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Indian Monalisa Shalabhanjika: ग्वालियर के इस महल में रखी है विश्व प्रसिद्ध शालभंजिका की मूर्ति, साउथ अफ्रीका से मिला ऐसी 5 मूर्तियां तैयार कराने का ऑर्डर

इंडियन मोनालिसा के नाम से मशहूर शालभंजिका (Indian Monalisa Shalabhanjika) की बेशकीमती प्रतिमा ग्वालियर के गुजरी महल संग्रहालय (gwalior Gujari Mahal Museum) में रखी है. इस मूर्ति की तीन विशेषताएं हैं, जिनमें से सबसे खास है कि इस पत्थर की मूर्ति में चेहरे पर मुस्कुराहट का स्पष्ट भाव दिखाई देता है, जिसे देख हर कोई इसका कायल हो जाता है. आइए अब जानते हैं क्या है शालभंजिका की और विशेषताएं-

Indian Monalisa Shalabhanjika statue placed in gwalior
इंडियन मोनालिसा शालभंजिका
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Published : May 25, 2022, 8:04 PM IST

ग्वालियर। मुस्कान बिल्कुल लियोनार्दो दा विंची की मोनालिसा जैसी... कीमत अनमोल, शरीर सौष्ठव जैसा, जिससे नजरें हटाने का दिल न करें. जी हां हम किसी मॉडल की तारीफ नहीं कर रहे हैं, बल्कि यह सारी खूबियां 10वीं शताब्दी की प्राचीन प्रतिमा शालभंजिका (Indian Monalisa Shalabhanjika) के रूप में सौंदर्य में मौजूद है. इंडियन मोनालिसा के नाम से मशहूर शालभंजिका की प्रतिमा ग्वालियर के गुजरी महल संग्रहालय (gwalior Gujari Mahal Museum) में रखी है. शालभंजिका एक ऐसी महिला की प्रतिमा जो अपने शारीरिक सौंदर्य और मोहक मुस्कान की वजह से कई देशों में सराही जा चुकी है. त्रिभंग मुद्रा में खड़ी एक महिला की दुर्लभ और अद्वितीय पत्थर की मूर्ति शालभंजिका विदिशा के पास ग्यारसपुर गांव में खुदाई के दौरान मिली थी, इसके चेहरे पर अद्वितीय मुस्कान के कारण इसे इंडियन मोनालिसा भी कहा जाता है.

ग्वालियर के गुजरी महल संग्रहालय में रखी है शालभंजिका की बेशकीमती प्रतिमा

शालभंजिका की तीन विशेषताएं: इतिहासकारों की मानें तो शालभंजिका की तीन विशेषता है, जिसके कारण दुनिया भर में उसे अनमोल माना जाता है.
- पत्थर की मूर्ति है फिर भी उसके चेहरे पर मुस्कुराहट का भाव स्पष्ट दिखाई देता है.
- 10वीं और 11वीं शताब्दी की इस प्रतिमा में ऐसे अधोवस्त्र दिखाई देते हैं, जो आज के आधुनिक समाज में दिखाई दे रहे हैं.
- मुस्कान बिल्कुल लिओनार्दो दा विंची की मोनालिसा जैसी है, जो देखता है वह देखता ही रह जाता है.

यह है प्रतिमा की कीमत: 10वीं शताब्दी में बनी शालभंजिका देश की सुंदरता का लक्ष्य माना जाता है, शालभंजिका को विदेशों में भी इंडियन मोनालिसा और मास्टर पीस ऑफ आर्ट्स जैसी नामों से जाना जाता है. इन्हीं खूबियों के चलते यह भारत में 1000 साल बाद भी श्रेष्ठ कृतियों में शुमार है. शालभंजिका की प्रतिमा की कीमत करीब 200 करोड़ है, यह बेहद ही अनमोल है. यह मूर्ति ग्वालियर किले के गुजरी महल में स्थित एक कमरे में कैद है.

मृगनयनी की तीन शर्तों को पूरा कर राजा मानसिंह ने लिखी थी 'इश्क की दास्तां', इतिहास में दर्ज है अद्भुत प्रेम

कड़ी सुरक्षा के बीच रखी है प्रतिमा: गुजरी महल में स्थित शालभंजिका को विशेष सुरक्षा के घेरे में रखा गया है, गुजरी महल के बीचो-बीच स्थित एक कमरा है और इस कमरे में शालभंजिका की प्रतिमा रखी हुई है. इस कमरे के पास 4 गार्ड 24 घंटे तैनात रहते हैं, इंडियन मोनालिसा के नाम से मशहूर शालभंजिका की कीमत अनमोल है और बेशकीमती है.

विदेशों में भी शालभंजिका की मूर्ति की डिमांड: शालभंजिका की प्रदर्शनी के लिए इसे विशेष सुरक्षा के घेरे में ही कई देशों में भेजा गया है, इंडियन मोनालिसा के तौर पर मशहूर मूर्ति शालभंजिका की अब विदेश में भी जमकर डिमांड है. साउथ अफ्रीका के बिजनेसमैन ने भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय को शालभंजिका की 5 मूर्ति बनाने का ऑर्डर दिया है, भारत सरकार को मिले इस आर्डर को ग्वालियर के शिल्पकार दीपक विश्वकर्मा तैयार कर रहे हैं.

ग्वालियर के गुजरी महल में यह शालभंजिका मौजूद है और इसे इंडियन मोनालिसा भी कहते हैं. इसे देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी जो पर्यटक आते हैं वह इसके कायल हो जाते हैं. शालभंजिका को देखकर पर्यटक अचंभित हो जाते हैं. यही वजह है कि मशहूर शालभंजिका की सुंदरता के कद्रदान भारत ही नहीं बल्कि विदेश में भी है. वही जो पर्यटक इस इंडियन मोनालिसा को देखता है, वह इसे निहारता ही रह जाता है. गुजरात से आए दो पर्यटकों ने शाल भंजिका को देखा तो अद्भुत और उसकी सुंदरता को देखकर चौंक गए, उनका कहना है ऐसी प्रतिमा आज तक कभी नहीं देखी,अगर कोई इस प्रतिमा को देखता है तो उसकी आंखें नहीं हटती है. यह प्रथमा अद्भुत और आश्चर्यचकित है.
-पी सी मोविया , डिप्टी डायरेक्टर, पुरातत्व विभाग

ग्वालियर। मुस्कान बिल्कुल लियोनार्दो दा विंची की मोनालिसा जैसी... कीमत अनमोल, शरीर सौष्ठव जैसा, जिससे नजरें हटाने का दिल न करें. जी हां हम किसी मॉडल की तारीफ नहीं कर रहे हैं, बल्कि यह सारी खूबियां 10वीं शताब्दी की प्राचीन प्रतिमा शालभंजिका (Indian Monalisa Shalabhanjika) के रूप में सौंदर्य में मौजूद है. इंडियन मोनालिसा के नाम से मशहूर शालभंजिका की प्रतिमा ग्वालियर के गुजरी महल संग्रहालय (gwalior Gujari Mahal Museum) में रखी है. शालभंजिका एक ऐसी महिला की प्रतिमा जो अपने शारीरिक सौंदर्य और मोहक मुस्कान की वजह से कई देशों में सराही जा चुकी है. त्रिभंग मुद्रा में खड़ी एक महिला की दुर्लभ और अद्वितीय पत्थर की मूर्ति शालभंजिका विदिशा के पास ग्यारसपुर गांव में खुदाई के दौरान मिली थी, इसके चेहरे पर अद्वितीय मुस्कान के कारण इसे इंडियन मोनालिसा भी कहा जाता है.

ग्वालियर के गुजरी महल संग्रहालय में रखी है शालभंजिका की बेशकीमती प्रतिमा

शालभंजिका की तीन विशेषताएं: इतिहासकारों की मानें तो शालभंजिका की तीन विशेषता है, जिसके कारण दुनिया भर में उसे अनमोल माना जाता है.
- पत्थर की मूर्ति है फिर भी उसके चेहरे पर मुस्कुराहट का भाव स्पष्ट दिखाई देता है.
- 10वीं और 11वीं शताब्दी की इस प्रतिमा में ऐसे अधोवस्त्र दिखाई देते हैं, जो आज के आधुनिक समाज में दिखाई दे रहे हैं.
- मुस्कान बिल्कुल लिओनार्दो दा विंची की मोनालिसा जैसी है, जो देखता है वह देखता ही रह जाता है.

यह है प्रतिमा की कीमत: 10वीं शताब्दी में बनी शालभंजिका देश की सुंदरता का लक्ष्य माना जाता है, शालभंजिका को विदेशों में भी इंडियन मोनालिसा और मास्टर पीस ऑफ आर्ट्स जैसी नामों से जाना जाता है. इन्हीं खूबियों के चलते यह भारत में 1000 साल बाद भी श्रेष्ठ कृतियों में शुमार है. शालभंजिका की प्रतिमा की कीमत करीब 200 करोड़ है, यह बेहद ही अनमोल है. यह मूर्ति ग्वालियर किले के गुजरी महल में स्थित एक कमरे में कैद है.

मृगनयनी की तीन शर्तों को पूरा कर राजा मानसिंह ने लिखी थी 'इश्क की दास्तां', इतिहास में दर्ज है अद्भुत प्रेम

कड़ी सुरक्षा के बीच रखी है प्रतिमा: गुजरी महल में स्थित शालभंजिका को विशेष सुरक्षा के घेरे में रखा गया है, गुजरी महल के बीचो-बीच स्थित एक कमरा है और इस कमरे में शालभंजिका की प्रतिमा रखी हुई है. इस कमरे के पास 4 गार्ड 24 घंटे तैनात रहते हैं, इंडियन मोनालिसा के नाम से मशहूर शालभंजिका की कीमत अनमोल है और बेशकीमती है.

विदेशों में भी शालभंजिका की मूर्ति की डिमांड: शालभंजिका की प्रदर्शनी के लिए इसे विशेष सुरक्षा के घेरे में ही कई देशों में भेजा गया है, इंडियन मोनालिसा के तौर पर मशहूर मूर्ति शालभंजिका की अब विदेश में भी जमकर डिमांड है. साउथ अफ्रीका के बिजनेसमैन ने भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय को शालभंजिका की 5 मूर्ति बनाने का ऑर्डर दिया है, भारत सरकार को मिले इस आर्डर को ग्वालियर के शिल्पकार दीपक विश्वकर्मा तैयार कर रहे हैं.

ग्वालियर के गुजरी महल में यह शालभंजिका मौजूद है और इसे इंडियन मोनालिसा भी कहते हैं. इसे देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी जो पर्यटक आते हैं वह इसके कायल हो जाते हैं. शालभंजिका को देखकर पर्यटक अचंभित हो जाते हैं. यही वजह है कि मशहूर शालभंजिका की सुंदरता के कद्रदान भारत ही नहीं बल्कि विदेश में भी है. वही जो पर्यटक इस इंडियन मोनालिसा को देखता है, वह इसे निहारता ही रह जाता है. गुजरात से आए दो पर्यटकों ने शाल भंजिका को देखा तो अद्भुत और उसकी सुंदरता को देखकर चौंक गए, उनका कहना है ऐसी प्रतिमा आज तक कभी नहीं देखी,अगर कोई इस प्रतिमा को देखता है तो उसकी आंखें नहीं हटती है. यह प्रथमा अद्भुत और आश्चर्यचकित है.
-पी सी मोविया , डिप्टी डायरेक्टर, पुरातत्व विभाग

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