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रिकॉर्ड टूटा लेकिन स्वास्थ्य विभाग ही छूटा, 6 हजार को पहला 21 हजार वर्कर्स को नहीं लगा वैक्सीन का दूसरा डोज

एक तरफ जहां मध्यप्रदेश में रिकॉर्ड वैक्सीनेशन हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग के ही 6 हजार फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन का पहला डोज भी नहीं लगा है. मामला ग्वालियर जिले का है जहां 21 हजार से ज्यादा फ्रंटलाइन वर्कर को अभी तक दूसरा डोज नहीं लग सका है.

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रिकॉर्ड टूटा लेकिन स्वास्थ्य विभाग ही छूटा
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Published : Jun 28, 2021, 7:30 PM IST

ग्वालियर। चिराग तले अंधेरा...जी हां कुछ इसी तर्ज पर काम कर रहा है स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन. प्रदेश भर में ज्यादा से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेट किया जा रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन अपने ही 6 हजार से ज्यादा फ्रंटलाइन वर्कर्स का टीकाकरण नहीं कर पा रहा है. इसके अलावा जिले में 21 हजार से ज्यादा ऐसे फ्रंटलाइन वर्कर हैं जो पहला डोज लगवा चुके हैं, लेकिन इन्हें दूसरा डोज लगवाने में स्वास्थ्य विभाग नाकाम साबित हो रहा है. मामला सामने आने के बाद दूसरे डोज के लिए इन फ्रंटलाइन वर्कर को स्मार्ट सिटी कंट्रोल एंड कमांड सेंटर के जरिए जानकारी डाउनलोड कर वैक्सीन के दूसरे डोज के लिए प्रेरित करने का कार्यक्रम चलाए जाने की बात की जा रही है.

रिकॉर्ड टूटा लेकिन स्वास्थ्य विभाग ही छूटा

5 महीने बीते, फ्रंटलाइन वर्कर ही नहीं पहुंचे वैक्सीनेशन सेंटर

प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग टीकाकरण की तेज रफ्तार से भले ही गदगद हैं, लेकिन उन्हें इस मामले में अपनी नाकामी देखने में 5 महीने से ज्यादा का वक्त लग गया. अभी मौजूदा हालात यह है कि जिले का स्वास्थ्य विभाग अपने 6 हजार से ज्यादा फ्रंटलाइन वर्कर को वैक्सीन का पहला डोज भी नहीं लगा पाया है. यह हालत तब है जब फ्रंटलाइन वर्करों के संक्रमित होने का खतरा सबसे ज्यादा है.

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रिकॉर्ड टूटा लेकिन स्वास्थ्य विभाग ही छूटा
  • जिले में 16 जनवरी को वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई थी.
  • इसमें सबसे पहले फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर को टीका लगाने का काम किया गया.
  • स्वास्थ्य विभाग के शहर में 16 हजार 990 कर्मचारी हैं.
  • इसमें से 14730 को पहला डोज लगा है. इनमें से 10086 ने दूसरा डोज भी ले लिया है.
  • जबकि कुल 44 हजार 911 हेल्थ और अन्य विभागों के फ्रंटलाइन वर्कर में से 6023 का अभी वैक्सीनेशन हुआ ही नहीं है.
  • वैक्सीनेशन का काम शुरू हुए लगभग 6 महीने का समय बीत चुका है. इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग अपने सभी कर्मचारियों का टीकाकरण नहीं करा सका है.

वैक्सीनेशन में एक और रिकॉर्ड: 2 करोड़ लोगों को पहला डोज लगाने वाला राज्य बना MP

तीसरी लहर की दस्तक, विभाग पर कोई प्लान ही नही

  • 6000 फ्रंटलाइन वर्करों को वैक्सीन का पहला डोज भी नहीं लगा है.
  • जिन्हें दूसरा डोज नहीं लगा इनकी संख्या जिले में 21 हजार से अधिक है.
  • इन फ्रंटलाइन वर्करों को वैक्सीन का दूसरा डोज लगवाने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से कोई इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं.
  • जिले में कुल स्वास्थ्य कर्मचारी और फ्रंटलाइन वर्करों की संख्या 45 हजार से अधिक है.
  • इन फ्रंट लाइन वर्कर्स में नगर निगम, स्वास्थ विभाग सहित जिला प्रशासन के कर्मचारी शामिल हैं.
  • जिनमें से लगभग 38 हजार को वैक्सीन का पहला डोज लग चुका है. जबकि सिर्फ 23 हजार लोगों ने अभी तक दूसरा डोज लिया है.
  • बचे हुए स्वास्थ्य कर्मचारियों और फ्रंटलाइन वर्करों को दूसरा डोज लगवाने के लिए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाये हैं.
  • प्रदेश में सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड बना चुके स्वास्थ्य विभाग की हालत यह है कि वह फ्रंटलाइन वर्कर्स को भी टीकाकरण के लिए प्रेरित करने में नाकाम साबित हुआ है.

फ्रंटलाइन वर्कर, किसे लगा टीका, कौन छूटा

  • जिले में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की संख्या 26 हजार 990 है. इनमें 14 हजार 730 को लगा पहला डोज, 10 हजार लगवा चुके हैं दूसरा डोज. 2230 कर्मचारियों का नहीं हुआ वैक्सीनेशन.
  • कुल फ्रंटलाइन वर्कर की संख्या 27 हजार 905 है, जिनमें से 24 हजार 258 लोगों को पहला और 13 हजार 400 लोगों को दूसरा डोज, जबकि 3763 लोगों को वैक्सीन का एक भी डोज नहीं लगा है.
  • जिले मे 2 लाख 83 हजार 400 महिलाओं और 3 लाख 85 हजार 112 पुरुषों का टीकाकरण किया जा चुका है.

अब जागा स्वास्थ्य विभाग, जारी करेगा आदेश
ग्वालियर जिले में स्वास्थ्य विभाग की अपने ही कर्मचारियों का वैक्सीनेशन न करा पाने की नाकामी को लेकर सीएमएचओ मनीष शर्मा का कहना था कि ऐसे सभी फ्रंटलाइन वर्करों को आदेश जारी कर रहे हैं. लोगों को प्रेरित भी किया जाएगा ताकि वे जल्द से जल्द टीकाकरण कराएं. इसके साथ ही जो लोग टीकाकरण सेंटर पर नहीं पहुंच रहे हैं उन फ्रंटलाइन वर्करों को बुलवाकर वैक्सीन लगवाई जाएगी. सीएचएमओ कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की रोकथाम के लिए ज्यादा से ज्यादा टीकाकरण कराने पर जोर तो देते हैं, लेकिन अपने ही विभाग की नाकामी पर चुप्पी साध जाते हैं. जबकि फ्रंटलाइन वर्कर ही वे स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के तमाम विभागों के वे कर्मचारी है जिनके संक्रमित होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है. ऐसे में यह लापरवाही लोगों की जान पर भी भारी पड़ सकती है.

ग्वालियर। चिराग तले अंधेरा...जी हां कुछ इसी तर्ज पर काम कर रहा है स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन. प्रदेश भर में ज्यादा से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेट किया जा रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन अपने ही 6 हजार से ज्यादा फ्रंटलाइन वर्कर्स का टीकाकरण नहीं कर पा रहा है. इसके अलावा जिले में 21 हजार से ज्यादा ऐसे फ्रंटलाइन वर्कर हैं जो पहला डोज लगवा चुके हैं, लेकिन इन्हें दूसरा डोज लगवाने में स्वास्थ्य विभाग नाकाम साबित हो रहा है. मामला सामने आने के बाद दूसरे डोज के लिए इन फ्रंटलाइन वर्कर को स्मार्ट सिटी कंट्रोल एंड कमांड सेंटर के जरिए जानकारी डाउनलोड कर वैक्सीन के दूसरे डोज के लिए प्रेरित करने का कार्यक्रम चलाए जाने की बात की जा रही है.

रिकॉर्ड टूटा लेकिन स्वास्थ्य विभाग ही छूटा

5 महीने बीते, फ्रंटलाइन वर्कर ही नहीं पहुंचे वैक्सीनेशन सेंटर

प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग टीकाकरण की तेज रफ्तार से भले ही गदगद हैं, लेकिन उन्हें इस मामले में अपनी नाकामी देखने में 5 महीने से ज्यादा का वक्त लग गया. अभी मौजूदा हालात यह है कि जिले का स्वास्थ्य विभाग अपने 6 हजार से ज्यादा फ्रंटलाइन वर्कर को वैक्सीन का पहला डोज भी नहीं लगा पाया है. यह हालत तब है जब फ्रंटलाइन वर्करों के संक्रमित होने का खतरा सबसे ज्यादा है.

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रिकॉर्ड टूटा लेकिन स्वास्थ्य विभाग ही छूटा
  • जिले में 16 जनवरी को वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई थी.
  • इसमें सबसे पहले फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर को टीका लगाने का काम किया गया.
  • स्वास्थ्य विभाग के शहर में 16 हजार 990 कर्मचारी हैं.
  • इसमें से 14730 को पहला डोज लगा है. इनमें से 10086 ने दूसरा डोज भी ले लिया है.
  • जबकि कुल 44 हजार 911 हेल्थ और अन्य विभागों के फ्रंटलाइन वर्कर में से 6023 का अभी वैक्सीनेशन हुआ ही नहीं है.
  • वैक्सीनेशन का काम शुरू हुए लगभग 6 महीने का समय बीत चुका है. इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग अपने सभी कर्मचारियों का टीकाकरण नहीं करा सका है.

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तीसरी लहर की दस्तक, विभाग पर कोई प्लान ही नही

  • 6000 फ्रंटलाइन वर्करों को वैक्सीन का पहला डोज भी नहीं लगा है.
  • जिन्हें दूसरा डोज नहीं लगा इनकी संख्या जिले में 21 हजार से अधिक है.
  • इन फ्रंटलाइन वर्करों को वैक्सीन का दूसरा डोज लगवाने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से कोई इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं.
  • जिले में कुल स्वास्थ्य कर्मचारी और फ्रंटलाइन वर्करों की संख्या 45 हजार से अधिक है.
  • इन फ्रंट लाइन वर्कर्स में नगर निगम, स्वास्थ विभाग सहित जिला प्रशासन के कर्मचारी शामिल हैं.
  • जिनमें से लगभग 38 हजार को वैक्सीन का पहला डोज लग चुका है. जबकि सिर्फ 23 हजार लोगों ने अभी तक दूसरा डोज लिया है.
  • बचे हुए स्वास्थ्य कर्मचारियों और फ्रंटलाइन वर्करों को दूसरा डोज लगवाने के लिए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाये हैं.
  • प्रदेश में सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन का रिकॉर्ड बना चुके स्वास्थ्य विभाग की हालत यह है कि वह फ्रंटलाइन वर्कर्स को भी टीकाकरण के लिए प्रेरित करने में नाकाम साबित हुआ है.

फ्रंटलाइन वर्कर, किसे लगा टीका, कौन छूटा

  • जिले में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की संख्या 26 हजार 990 है. इनमें 14 हजार 730 को लगा पहला डोज, 10 हजार लगवा चुके हैं दूसरा डोज. 2230 कर्मचारियों का नहीं हुआ वैक्सीनेशन.
  • कुल फ्रंटलाइन वर्कर की संख्या 27 हजार 905 है, जिनमें से 24 हजार 258 लोगों को पहला और 13 हजार 400 लोगों को दूसरा डोज, जबकि 3763 लोगों को वैक्सीन का एक भी डोज नहीं लगा है.
  • जिले मे 2 लाख 83 हजार 400 महिलाओं और 3 लाख 85 हजार 112 पुरुषों का टीकाकरण किया जा चुका है.

अब जागा स्वास्थ्य विभाग, जारी करेगा आदेश
ग्वालियर जिले में स्वास्थ्य विभाग की अपने ही कर्मचारियों का वैक्सीनेशन न करा पाने की नाकामी को लेकर सीएमएचओ मनीष शर्मा का कहना था कि ऐसे सभी फ्रंटलाइन वर्करों को आदेश जारी कर रहे हैं. लोगों को प्रेरित भी किया जाएगा ताकि वे जल्द से जल्द टीकाकरण कराएं. इसके साथ ही जो लोग टीकाकरण सेंटर पर नहीं पहुंच रहे हैं उन फ्रंटलाइन वर्करों को बुलवाकर वैक्सीन लगवाई जाएगी. सीएचएमओ कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की रोकथाम के लिए ज्यादा से ज्यादा टीकाकरण कराने पर जोर तो देते हैं, लेकिन अपने ही विभाग की नाकामी पर चुप्पी साध जाते हैं. जबकि फ्रंटलाइन वर्कर ही वे स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के तमाम विभागों के वे कर्मचारी है जिनके संक्रमित होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है. ऐसे में यह लापरवाही लोगों की जान पर भी भारी पड़ सकती है.

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