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सोन चिरैया की खोज में खर्च हुए करोड़ों, 2011 से नहीं आई है नजर, वन विभाग फिर लाया नई योजना

सोन चिरैया पिछले 10 सालों से नजर नहीं आई है, इसे लेकर वन विभाग करोड़ों खर्च कर चुका है, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकाला, एक बार फिर सोन चिरैया की वापसी के लिए वन विभान ने नया प्लान तैयार किया है.

son chiriya
सोन चिरैया
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Published : Jul 31, 2021, 6:48 PM IST

ग्वालियर। वन विभाग सोन चिरैया की बसाहट देखने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर चुका हैं, इसके बावजूद भी अभी तक 10 सालों में कोई भी सोन चिरैया नजर नहीं आई है और एक बार फिर वन विभाग सोन चिरैया रहवास के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने जा रही है.

सोन चिरैया की वापसी के लिए वन विभाग का नया प्लान

वन विभाग सोन चिरैया की वापसी के लिए एक नई प्राकृतिक निवास बनाने की तैयारी कर रहा है, इसके लिए 1000 हेक्टेयर में सोन चिरैया का प्राकृतिक रहवास बनाया जाएगा. इसके लिए श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क से प्राकृतिक घास लाई जाएगी, वन विभाग ने प्लान तैयार कर मंजूरी के लिए यह प्रस्ताव मुख्यालय भेज दिया है. उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस प्लान को मंजूरी देकर इसी साल से लागू कर देगी.

अभ्यारण में 10 सालों से नहीं देखी गई सोन चिरैया

साल 2011 में आखिरी बार सोन चिरैया को अभ्यारण में देखा गया था, वन विभाग का दावा है कि प्राकृतिक रहवास इस तरह तैयार किया जाएगा कि सोन चिरैया अपने प्रवास के लिए यहां मौजूदगी दर्ज कराएगी, इसका कारण यह है कि कई उद्योग स्थापित हो गए हैं, साथ ही लोगों ने इसकी वजह से वहां पर शोरगुल के साथ लोगों की चहल-पहल भी सबसे अधिक बढ़ गई है.

यही कारण है कि सोनचिरैया अभ्यारण से पूरी तरह विलुप्त हो चुकी है, लेकिन एक बार फिर इस अभ्यारण में सोन चिरैया की चहल-पहल देखने के लिए यह प्लान तैयार किया गया है, वन विभाग का दावा है कि प्राकृतिक रहवास बनाने के बाद सोन चिरैया यहां पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगी.

पिछले साल जैसलमेर से अंडे लाने का था प्लान

हर साल वन विभाग सोन चिड़िया को रहवास के लिए प्लान तैयार करता है, लेकिन कोई भी प्लान अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाया है और ना ही वह सफल हो पाया है, पिछले साल वन विभाग ने सोन चिड़िया की बसाहट देखने के लिए एक प्लान तैयार किया था. वन विभाग राजस्थान के जैसलमेर से सोन चिरैया के अंडे लाकर उनकी हैचिंग कराएगा और यह मुरैना की देवरी स्थित घड़ियाल प्रजनन केंद्र की तरह तैयार होगा.

इसमें अनुसंधान केंद्र से घास लगाई जाएगी, लेकिन वन विभाग का यह प्लान ठंडे बस्ते में चला गया और इस पर अभी तक कोई अमल नहीं हो पाया है, लिहाजा दूसरा प्लान तैयार किया है, अब देखना होगा इस पर कितना अमल हो पाता है.

ग्वालियर में स्थित प्रदेश का एक मात्र सोन चिरैया अभ्यारण

ग्वालियर और शिवपुरी जिले में आने वाले घाटी गांव में स्थित 512 वर्ग किलोमीटर में फैला सोन चिरैया अभ्यारण मध्य प्रदेश का एकमात्र अभ्यारण है, यहां पर सबसे ज्यादा सोन चिरैया पाई जाती थी. लेकिन अभ्यारण के आसपास रहमान उद्योग कारखाने और शोरगुल के साथ लोगों की चहल-पहल भी सबसे अधिक बढ़ गई थी. यही कारण है कि सोन चिरैया अभ्यारण से पूरी तरह विलुप्त हो चुकी है. लेकिन अब डी नोटिफिकेशन की प्रक्रिया के बाद यह घट गया है.

यहां सालों से सोन चिरैया नहीं देखी गई है और इसके बाद गांव उनके आसपास विकास कार्य रोके गये थे, डी नोटिफिकेशन के बाद एरिया सिर्फ ग्वालियर जिले का है, साल 2011 के बाद अभ्यारण में सोन चिरैया का अस्तित्व पूरी तरह खो हो गया, उसके बाद यहां पर सोन चिरैया देखने को नहीं मिली है.

धीरे-धीरे विलुप्त हो रही सोन चिरैया

सोन चिरैया की ऊंचाई करीब 1 मीटर और वजन लगभग 12 किलो से अधिक होता है, सोन चिरैया विलुप्त होने की कगार पर है, यह उड़ने वाले पक्षियों में सबसे वजनदार होती है, यह पक्षी मूलतः राजस्थान की है, जो बेहद शर्मीला माना जाता है, साथ ही यह शांत स्वभाव की होती है. यह पूरी तरह शांत वातावरण वाले स्थान पर ही रहती है.

थोड़ी सी हलचल या आवाज से यह पक्षी अपने स्थान से भटक जाती है, यही वजह रही है कि सोन चिरैया अभ्यारण के आसपास आवाज और चहल-पहल के कारण उसने स्थानीय डेरा हमेशा के लिए समाप्त कर दिया है. लेकिन अब जिस तरीके से वन विभाग सोन चिरैया को वापस पाने के लिए जतन कर रहा है, उनकी यह मेहनत कितनी रंग लाती है, यह देखने वाली बात होगी.

सोन चिरैया अभयारण्य एक बार फिर होगा गुलजार, कोशिशों में जुटा वन विभाग का अमला

ईटीवी भारत से डीएफओ अभिनव पल्लव ने बातचीत की उनका कहना है कि एक बार फिर सोन चिरैया के लिए प्राकृतिक निवास बनाने की तैयारी हो चुकी है और यह प्राकृतिक रहवासी 1000 हेक्टर में तैयार किया जा रहा है, इसके लिए श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क से घास मनाई जाएगी, ताकि विलुप्त हुई सोन चिरैया दोबारा से अपने घर में वापस लौट सके.

ग्वालियर। वन विभाग सोन चिरैया की बसाहट देखने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर चुका हैं, इसके बावजूद भी अभी तक 10 सालों में कोई भी सोन चिरैया नजर नहीं आई है और एक बार फिर वन विभाग सोन चिरैया रहवास के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने जा रही है.

सोन चिरैया की वापसी के लिए वन विभाग का नया प्लान

वन विभाग सोन चिरैया की वापसी के लिए एक नई प्राकृतिक निवास बनाने की तैयारी कर रहा है, इसके लिए 1000 हेक्टेयर में सोन चिरैया का प्राकृतिक रहवास बनाया जाएगा. इसके लिए श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क से प्राकृतिक घास लाई जाएगी, वन विभाग ने प्लान तैयार कर मंजूरी के लिए यह प्रस्ताव मुख्यालय भेज दिया है. उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस प्लान को मंजूरी देकर इसी साल से लागू कर देगी.

अभ्यारण में 10 सालों से नहीं देखी गई सोन चिरैया

साल 2011 में आखिरी बार सोन चिरैया को अभ्यारण में देखा गया था, वन विभाग का दावा है कि प्राकृतिक रहवास इस तरह तैयार किया जाएगा कि सोन चिरैया अपने प्रवास के लिए यहां मौजूदगी दर्ज कराएगी, इसका कारण यह है कि कई उद्योग स्थापित हो गए हैं, साथ ही लोगों ने इसकी वजह से वहां पर शोरगुल के साथ लोगों की चहल-पहल भी सबसे अधिक बढ़ गई है.

यही कारण है कि सोनचिरैया अभ्यारण से पूरी तरह विलुप्त हो चुकी है, लेकिन एक बार फिर इस अभ्यारण में सोन चिरैया की चहल-पहल देखने के लिए यह प्लान तैयार किया गया है, वन विभाग का दावा है कि प्राकृतिक रहवास बनाने के बाद सोन चिरैया यहां पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगी.

पिछले साल जैसलमेर से अंडे लाने का था प्लान

हर साल वन विभाग सोन चिड़िया को रहवास के लिए प्लान तैयार करता है, लेकिन कोई भी प्लान अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाया है और ना ही वह सफल हो पाया है, पिछले साल वन विभाग ने सोन चिड़िया की बसाहट देखने के लिए एक प्लान तैयार किया था. वन विभाग राजस्थान के जैसलमेर से सोन चिरैया के अंडे लाकर उनकी हैचिंग कराएगा और यह मुरैना की देवरी स्थित घड़ियाल प्रजनन केंद्र की तरह तैयार होगा.

इसमें अनुसंधान केंद्र से घास लगाई जाएगी, लेकिन वन विभाग का यह प्लान ठंडे बस्ते में चला गया और इस पर अभी तक कोई अमल नहीं हो पाया है, लिहाजा दूसरा प्लान तैयार किया है, अब देखना होगा इस पर कितना अमल हो पाता है.

ग्वालियर में स्थित प्रदेश का एक मात्र सोन चिरैया अभ्यारण

ग्वालियर और शिवपुरी जिले में आने वाले घाटी गांव में स्थित 512 वर्ग किलोमीटर में फैला सोन चिरैया अभ्यारण मध्य प्रदेश का एकमात्र अभ्यारण है, यहां पर सबसे ज्यादा सोन चिरैया पाई जाती थी. लेकिन अभ्यारण के आसपास रहमान उद्योग कारखाने और शोरगुल के साथ लोगों की चहल-पहल भी सबसे अधिक बढ़ गई थी. यही कारण है कि सोन चिरैया अभ्यारण से पूरी तरह विलुप्त हो चुकी है. लेकिन अब डी नोटिफिकेशन की प्रक्रिया के बाद यह घट गया है.

यहां सालों से सोन चिरैया नहीं देखी गई है और इसके बाद गांव उनके आसपास विकास कार्य रोके गये थे, डी नोटिफिकेशन के बाद एरिया सिर्फ ग्वालियर जिले का है, साल 2011 के बाद अभ्यारण में सोन चिरैया का अस्तित्व पूरी तरह खो हो गया, उसके बाद यहां पर सोन चिरैया देखने को नहीं मिली है.

धीरे-धीरे विलुप्त हो रही सोन चिरैया

सोन चिरैया की ऊंचाई करीब 1 मीटर और वजन लगभग 12 किलो से अधिक होता है, सोन चिरैया विलुप्त होने की कगार पर है, यह उड़ने वाले पक्षियों में सबसे वजनदार होती है, यह पक्षी मूलतः राजस्थान की है, जो बेहद शर्मीला माना जाता है, साथ ही यह शांत स्वभाव की होती है. यह पूरी तरह शांत वातावरण वाले स्थान पर ही रहती है.

थोड़ी सी हलचल या आवाज से यह पक्षी अपने स्थान से भटक जाती है, यही वजह रही है कि सोन चिरैया अभ्यारण के आसपास आवाज और चहल-पहल के कारण उसने स्थानीय डेरा हमेशा के लिए समाप्त कर दिया है. लेकिन अब जिस तरीके से वन विभाग सोन चिरैया को वापस पाने के लिए जतन कर रहा है, उनकी यह मेहनत कितनी रंग लाती है, यह देखने वाली बात होगी.

सोन चिरैया अभयारण्य एक बार फिर होगा गुलजार, कोशिशों में जुटा वन विभाग का अमला

ईटीवी भारत से डीएफओ अभिनव पल्लव ने बातचीत की उनका कहना है कि एक बार फिर सोन चिरैया के लिए प्राकृतिक निवास बनाने की तैयारी हो चुकी है और यह प्राकृतिक रहवासी 1000 हेक्टर में तैयार किया जा रहा है, इसके लिए श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क से घास मनाई जाएगी, ताकि विलुप्त हुई सोन चिरैया दोबारा से अपने घर में वापस लौट सके.

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