ग्वालियर। देश और प्रदेश की सरकार विकास के चाहे जितने दावे कर लें, लेकिन गांवों में जाते ही इन दावों की पोल खुल जाती है. ग्वालियर के डबरा में एक गांव है खेड़ी रायमल यहां इस तथाकथित विकास की मार जिंदा ही नहीं मृतकों पर भी पड़ रही है. हाल ये है कि मृत व्यक्ति को मुक्तिधाम तक पहुंचाने के लिए भी ग्रामीणों को तैरकर नदी पार करके जाना होता है. इस परेशानी से जूझ रहे लोग प्रशासन और अपने जनप्रतिनिधियों से कई बार गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उनकी समस्या का कोई हल नहीं निकल सका है.
जान जोखिम में डाल कर पार करते हैं नदी
डबरा विकास खंड के खेड़ीरायमल गांव में जहां मुक्तिधाम बनाया गया है उसका रास्ता नदी के बीचों बीच से होकर जाता है. मुक्तिधाम गांव से लगभग 1 किलोमीटर दूर है, लेकिन गांव में किसी की भी मौत हो जाने अर्थी को मुक्तिधाम तक ले जाने का एकमात्र रास्ता यही है. गांव वाले अपनी जान जोखिम में डालकर तैरकर नदी पार करते हैं उसके बाद ही मृतक का अंतिम संस्कार हो पाता है. ऐसा नहीं है कि गांव वाले ऐसा करके खुश हैं. वे अपनी इस परेशानी और नदी पर रपटे का निर्माण कराने की मांग को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से भी गुहार लगा चुके हैं लेकिन उनकी समस्या का अभी तक कोई हल नहीं निकल सका है. ग्रामीणों का कहना है कि बारिश के दिनों में उनकी समस्या काफी बढ़ जाती है. इस दौरान गांव में अगर किसी की मौत हो जाती है तो हम लोगों को 3 से 4 दिन शव को घर में ही रखना पड़ता है. इसके बाद नदी का पानी थोड़ा उतर जाने के बाद ही मृतक का अंतिम संस्कार किया जाता है.