ETV Bharat / city

दुष्कर्म के आरोपी की फांसी पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, जानिए पूरा मामला

हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के एक आरोपी को दी गई फांसी की सजा पर फिलहाल रोक लगा दी है. युवक के वकील ने दलील दी थी कि जिन गवाहों के बयानों के आधार पर युवक को फांसी की सजा दी गई है. जिस वक्त बयान दर्ज किए गए थे. उस वक्त आरोपी युवक कोर्ट में नहीं था. जो सीआरपीसी के प्रावधानों के विपरीत है.

दुष्कर्म के आरोपी युवक को दी गई फांसी की सजा पर ग्वालियर हाईकोर्ट बेंच ने लगाई रोक
author img

By

Published : Sep 10, 2019, 11:53 PM IST

ग्वालियर। हाईकोर्ट ने नाबालिग बच्चे के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या करने के मामले में एक युवक को दो महीने पहले फांसी की सजा सुनाई थी. जिसे फिलहाल कोर्ट से राहत मिली है. बचाव पक्ष ने दलील दी थी कि मामले में जिन 6 गवाहों को बयान लिए गए हैं, वे सभी आरोपी की अनुपस्थिति में हुए हैं, सीआरपीसी के प्रावधानों के विपरीत है.

दुष्कर्म के आरोपी युवक को दी गई फांसी की सजा पर ग्वालियर हाईकोर्ट बेंच ने लगाई रोक

फांसी की सजा पाए योगेश नाथ की अपील पर हाईकोर्ट फांसी की सजा पर रोक लगा दी है. अपील पर सुनवाई करने के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कोर्ट को तर्क कर दिया कि सीआरपीसी के तहत उनके मुवक्किल की मौजूदगी में सभी 28 गवाहों के बयान दर्ज होने थे, लेकिन 6 गवाहों के बयान योगेश नाथ की गैरमौजूदगी में लिए गए हैं. इनके बयानों के आधार पर ही योगेश को आरोपी बनाया गया था.

आरोपी बनाए गए युवक की मौजूदगी में दर्ज हो गवाहों के बयान
हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता समझते हुए निचली अदालत को निर्देशित किया है, कि वह तीन महीने के भीतर सभी छह गवाहों के बयान आरोपी की मौजूदगी में करवाएं. हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि गवाहों के बयान के बाद ही आरोपी बनाए गए युवक के बयान दर्ज कराए जाए. तब न्यायालय किसी नतीजे पर पहुंचे.

गौरतलब है कि दो साल पहले बहोडापुर थाना क्षेत्र के बरा गांव में 10 साल के आदिवासी परिवार के बच्चे को अगवा किया गया था. जिसकी बाद में दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी. मामला 28 अप्रैल 2017 का है. जिसमें योगेश को आरोपी बनाया गया था और उसके खिलाफ विशेष न्यायालय चालान पेश किया गया था. 6 जुलाई 2019 को योगेश नाथ को फांसी की सजा से दंडित किया था. जो फिलहाल केंद्रीय कारागार में बंद है. लेकिन हाईकोर्ट के निर्देश के बाद उसे फौरी राहत मिल गई है.

ग्वालियर। हाईकोर्ट ने नाबालिग बच्चे के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या करने के मामले में एक युवक को दो महीने पहले फांसी की सजा सुनाई थी. जिसे फिलहाल कोर्ट से राहत मिली है. बचाव पक्ष ने दलील दी थी कि मामले में जिन 6 गवाहों को बयान लिए गए हैं, वे सभी आरोपी की अनुपस्थिति में हुए हैं, सीआरपीसी के प्रावधानों के विपरीत है.

दुष्कर्म के आरोपी युवक को दी गई फांसी की सजा पर ग्वालियर हाईकोर्ट बेंच ने लगाई रोक

फांसी की सजा पाए योगेश नाथ की अपील पर हाईकोर्ट फांसी की सजा पर रोक लगा दी है. अपील पर सुनवाई करने के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कोर्ट को तर्क कर दिया कि सीआरपीसी के तहत उनके मुवक्किल की मौजूदगी में सभी 28 गवाहों के बयान दर्ज होने थे, लेकिन 6 गवाहों के बयान योगेश नाथ की गैरमौजूदगी में लिए गए हैं. इनके बयानों के आधार पर ही योगेश को आरोपी बनाया गया था.

आरोपी बनाए गए युवक की मौजूदगी में दर्ज हो गवाहों के बयान
हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता समझते हुए निचली अदालत को निर्देशित किया है, कि वह तीन महीने के भीतर सभी छह गवाहों के बयान आरोपी की मौजूदगी में करवाएं. हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि गवाहों के बयान के बाद ही आरोपी बनाए गए युवक के बयान दर्ज कराए जाए. तब न्यायालय किसी नतीजे पर पहुंचे.

गौरतलब है कि दो साल पहले बहोडापुर थाना क्षेत्र के बरा गांव में 10 साल के आदिवासी परिवार के बच्चे को अगवा किया गया था. जिसकी बाद में दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी. मामला 28 अप्रैल 2017 का है. जिसमें योगेश को आरोपी बनाया गया था और उसके खिलाफ विशेष न्यायालय चालान पेश किया गया था. 6 जुलाई 2019 को योगेश नाथ को फांसी की सजा से दंडित किया था. जो फिलहाल केंद्रीय कारागार में बंद है. लेकिन हाईकोर्ट के निर्देश के बाद उसे फौरी राहत मिल गई है.

Intro:ग्वालियर
हाई कोर्ट ग्वालियर बेंच ने नाबालिग बच्चे के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या करने के मामले में जिस आरोपी को 2 महीने पहले फांसी की सजा सुनाई थी उसे फिलहाल कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। बचाव पक्ष का कहना है कि 6 ऐसे गवाह इस मामले में पेश किए गए हैं जिनके बयान आरोपी की अनुपस्थिति में हुए हैं जो सीआरपीसी के प्रावधानों के विपरीत है।


Body:दरअसल फांसी की सजा पाए योगेश नाथ की अपील पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही थी निचली कोर्ट ने फांसी की सजा को कंफर्म करने के लिए हाईकोर्ट भेजा था अपील पर सुनवाई करने के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कोर्ट को तर्क कर दिया कि सीआरपीसी के तहत उनके मुवक्किल की मौजूदगी में सभी 28 गवाहों के बयान दर्ज होने थे लेकिन 6 गवाहों के बयान योगेश नाथ की गैरमौजूदगी में लिए गए हैं जो प्रावधानों के विपरीत है इनमें से चार दफा बेहद महत्वपूर्ण है जिन के बयान के आधार पर योगेश नाथ को मुल्जिम बनाया गया था हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता समझते हुए निचली अदालत को निर्देशित किया है कि वह 3 महीने के भीतर सभी छह गवाहों के बयान आरोपी की मौजूदगी में करवाएं बाद में आरोपी के बयान लिए जाए तब न्यायालय किसी नतीजे पर पहुंचे। गौरतलब है कि 2 साल पहले बहोडापुर थाना क्षेत्र के बरा गांव में 10 साल के आदिवासी परिवार के बच्चे को अगवा किया गया था बाद में दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। मामला 28 अप्रैल 2017 का है। मामले में योगेश को आरोपी बनाया गया था और उसके खिलाफ विशेष न्यायालय चालान पेश किया गया था।


Conclusion:पास्को एक्ट की विशेष अदालत में 6 जुलाई 2019 को योगेश नाथ को फांसी की सजा से दंडित किया था फिलहाल वह केंद्रीय कारागार में बंद है लेकिन हाईकोर्ट के निर्देश के बाद उसे फौरी राहत मिल गई है ।एक तरह से मामला दोबारा से सुनवाई में आ गया है बचाव पक्ष का कहना है कि उनका मुवक्किल बेगुनाह है अभियोजन की कहानी के मुताबिक योगेश नाथ पड़ोस में आयोजित एक समारोह से 10 साल के बच्चे को अगवा करके ले गया था और बाद में उसने कुछ दूर जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया और साक्ष्य छुपाने के लिए उसकी हत्या कर दी।
बाइट शैलेंद्र सिंह कुशवाहा... बचाव पक्ष के अधिवक्ता हाई कोर्ट ग्वालियर
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.