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ग्वालियर चम्बल अंचल में ऐतिहासिक धरोहरें खो रही पहचान! कागजों तक सिमटा आंचलिक टूरिज्म सर्किट प्लान, कांग्रेस ने उठाए सवाल - ग्वालियर चंबल ऐतिहासिक स्मारक

ग्वालियर चंबल अंचल का 155 किलोमीटर का टूरिस्ट सर्किट बीते कई सालों से सरकारी कागजों में कैद है, जिस पर अब कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं, वहीं भाजपा का कहना है काम प्रगतिशील है. (Gwalior Chambal historical monument) (Gwalior tourism circuit plan)

Gwalior Chambal historical monument
ग्वालियर चंबल ऐतिहासिक स्मारक
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Published : Apr 19, 2022, 10:37 PM IST

ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर में आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए तीन साल पहले बनी आंचलिक टूरिज्म सर्किट तैयार करने का प्लान अधर में है. तीन क्षेत्रों को एक-दूसरे से कनैक्ट करके दतिया-झांसी होकर ओरछा और नरवर, करैरा, शिवपुरी से झांसी होकर ओरछा से जोड़े जाने की प्लानिंग की गई थी. अब इस प्लानिंग में करीब 155 किलोमीटर के दायरे में मौजूद प्राचीन काल में समृद्ध रहे एतिहासिक, आर्थिक और प्राकृतिक संपदा की धरोहर समेटे अनछुए स्थलों को शामिल किया जाना था. लेकिन ये प्लान आज तक कागजों में ही सीमित है. (Gwalior Chambal historical monument) (Gwalior tourism circuit plan)

ग्वालियर में कागजों तक सिमटा आंचलिक टूरिज्म सर्किट प्लान

योजना में ये चीजें थी शामिल:
- ग्वालियर के बेहट में संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली, रतनगढ़ मंदिर, देवगढ़ का प्राचीन किला, पछोर का किला और मराठा और अंग्रेजों के बीच हुई संधि का प्रतीक सालबाई को इस सर्किट में शामिल करके काम होना था. इन स्थलों का भ्रमण करने के बाद टूरिस्ट सीधे हरसी डेम होकर करैरा अभयारण्य से झांसी को जोड़ने की प्लानिंग थी.
- ग्वालियर शहर से शीतला माता मंदिर, अमरोल में ग्यारहवीं शताब्दी का शिव मंदिर, आंतरी में मुगलकालीन छतरी, छीमक से रियासतकालीन बाजार करियावटी होकर सम्राट हर्षवर्धन के समकालीन और नागवंशी राजाओं की राजधानी, महाकवि भवभूति की कर्मस्थली पवाया (धूमेश्वर शिव मंदिर) और रियासतकाल में प्रवासी व्यापारियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे सांखनी गांव होकर इस सर्किट को सीधे दतिया जिले से जोडने की योजना थी.
- कूनो अभयारण्य भ्रमण करके आने वाले पर्यटक घाटीगांव जनपद के मोहना से होकर रानीघाटी में प्रागैतिहासिक काल के माने जाने वाले मंदिर से होकर देवरी में पहाड़ी पर मौजूद लखेश्वरी मंदिर से होकर मगरौनी से नरवर का प्राचीन किला इस सर्किट में जोड़ा जाना था. यहां से पर्यटक शिवपुरी और झांसी दोनों ही क्षेत्र में भ्रमण की योजना के अनुसार जा सकते थे.

नगर निगम के खेल निराले! 100 साल पुराना बंगला, जहां कोई नहीं रह सका वहां बिल्डिंग बनाने की तैयारी

कांग्रेस ने उठाए सवाल: इसके योजना के पीछे मकसद ये था कि आगरा की ओर से ग्वालियर होकर झांसी, ओरछा और खजुराहो जाने वाले पर्यटकों को आकर्षित किया जाना था. इससे न सिर्फ अंचल के ग्रामीण क्षेत्र में मौजूद एतिहासिक स्थलों को एक्सपोजर मिलने के साथ-साथ रोजगार के संसाधनों में विकास होने की संभावना थी, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी ने इस महत्वाकांक्षी योजना को शुरू ही नहीं होने दिया है. जिस पर अब कांग्रेस सवाल उठा रही है तो वहीं भाजपा का कहना है कि काम प्रगतिशील है.

ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर में आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए तीन साल पहले बनी आंचलिक टूरिज्म सर्किट तैयार करने का प्लान अधर में है. तीन क्षेत्रों को एक-दूसरे से कनैक्ट करके दतिया-झांसी होकर ओरछा और नरवर, करैरा, शिवपुरी से झांसी होकर ओरछा से जोड़े जाने की प्लानिंग की गई थी. अब इस प्लानिंग में करीब 155 किलोमीटर के दायरे में मौजूद प्राचीन काल में समृद्ध रहे एतिहासिक, आर्थिक और प्राकृतिक संपदा की धरोहर समेटे अनछुए स्थलों को शामिल किया जाना था. लेकिन ये प्लान आज तक कागजों में ही सीमित है. (Gwalior Chambal historical monument) (Gwalior tourism circuit plan)

ग्वालियर में कागजों तक सिमटा आंचलिक टूरिज्म सर्किट प्लान

योजना में ये चीजें थी शामिल:
- ग्वालियर के बेहट में संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली, रतनगढ़ मंदिर, देवगढ़ का प्राचीन किला, पछोर का किला और मराठा और अंग्रेजों के बीच हुई संधि का प्रतीक सालबाई को इस सर्किट में शामिल करके काम होना था. इन स्थलों का भ्रमण करने के बाद टूरिस्ट सीधे हरसी डेम होकर करैरा अभयारण्य से झांसी को जोड़ने की प्लानिंग थी.
- ग्वालियर शहर से शीतला माता मंदिर, अमरोल में ग्यारहवीं शताब्दी का शिव मंदिर, आंतरी में मुगलकालीन छतरी, छीमक से रियासतकालीन बाजार करियावटी होकर सम्राट हर्षवर्धन के समकालीन और नागवंशी राजाओं की राजधानी, महाकवि भवभूति की कर्मस्थली पवाया (धूमेश्वर शिव मंदिर) और रियासतकाल में प्रवासी व्यापारियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहे सांखनी गांव होकर इस सर्किट को सीधे दतिया जिले से जोडने की योजना थी.
- कूनो अभयारण्य भ्रमण करके आने वाले पर्यटक घाटीगांव जनपद के मोहना से होकर रानीघाटी में प्रागैतिहासिक काल के माने जाने वाले मंदिर से होकर देवरी में पहाड़ी पर मौजूद लखेश्वरी मंदिर से होकर मगरौनी से नरवर का प्राचीन किला इस सर्किट में जोड़ा जाना था. यहां से पर्यटक शिवपुरी और झांसी दोनों ही क्षेत्र में भ्रमण की योजना के अनुसार जा सकते थे.

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कांग्रेस ने उठाए सवाल: इसके योजना के पीछे मकसद ये था कि आगरा की ओर से ग्वालियर होकर झांसी, ओरछा और खजुराहो जाने वाले पर्यटकों को आकर्षित किया जाना था. इससे न सिर्फ अंचल के ग्रामीण क्षेत्र में मौजूद एतिहासिक स्थलों को एक्सपोजर मिलने के साथ-साथ रोजगार के संसाधनों में विकास होने की संभावना थी, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी ने इस महत्वाकांक्षी योजना को शुरू ही नहीं होने दिया है. जिस पर अब कांग्रेस सवाल उठा रही है तो वहीं भाजपा का कहना है कि काम प्रगतिशील है.

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