ग्वालियर। हाईकोर्ट खंडपीठ ने आर्य समाज की संस्थाओं में होने वाली शादियों पर एक बार फिर सवाल उठाया है. हाईकोर्ट ने माना है कि शादियों के लिए कुछ आर्य समाज की संस्थाएं दुकानों के रूप में बदल चुकी है. आर्य समाज में होने वाली शादियों में कोर्ट द्वारा दिए गए कई निर्देशों का पालन नहीं किया जाता है, जिसकी वजह से पूरे समाज में दूषित वातावरण पैदा हो रहा है. साथ ही हाईकोर्ट ने ये भी कहा है की आर्य समाज में होने वाली शादियों के सर्टिफिकेट जारी करने का अधिकार सभी को नहीं है, यह सिर्फ प्राधिकृत अधिकारियों का ही है. (gwalior high court comment on marriage done in arya samaj)
आर्य समाज मंदिर नहीं दे सकता मैरिज सर्टिफिकेट
उपनगर मुरार के मूल शंकर आर्य समाज वैदिक संस्था ने एकल पीठ कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ हाईकोर्ट में अपल दायर की थी. जिसके बाद हाईकोर्ट ने इसे अपील पर बहस के दौरान उठाई थी. वहीं इसे डिवीजन बेंच ने खारिज कर दिया है. पूरा मामला हुरावली स्थित मूलशंकर आर्य समाज वैदिक संस्था के माध्यम से प्रेम विवाह से जुड़ा है. संस्था से प्रमाण पत्र लेने के बाद उसने कोर्ट में अपने परिजन से खतरा बताते हुए सुरक्षा मांगी थी, लेकिन इसपर कोर्ट की एकल पीठ ने उसकी शादी को ही अवैध घोषित कर दिया था. साथ ही जिस संस्थान में उसकी शादी हुई थी, उस मूलशंकर आर्य समाज वैदिक संस्था में विवाह कराने को ही प्रतिबंधित कर दिया था. वहीं कोर्ट की एकल पीठ ने ये भी कहा था कि इस संस्था में होने वाले विवाहों की SP जांच करेंगे.
उनकी संस्था के खिलाफ एकल पीठ ने जो आदेश पारित किया है वह सही नहीं है. इस पर अतिरिक्त महाधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी (Additional Advocate General MPS Raghuvanshi) ने तर्क दिया कि विशेष विवाह अधिनियम के तहत मैरिज सर्टिफिकेट जारी करने का प्रावधान है. किसी भी आर्य समाज की संस्था को यह अधिकार नहीं है. यदि किसी को शादी का सर्टिफिकेट चाहिए तो उसे निर्धारित अथॉरिटी के पास जाना चाहिए. (gwalior high court question raised on arya samaj)