ग्वालियर। मुरैना जिले के छोटे से गांव ओरोठी में 12 जून 1957 को जन्मा और वहीं के प्राथमिक स्कूल से पढ़ाई करने वाला एक लड़का जो आज का यूनियन मिनिस्टर बन गया, इतना ही नहीं अब वो प्रधानमंत्री मोदी के 5 खास मंत्रियों में से एक है. मुन्ना भैया उर्फ नरेंद्र सिंह तोमर का आज जन्मदिन है. उन्होंने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी. नरेंद्र सिंह तोमर आज 63 साल के हो चुके हैं. तोमर को राजनीति में अपराजेय भी माना जाता है.
भाग कर पहुंचे अटल बिहारी वाजपेई की सभा में
1971-72 में जब नरेंद्र सिंह तोमर हाई स्कूल पढ़ रहे थे, तो चार- पांच मित्रों के साथ गायब हो गए थे. देर रात तक जब वे घर नहीं पहुंचे, तो घर वालों ने खोजबीन शुरू कर दी. खोजबीन में पता चला की सभी मित्र अटल बिहारी वाजपेई की ग्वालियर में आयोजित एक सभा को सुनने पहुंच गए हैं और जब घर लौटे तो उनकी जमकर पिटाई भी हुई, लेकिन चंचल प्रवृत्ती के नरेंद्र सुबह होते ही फिर मित्रों से मेल मिलाप करने पहुंच गए. जब जेब में पैसा नहीं होता, तो कहीं जाने के लिए या तो तोमर साइकिल का सहारा लेते थे, या फिर पैदल सफर करना पड़ता था.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से हुई शुरूआत
मध्यमवर्गी परिवार में जन्मे नरेंद्र सिंह तोमर ने कॉलेज के दिनों में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दामन थाम लिया और संघ के साथ जुड़ कर काम करने लगे, कॉलेज के दिनों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सहभागिता निभाई. 1977 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के मंडल अध्यक्ष बना दिए गए.
1977 से 2020 तक का सफर
1977 में संघ के रास्ते भारतीय जनता युवा मोर्चा का मंडल अध्यक्ष बनने के बाद तोमर ने कभी पलट के नहीं देखा. लगातार संगठन और सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते रहे. 1980 में भाजपा की युवा इकाई, भारतीय जनता युवा मोर्चा के शहर अध्यक्ष के पद से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की, उसके बाद वार्ड पार्षद रहे. 1984 में युवा मोर्चा के प्रदेश मंत्री बने, तो 1991 आते- आते युवा मोर्चा का अध्यक्ष पद हासिल कर लिया. राजनीतिक पहुंच मजबूत होने के बाद चुनावी दंगल में भी कूदे, लेकिन 1993 में ग्वालियर विधानसभा से लड़ा पहला चुनाव हार गए. कुछ सालों के इंतजार के बाद 1998 में पहली बार विधानसभा पहुंचे और 2003 से लेकर 2007 तक प्रदेश की भाजपा सरकार में मंत्री रहे. 2009 में मुरैना लोकसभा सीट से सांसद बने और फिर 2014 से अब तक केंद्रीय मंत्री हैं.
शिवराज के साथ फिट बैठती है ट्यूनिंग
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर अपने कार्यकर्ताओं से इस तरह मिलते हैं, कि जैसे चार मित्र आपस में बात कर रहे हों. यही जीवनशैली उनको शिखर तक ले जाती रही है. नरेंद्र सिंह तोमर और शिवराज सिंह की जोड़ी को मध्य प्रदेश की सियासत में बेहद उम्दा जोड़ी माना जाता है. तोमर जब प्रदेश अध्यक्ष थे, तो उन्होंने और शिवराज के साथ मिलकर मध्यप्रदेश में दो बार सरकार बनाई. एक बार तो ऐसा भी हुआ कि, नरेंद्र सिंह के बाद प्रभात झा को मध्य प्रदेश बीजेपी की कमान सौंप दी गई थी, लेकिन चुनाव के ठीक पहले पार्टी ने प्रभात झा को हटाते हुए एक बार फिर नरेंद्र सिंह तोमर को कमान सौंप दी. इसके पीछे राजनीतिक जानकार बताते हैं कि, शिवराज और नरेंद्र सिंह की आपसी ट्यूनिंग के चलते ऐसा किया गया था.
प्रदेश के फैलसों में अहम रोल
नरेंद्र सिंह तोमर मोदी सरकार में एक महत्वपूर्ण मंत्री हैं. जब भी मध्य प्रदेश में सरकार संकट में होती है, या फिर बड़ा बदलाव करना होता है तो, वो नरेंद्र सिंह तोमर के बिना नहीं होता है. केंद्र की राजनीति करने के बावजूद तोमर मध्य प्रदेश की राजनीति में अहम जिम्मेदारी रखते हैं. पार्टी के हर फैसले पर उनकी मुहर जरूर लगती है. इस समय ग्वालियर- चंबल अंचल के साथ-साथ मध्य प्रदेश की राजनीति में बीजेपी के एक बड़े चेहरे के रूप में तोमर अपनी पहचान बना चुके हैं. ग्वालियर चंबल अंचल में उनके कार्यकर्ताओं की एक फौज है, जो हमेशा उनका साथ देती है.
बाजी पलटने में माहिर
तोमर की तुलना ग्वालियर- चंबल अंचल के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से होने लगी है. राजनीति के उच्च पायदान पर पहुंचने के पीछे, तोमर के कठिन परिश्रम, कम बोलना और निर्विवाद राजनीति छवि की अहम भूमिका है, तोमर को मध्य प्रदेश की राजनीति का चाणक्य भी कहा जाता है, क्योंकि वो हमेशा विरोधी पार्टी और नेताओं को अपनी चालाकी और समझदारी से परास्त करते आए हैं. तोमर कुशल रणनीति से बाजी पलटने में माहिर माने जाते हैं.
सामाज के सभी वर्गों में काफी लोकप्रिय
नरेंद्र सिंह तोमर आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यों का आयोजन करने में काफी रुचि रखते हैं, इसके अलावा, गरीबों की मदद, रक्तदान शिविरों का आयोजन, वृक्षारोपण में उनकी विशेष रुचि है. वे दर्पण खेल संस्थान ग्वालियर के खेल-कूद और क्लब अध्यक्ष थे. उनका उपनाम मुन्ना भैया है, खेल में उनके आकर्षण के अलावा साहित्य में भी काफी रुचि है. कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए तोमर काव्य संगोष्ठियों का आयोजन करते रहते हैं. जिस कारण वो सामाज के सभी वर्गों में काफी लोकप्रिय हैं.