ग्वालियर। मुरैना के प्रसिद्ध माता बसैया मंदिर के स्वामित्व को लेकर दशकों से विवाद चल रहा है. वहीं हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने विवाद का पटाक्षेप करते हुए कहा है कि मंदिर पर वादी और प्रतिवादी अपना दावा साबित करने में असफल रहे हैं. इसलिए विवादित काली माई मंदिर और उसकी संपत्ति पर सिर्फ वहां के देवता का ही हक है. निचली अदालत के समक्ष वादी और उसके पिता ने विवादित भूमि के संबंध में तहसीलदार द्वारा पट्टा प्रदान करना बताया था. जबकि उस विवादित भूमि पर वादी का कोई स्वामित्व नहीं था
पूर्व में औकाफ की संपत्ति था मंदिर: जस्टिस राजीव श्रीवास्तव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि दस्तावेजों के अवलोकन से सिद्ध होता है कि माता बसैया काली माई मंदिर को लेकर पुजारी एवं महंत के बीच विवाद हुआ था. मंदिर के पुजारी इस मुकदमे के पक्षकार थे. साल 1932 से वादियों के बीच मुकदमे बाजी शुरू हुई थी. पूर्व में मंदिर भूमि का स्वामित्व संबंधित व्यक्ति शंकर सिंह को सौंपा गया था. इस संबंध में विभिन्न मुकदमों के बावजूद जमीन पर कब्जे को लेकर अभी तक कोई अंतिम निष्कर्ष नहीं निकल सका है. पहले यह मंदिर औकाफ की संपत्ति था.
कोर्ट ने कलेक्टर को दिये निर्देश: वहीं कोर्ट ने मुरैना कलेक्टर को मंदिर की देखरेख और कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा मंदिर के लिए नए सिरे से पुजारी की नियुक्ति करने की भी बात की है. कोर्ट का कहना है कि मंदिर में जो भी कमाई होगी वह देवता की संपत्ति होगी. इसका उपयोग वहां के विकास के लिए किया जाएगा. मंदिर का प्रबंधन धार्मिक संस्कार, अनुष्ठान, भंडारा पर इसे खर्च कर सकेंगे. कलेक्टर को 15 दिन के अंदर कंप्लायंस रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं.
दशकों से चल रहा विवाद: माता बसैया मंदिर के महंत पुजारी तथा अन्य के बीच कई दशकों से विवाद चल रहा है. सभी पक्ष अपना अपना स्वामित्व मंदिर पर होने का दावा करते रहे हैं. मंदिर के बड़े भूभाग परिसर के अलावा मंदिर से लगी सैकड़ों बीघा जमीन भी इसके पेटे में आती है जिस पर बंटाई पर खेती बाड़ी होती है. माना जा रहा है कि माता बसैया मंदिर देवता की संपत्ति साबित होने के बाद इस के दावेदार सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं.