इंदौर। शहर में भारी बारिश के चलते जर्जर मकानों के गिरने का सिलसिला जारी है, लेकिन इन जर्जर मकानों को लेकर नगर निगम अधिकारियों ने अभी तक किसी भी प्रकार की जागरूकता नहीं दिखाई है. अधिकारी लाख दावे कर लें, इसके बावजूद शहर में कई ऐसे जर्जर मकान हैं, जिनसे आम जनता की जान आफत में है. जब इसकी पड़ताल की गई तो सामने आया कि अधिकारी जर्जर मकानों को बारिश पूर्व गिराने के दावे तो कर चुके हैं, लेकिन उनके दावे खोखले रह गए हैं.
देवास में बहुमंजिला इमारत गिरने के बाद इंदौर नगर निगम के अधिकारियों की चिंताएं फिर से बढ़ गई हैं. इसके बावजूद नगर निगम ने शहर में जर्जर मकानों को लेकर किसी प्रकार की कार्रवाई शुरू नहीं की है. नगर निगम दोबारा शहर के खतरनाक मकानों के परीक्षण का काम शुरू करेगा. इंदौर में हर साल बारिश के पहले नगर निगम जर्जर और अति खतरनाक श्रेणी के मकानों को गिराने की कार्रवाई करता है. इस साल भी निगम ने बारिश पूर्व सर्वे कर शहर के 26 अति खतरनाक और 99 खतरनाक सहित 125 मकानों की सूची तैयार की थी. जिस पर नगर निगम ने कार्रवाई करते हुए सभी 26 अति खतरनाक भवनों को ध्वस्त कर दिया था, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण नगर निगम खतरनाक श्रेणी के 99 मकान में से किसी मकान को गिराने की कार्रवाई नहीं कर पाया है.
जर्जर मकानों से हो चुके दो बड़े हादसे
इंदौर शहर में कुछ सालों पहले एमएस होटल और खातीपुरा स्थित मकान गिरने के कारण पहले भी कई बड़े हादसे हो चुके हैं. जिसमें लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी थी, इसके बावजूद शहर में मौजूद जर्जर मकानों को लेकर नगर निगम ने किसी प्रकार की सख्ती नहीं दिखाई. बारिश शुरु होने से पहले नगर निगम मकानों को नोटिस देकर उन्हें खतरनाक भवन घोषित तो कर देता है, लेकिन उन्हें हटाने की कार्रवाई नहीं की जाती.
26 अति खतरनाक मकानों को गिराने की कार्रवाई
नगर निगम बारिश के पहले शहर के 26 अति खतरनाक मकानों पर कार्रवाई कर उन्हें गिरा दिया था. इसके बाद कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन लगा दिया गया और नगर निगम की कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई. शहर में मौजूद खतरनाक भवनों को लेकर नगर निगम ने दोबारा कोई कार्रवाई शुरू नहीं की. यही कारण है कि लॉकडाउन हटने के बाद जब शहर में तेज बारिश हुई तो कई मकान गिरने की सूचनाएं सामने आने लगीं.
इंदौर शहर में हर वर्ष अनंत चतुर्दशी के चल समारोह के पहले जर्जर मकानों का मुद्दा गरमाता है, इसके बावजूद नगर निगम शहर में मौजूद जर्जर मकानों पर कार्रवाई नहीं कर पाया. जिसके पीछे की बड़ी वजह मकान मालिक और किराएदारों का विवाद भी है. कई मकानों पर कोर्ट में चल रहे केस के कारण भी कार्रवाई नहीं की जाती है.