इंदौर। शहर के बाहर स्थित रिंग रोड और अन्य नेशनल हाईवे पर पिछले कुछ सालों में इन सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ी है, जिस कारण दुर्घटनाओं की संख्या में भी इजाफा हुआ है. बावजूद इसके सड़कों पर कहीं भी आपातकालीन चिकित्सा केंद्रों की स्थापना नहीं की गई है.
इलाज मिलने से पहले टूट जाता है दम
जब भी इंदौर की बाहरी सड़कों दुर्घटनाएं होती हैं, तो घायल को इलाज के लिए शहर के मध्य स्थित सरकारी अस्पताल तक लाना पड़ता है. ऐसे में कई बार तो वह इलाज मिलने से पहले ही दम तोड़ देता है.
इंदौर शहर में 3 तरफ के हाईवे निकलते हैं, जहां पर वाहनों की गति अत्यधिक होती है. लगातार हो रही दुर्घटनाओं में अधिकतर संख्या इन्हीं सड़कों में होती है. हालांकि प्रशासन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए लगातार इंतजाम करने का दावा करता है. लेकिन दुर्घटनाओं के बाद मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में हो रही देरी पर कोई खास योजना नहीं बनाई गई.
ना तो इन सड़कों के आस-पास कहीं सरकारी या प्राथमिक चिकित्सा केंद्र बनाया गया है और ना ही दुर्घटनाओं में घायलों को अस्पताल तक पहुंचाने के कोई इंतजाम.
दुर्घटना आशंकित इलाकों में सुविधाओं की कमी
दुर्घटनाओं के बाद स्वास्थ्य सुविधाएं निकट ना होने से घायलों को अस्पताल पहुंचाने में लगने वाला समय लोगों की जान पर भारी पड़ा है. डीपीएस बस हादसे के बाद भी लगातार यह सवाल खड़े हुए थे की आसपास कोई स्वास्थ्य सुविधाएं मौजूद नहीं है, लेकिन तमाम दावे होने के बावजूद अभी तक किसी प्रकार के ट्रामा सेंटर और प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों की सुविधाएं इन सड़कों पर नहीं दी गई.
सड़कों पर ट्रामा सेंटर की मांग
इंदौर में इन सड़कों पर पुलिस ने आपातकालीन सहायता के लिए कई बोर्ड लगाए हैं, जिनमें फोन नंबर दिए गए हैं. लेकिन कई बार यह नंबर बंद मिलते हैं या संपर्क के घायल व्यक्ति तक मदद पहुंचने में काफी समय लग जाता है. ऐसे में इन सड़कों पर ट्रामा सेंटर की सुविधा की मांग उठाई जा रही है. ताकि दुर्घटनाओं में घायल होने वाले व्यक्ति की मदद तुरंत की जा सके.
अभी क्या है सुविधा
इंदौर शहर में घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए 108 की सेवाएं भी ली जाती है. अस्पताल तक घायलों के पहुंचने में ही 108 के अंदर घायल को प्राथमिक इलाज दिया जाता है और शहर के अस्पताल स्थित ट्रामा सेंटर तक घायल को भेजा जाता है.