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आशियाने के लिए अफसरों के चक्कर लगा रहे गरीब - ghumantu people reached Gwalior collectorate

ग्वालियर में दर्जनों गरीब बेसहारा परिवार आशियाने के लिए लंबे समय से अफसरों और जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगा रहे हैं, ऐसे में कैसे मिलेंगे 2022 तक सभी को आवास.

ghumantu jati people reached Gwalior collectorate for lease of land
घुमंतू जाति के लोग
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Published : Feb 24, 2021, 4:25 AM IST

ग्वालियर। घुमंतू जाति के लोग अर्से से सरकारी पट्टे और आवास के लिए संघर्षशील है, लेकिन हर बार उन्हें आश्वासन देकर लौटाया जाता रहा है. पिछले कई मंगलवार से जनसुनवाई में यह लोहापीट समाज के लोग जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अफसरों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें पट्टे का आवंटन नहीं हो सका है.

आशियाने की मांग

ये लोग नारायण विहार गोला का मंदिर, गुडी गुड़ा का नाका सहित कई इलाकों में सालों से रह रहे हैं और लोहा और उससे बने उत्पादों को बेचकर अपनी आजीविका चला रहे हैं.

पिछले साल ही उन्हें कैबिनेट मंत्री प्रद्युम्न तोमर ने पट्टा दिलाने का भरोसा दिलाया था और इसका एक लिखित दस्तावेज भी उन्हें इन गरीब परिवारों को दिया था, लेकिन कलेक्ट्रेट पर अक्सर लोहपीटा परिवारों को अपने पत्नी बच्चों के साथ देखा जा सकता है.

ghumantu jati people reached Gwalior collectorate for lease of land
प्रद्युम्न तोमर का पत्र

क्षेत्रीय सांसद का कहना है कि यह लोग जहां रह रहे हैं वहां उनका अस्थाई निवास है और यह लोग वहीं पर सरकारी पट्टे मांग रहे हैं, जबकि उन्हें शासन की विभिन्न योजनाओं के तहत बनाए जा रहे आवासों और पट्टों में स्थान दिया जा सकता है.

ghumantu jati people reached Gwalior collectorate for lease of land
ग्वालियर कलेक्ट्रेट

लोहपीटा परिवारों के साथ ही कई अन्य गरीब और बेसहारा लोग हैं जो खुले में अपने रातें गुजारने के लिए मजबूर हैं. इन लोगों को कब छत का आसरा मिलेगा कह पाना मुश्किल है, लेकिन जिस तरह से प्रधानमंत्री ने 2022 तक सभी को छत उपलब्ध कराने की घोषणा की है. उसे लेकर नहीं लगता कि ये सब लोग अपने घरों में अगले साल तक पहुंच पाएंगे.

ग्वालियर। घुमंतू जाति के लोग अर्से से सरकारी पट्टे और आवास के लिए संघर्षशील है, लेकिन हर बार उन्हें आश्वासन देकर लौटाया जाता रहा है. पिछले कई मंगलवार से जनसुनवाई में यह लोहापीट समाज के लोग जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अफसरों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें पट्टे का आवंटन नहीं हो सका है.

आशियाने की मांग

ये लोग नारायण विहार गोला का मंदिर, गुडी गुड़ा का नाका सहित कई इलाकों में सालों से रह रहे हैं और लोहा और उससे बने उत्पादों को बेचकर अपनी आजीविका चला रहे हैं.

पिछले साल ही उन्हें कैबिनेट मंत्री प्रद्युम्न तोमर ने पट्टा दिलाने का भरोसा दिलाया था और इसका एक लिखित दस्तावेज भी उन्हें इन गरीब परिवारों को दिया था, लेकिन कलेक्ट्रेट पर अक्सर लोहपीटा परिवारों को अपने पत्नी बच्चों के साथ देखा जा सकता है.

ghumantu jati people reached Gwalior collectorate for lease of land
प्रद्युम्न तोमर का पत्र

क्षेत्रीय सांसद का कहना है कि यह लोग जहां रह रहे हैं वहां उनका अस्थाई निवास है और यह लोग वहीं पर सरकारी पट्टे मांग रहे हैं, जबकि उन्हें शासन की विभिन्न योजनाओं के तहत बनाए जा रहे आवासों और पट्टों में स्थान दिया जा सकता है.

ghumantu jati people reached Gwalior collectorate for lease of land
ग्वालियर कलेक्ट्रेट

लोहपीटा परिवारों के साथ ही कई अन्य गरीब और बेसहारा लोग हैं जो खुले में अपने रातें गुजारने के लिए मजबूर हैं. इन लोगों को कब छत का आसरा मिलेगा कह पाना मुश्किल है, लेकिन जिस तरह से प्रधानमंत्री ने 2022 तक सभी को छत उपलब्ध कराने की घोषणा की है. उसे लेकर नहीं लगता कि ये सब लोग अपने घरों में अगले साल तक पहुंच पाएंगे.

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