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सालों से बिछड़े पति-पत्नी को लोक अदालत ने मिलया, खुशी-खुशी किया कोर्ट से रवाना

लोक अदालत में कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश उमेश गुप्ता ने अपने कार्य दिवस के अंतिम दिन कई सालों से बिछड़े पति पत्नी को ना सिर्फ आपस में मिलवाया बल्कि भरण पोषण को लेकर चल रहा विवाद भी खत्म करा दिया

Reconciliation between husband and wife in Gwalior Lok Adalat
बिछड़े पति-पत्नी को लोक अदालत ने मिलवाया
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Published : Dec 12, 2020, 5:23 PM IST

ग्वालियर। इस साल की अंतिम लोक अदालत में शनिवार को कुछ अलग ही माहौल रहा. साल के आखरी लोक अदालत में कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश उमेश गुप्ता ने अपने कार्य दिवस के अंतिम दिन कई सालों से बिछड़े पति पत्नी को ना सिर्फ आपस में मिलवाया बल्कि भरण पोषण को लेकर चल रहा विवाद भी खत्म करा दिया. पति ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि वह अपनी पत्नी और बच्चे को खुश रखेगा.

बिछड़े पति-पत्नी को लोक अदालत ने मिलवाया

क्या था मामला

माधव गंज इलाके में रहने वाले पति-पत्नी में कई सालों से अलगाव था. पत्नी बच्चे के साथ अलग रहती थी और भरण पोषण के लिए पति से भत्ते की मांग कर रही थी, लेकिन पति ने भत्ता देने से साफ तौर पर इंकार कर दिया था.

अंतिम कार्य दिवस में न्यायाधीश ने कराई ये सुलह

यह मामला शनिवार को कुटुंब न्यायालय में लगा था, जिससे प्रधान न्यायाधीश उमेश गुप्ता ने समझाइश के बाद दोनों में सुलह करा दी और उन्हें हंसी खुशी कोर्ट से विदा किया. खास बात यह है कि उमेश गुप्ता रतलाम जिले के जिला एवं सत्र न्यायाधीश नियुक्त हुए हैं. फैमिली कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शनिवार को उनका अंतिम कार्य दिवस था.

55 खंड पीठों का किया गया था गठन

इस बार कोविड-19 के कारण लोगों की भीड़ एक स्थान पर जमा नहीं हो इसलिए हर विभाग में अपनी लोक अदालत लगाई गई थी, लेकिन पीठासीन अधिकारी इसमें लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए. ग्वालियर जिला न्यायालय के विभिन्न मजिस्ट्रेट स्तर पर 55 खंड पीठों का गठन किया गया था.

ग्वालियर। इस साल की अंतिम लोक अदालत में शनिवार को कुछ अलग ही माहौल रहा. साल के आखरी लोक अदालत में कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश उमेश गुप्ता ने अपने कार्य दिवस के अंतिम दिन कई सालों से बिछड़े पति पत्नी को ना सिर्फ आपस में मिलवाया बल्कि भरण पोषण को लेकर चल रहा विवाद भी खत्म करा दिया. पति ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि वह अपनी पत्नी और बच्चे को खुश रखेगा.

बिछड़े पति-पत्नी को लोक अदालत ने मिलवाया

क्या था मामला

माधव गंज इलाके में रहने वाले पति-पत्नी में कई सालों से अलगाव था. पत्नी बच्चे के साथ अलग रहती थी और भरण पोषण के लिए पति से भत्ते की मांग कर रही थी, लेकिन पति ने भत्ता देने से साफ तौर पर इंकार कर दिया था.

अंतिम कार्य दिवस में न्यायाधीश ने कराई ये सुलह

यह मामला शनिवार को कुटुंब न्यायालय में लगा था, जिससे प्रधान न्यायाधीश उमेश गुप्ता ने समझाइश के बाद दोनों में सुलह करा दी और उन्हें हंसी खुशी कोर्ट से विदा किया. खास बात यह है कि उमेश गुप्ता रतलाम जिले के जिला एवं सत्र न्यायाधीश नियुक्त हुए हैं. फैमिली कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में शनिवार को उनका अंतिम कार्य दिवस था.

55 खंड पीठों का किया गया था गठन

इस बार कोविड-19 के कारण लोगों की भीड़ एक स्थान पर जमा नहीं हो इसलिए हर विभाग में अपनी लोक अदालत लगाई गई थी, लेकिन पीठासीन अधिकारी इसमें लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए. ग्वालियर जिला न्यायालय के विभिन्न मजिस्ट्रेट स्तर पर 55 खंड पीठों का गठन किया गया था.

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