इंदौर। मध्य प्रदेश के पावर प्लांट को जरूरत के मुताबिक कोयले की आपूर्ति नहीं होने से बिजली का संकट बढ़ने की आशंका है. इस बीच भाजपा ने प्रदेश के कोयले के संकट के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध को जिम्मेदार ठहराया है. इंदौर में भाजपा नेता गोविंद मालू की मानें तो रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत में कोयले का आयात नहीं हो पा रहा है. इसी वजह से मध्य प्रदेश में भी कोयले का संकट बढ़ता जा रहा है. प्रदेश में 2,72,000 मैट्रिक टन कोयला बचा है. मांग के अनुरूप ये 13 फीसदी ही कोयला है. ऐसी स्थिति में आशंका जताई जा रही है कि, मध्य प्रदेश में बिजली संकट गहरा सकता है. (Coal Crisis in MP)
जरूरत के मुताबिक नहीं मिल रही बिजली: मध्य प्रदेश बिजली संकट की ओर बढ़ रहा है. मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी ने 22,000 मेगावाट बिजली का एग्रीमेंट किया है. लेकिन प्रदेश में जितनी खपत है, उतनी बिजली नहीं आ रही. जरूरत 12 हजार मेगावाट की है, मिल रही है 10 हजार मेगावाट. 2 हजार मेगावाट की कमी पूरी करने के लिए ग्रामीण इलाकों में अघोषित कटौती की जा रही है. यह तब है जब प्रदेश में सबसे ज्यादा बिजली खपत भी नहीं हो रही है. अक्टूबर-नवंबर में खपत 16,000 मेगावाट तक पहुंच जाती है. जानकारी के मुताबिक प्रदेश में रोज 58 हजार मैट्रिक टन कोयले की खपत होती है. जबकि 50,000 मैट्रिक टन की उपलब्धता है. इसके अलावा कोयले का स्टॉक भी अब खत्म होने को है. इसलिए केंद्र से कोयले की आपूर्ति बढ़ाने की मांग उठ रही है. (Coal Shortage in MP)
सीएम के कार्यक्रम में गुल हुई थी बिजली : यह मामला तब सुर्खियों में आया जब राजधानी भोपाल के प्रशासन अकादमी में आयोजित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संबोधन के दौरान बिजली गुल हो गई. उस दौरान प्रदेश में कोयले के संकट की बात मुख्यमंत्री ने स्वीकार की थी. विभाग भी अतिरिक्त कोयले की मांग कर रहा है.
कटौती की तीन वजह:
- प्रदेश में सिंचाई के साधन बढ़े हैं. जिससे गर्मी में बड़े पैमाने पर सब्जी और उड़द-मूंग की खेती होने लगी है.
- कोविड काल में दो साल उद्योग-धंधे बंद रहे, इस साल छोटे कुटीर-उद्योग धंधे तेजी से काम कर रहे हैं.
- गर्मी के कारण एसी-कूलर का यूज बढ़ गया है.
- शहर और कस्बों में बिजली की खपत बढ़ गई है.