भिंड। भिंड में विकास की रफ्तार रुक गई है. ऐसा यहां बन रहे एक पुल को देखकर कहा जा सकता है. शहर के ऐतिहासिक गौरी सरोवर पर बन रहा यह पुल 4 साल बाद भी अधूरा ही है. यह हाल तब है जब डेढ़ करोड़ की लागत से बनने वाला यह पुल शहर के ट्रैफिक डायवर्जन के लिए बेहद जरूरी बताया जा रहा है. पुल के तय समय सीमा के बावजूद पूरा न हो पाने के लिए जब जिम्मेदार अधिकारियों के बात की गई तो वे तरह तरह की दलीलें देते नजर आए.
2016 में फाइनल हुआ था प्रोजेक्ट
जिले का गौरी सरोवर तालाब हज़ारों साल पुराना एतिहासिक और धार्मिक स्थल होने के साथ ही शहर के आकर्षण का भी मुख्य केंद्र है. इस तालाब के किनारे बनी सड़क से हज़ारों वाहन गुजरते हैं, लेकिन बारिश के मौसम में यह सड़क पानी से भर जाती है और आवागमन ठप हो जाता है. इस वजह से लोग 4 किलोमीटर का चक्कर लगाकर दूसरे किनारे तक पहुंच पाते हैं जबकि तालाब के दोनों किनारों की दूरी महज 100 मीटर है. इस समस्या को देखते हुए मुख्यमंत्री अधोसंरचना के तहत 2016 में इस तालाब पर एक पुल बनाने के प्रोजेक्ट फाइनल हुआ था. इस पर काम भी शुरू हुआ लेकिन 4 साल बीत जाने के बाद भी यह पुल अधूरा पड़ा है.
अकसर होते हैं हादसे
चार साल पहले तत्कालीन भाजपा विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह की पहल पर स्वीकृत हुआ गौरी तालाब का पुल लोगों को होने वाली परेशानियां तो कम नहीं कर सका, लेकिन पुल निर्माण के लिए सड़क किनारे रखे गए मेटेरियल की वजह यहां अकसर हादसे होते रहते हैं. कई बार यहां बाइक सवार और दूसरी गाड़ियां अकसर हादसे का शिकार हो जाती हैं. सड़क किनारे रखी निर्माण सामाग्री से फिसलकर कई लोग चोटिल भी हो चुके हैं. साल 2017 में शुरू हुए निर्माण के 4 साल के दौरान कई प्रशासनिक और कानूनी बाधाएं भी सामने आईं लेकिन अभी तक यहां सिर्फ 9 पिलर ही बन कर खड़े हो पाए हैं जबकि पुल का आख़िरी स्लैब और पिलर अभी तक नही बना है. जिसकी वजह से यह अभी भी अधूरा ही है.
6-6 महीने बंद रहता है काम
नगरपालिका के सहायक यंत्री और पुल निर्माण प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी से हमने पुल के अधूरे होने की वजह पूछी तो उनका कहना था कि लॉकडाउन के दौरान अपने घरों को लौटी लेबर अभी तक वापस नहीं लौटी है. पुल बनाने की एक्सपर्ट लेबर यूपी के मुज्जफरनगर से आई थी. इस वजह से पुल का काम पूरा नहीं हो सका. हालांकि प्रोजेक्ट ऑफिसर दीपक अग्रवाल दावा करते हैं कि नवंबर तक पुल का निर्माण पूरा हो जाएगा और पुल पर वाहनों का आवागमन भी शुरू कर दिया जाएगा. लेकिन यहां के हालात देखकर उनकी बात पर यकीन कर पाना मुश्किल है.बावजूद इसके भिंड़ के जनता को उम्मीद है कि उनका यह इंतज़ार इस साल शायद खत्म हो जाए.