ग्वालियर। हाईकोर्ट ने नाबालिग बच्चे के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या करने के मामले में एक युवक को दो महीने पहले फांसी की सजा सुनाई थी. जिसे फिलहाल कोर्ट से राहत मिली है. बचाव पक्ष ने दलील दी थी कि मामले में जिन 6 गवाहों को बयान लिए गए हैं, वे सभी आरोपी की अनुपस्थिति में हुए हैं, सीआरपीसी के प्रावधानों के विपरीत है.
फांसी की सजा पाए योगेश नाथ की अपील पर हाईकोर्ट फांसी की सजा पर रोक लगा दी है. अपील पर सुनवाई करने के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कोर्ट को तर्क कर दिया कि सीआरपीसी के तहत उनके मुवक्किल की मौजूदगी में सभी 28 गवाहों के बयान दर्ज होने थे, लेकिन 6 गवाहों के बयान योगेश नाथ की गैरमौजूदगी में लिए गए हैं. इनके बयानों के आधार पर ही योगेश को आरोपी बनाया गया था.
आरोपी बनाए गए युवक की मौजूदगी में दर्ज हो गवाहों के बयान
हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता समझते हुए निचली अदालत को निर्देशित किया है, कि वह तीन महीने के भीतर सभी छह गवाहों के बयान आरोपी की मौजूदगी में करवाएं. हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि गवाहों के बयान के बाद ही आरोपी बनाए गए युवक के बयान दर्ज कराए जाए. तब न्यायालय किसी नतीजे पर पहुंचे.
गौरतलब है कि दो साल पहले बहोडापुर थाना क्षेत्र के बरा गांव में 10 साल के आदिवासी परिवार के बच्चे को अगवा किया गया था. जिसकी बाद में दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी. मामला 28 अप्रैल 2017 का है. जिसमें योगेश को आरोपी बनाया गया था और उसके खिलाफ विशेष न्यायालय चालान पेश किया गया था. 6 जुलाई 2019 को योगेश नाथ को फांसी की सजा से दंडित किया था. जो फिलहाल केंद्रीय कारागार में बंद है. लेकिन हाईकोर्ट के निर्देश के बाद उसे फौरी राहत मिल गई है.