सर्जरी की है, जो सफल रही है. आज मुझे खुशी है कि इस सर्जरी के 3 दिन बाद में अच्छा महसूस कर रहा हूं और मेरी जान बच गई है. जिस समय मेरा ऑपरेशन चल रहा था वह खुद भी स्क्रीन में अपनी सर्जरी देख पा रहे थे. मेरे ऑपरेशन को हैदराबाद में आयोजित एशिया पेसिफिक वर्कशॉप में इंटरनेशनल कांफ्रेंस के दौरान लाइव दिखाया जा रहा था, जिसमें देश विदेश के बड़े डॉक्टर मेरे केस के बारे में विचार विमर्श कर रहे थे."

इंदौर। अनियमित दिनचर्या और व्यवस्थित खानपान से जहां दुनिया भर में हृदय रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, वहीं हार्ट फैलियर की स्थिति में ऐसे मरीजों को बचा पाना मुश्किल हो रहा है. फिलहाल चिकित्सा विज्ञान ने अब इंपैला नामक ऐसा मेडिकल डिवाइस विकसित किया है, (Impella Heart Surgery Hospital In Indore)जिसमें टेंपरेरी आर्टिफिशियल हार्ट (Temporary Artificial Heart) के जरिए हार्ट फेलियर के मरीजों को बचाना संभव हो गया है.(Indore Artificial Heart) मध्य भारत के इंदौर में ख्यात कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर सरिता राव और रोशन गांव की टीम ने पहली बार एक मैकेनिकल हार्ट से ऐसे मरीज की जान बचा ली है, जिसका दिल महज 5 % ही धड़क रहा था और उसे बचा पाना लगभग असंभव था.

इंदौर आर्टिफिशियल हार्ट से बची गंभीर हृदय रोगी की जिंदगी

खत्म हो गई थी जिंदा रहने की संभावना: हार्ट फेल से जूझ रहे 5 बच्चों के पिता को टेम्परेरी अर्टिफिशियल हार्ट ने नया जीवन दिया है. मरीज का हार्ट केवल 5 प्रतिशत ही काम रहा था, यह सबसे कमजोर केस में से एक माना जा रहा है. इसमें किसान मरीज के जिंदा रहने की संभावनाएं लगभग खत्म हो गई थी. (Indore Heart Surgery) इस प्रोसेस को 'एशिया-पेसेफिक' इंटरनेशनल कांफ्रेंस में लाइव दिखाया गया, डॉक्टरों ने उन्हें सबसे उन्नत लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस "इम्पेला" का उपयोग कर उनकी जान बचाई. खास बात यह कि इस टेक्नोलॉजी का सेंट्रल इंडिया में पहली बार उपयोग हुआ है, मरीज को ट्रीटमेंट के चौथे ही दिन डिस्चार्ज कर दिया.

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तीन हार्ट थे ब्लॉकेज: मामला सुजालपुर के 50 वर्षीय किसान अर्जुन का है, वे पहले से ही डायबिटिक पेशेंट हैं. उन्हें पहले भी दो बार हार्ट अटैक आ चुका था. जिसके कारण उनका हार्ट कमजोर हो गया था. 25 जुलाई को उन्हें फिर सीने में दर्द होना शुरू हुआ. इस पर वे अपनी एक हफ्ते पुरानी इकोकार्डियोग्राफी और एंजियोग्राफी की रिपोर्ट्स लेकर एक प्राइवेट अस्पताल में दिखाने पहुंचे. डॉक्टरों ने उनकी सारी रिपोर्टस देखी और चेकअप किया. यहां डॉ के. रोशन राव और डॉ. सरिता राव की टीम ने डायग्नोस किया कि उनके उनके पास ज्यादा समय नहीं है क्योंकि हार्ट में तीन ब्लॉकेज थे. इसके साथ ही उनका हार्ट पंपिंग सिर्फ 5% काम करने के कारण समय तेजी से खत्म हो रहा था. टीम ने हार्ट ट्रांसप्लांट सहित अन्य कई विकल्पों के बारे में सोचा लेकिन पेशेंट की स्थिति और स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए उपलब्ध सभी विकल्प उनके लिए ठीक नहीं थे.

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ऐसे काम करता है आर्टिफिशियल हार्ट: आर्टिफिशियल हार्ट कही जाने वाली इंपैला डिवाइस दुनिया की सबसे उन्नत लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस है. इसमें खून का थक्का जमना बंद हो जाता है. जिससे हार्ट में स्ट्रोक की आशंका कम हो जाती है. सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें मरीज के पैरामीटर्स को जल्दी से ऐड करने की क्षमता होती है. सीनियर इंटरवेंशन कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर सरिता राव बताती हैं कि, हार्डवेल के मरीजों का हार्ट ट्रांसप्लांट नहीं किया जा सकता, लेकिन गंभीर रूप से बीमार ह्रदय रोगी जिनके पास अन्य और कोई विकल्प नहीं है फिर वह इस इंपैला प्रक्रिया से अपनी जान बचा सकते हैं. यह सबसे नई और उन्नत हार्ट सर्जरी में से एक है. जो सेंट्रल इंडिया में पहली बार इंदौर में शुरू हो सकी है.

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उम्मीद होने के बावजूद बच गई जिंदगी: सर्जरी के बाद पहली बार स्वस्थ होकर सामने आए अर्जुन बताते हैं कि, "कई बार हार्ट अटैक आने के बाद कई डॉक्टरों का इलाज ले चुका था. इसलिए अब इलाज छोड़ने का फैसला कर लिया था. लेकिन डॉ. सरिता और डॉ रोशन राव ने जब इस सर्जरी के बारे में बताया तो और कोई विकल्प ना देख कर सहमति दी. डॉक्टरों ने टेंपरेरी आर्टिफिशियल हार्ट की मदद से उनकी एंजो प्लास्टिक सर्जरी की है, जो सफल रही है. आज मुझे खुशी है कि इस सर्जरी के 3 दिन बाद में अच्छा महसूस कर रहा हूं और मेरी जान बच गई है. जिस समय मेरा ऑपरेशन चल रहा था वह खुद भी स्क्रीन में अपनी सर्जरी देख पा रहे थे. मेरे ऑपरेशन को हैदराबाद में आयोजित एशिया पेसिफिक वर्कशॉप में इंटरनेशनल कांफ्रेंस के दौरान लाइव दिखाया जा रहा था, जिसमें देश विदेश के बड़े डॉक्टर मेरे केस के बारे में विचार विमर्श कर रहे थे."

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