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जानिए कौन सा मकसद साधने भोपाल आ रहे हैं मोदी! जनजातीय सम्मेलन या सियासी समीकरण सुधारने की जुगत

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल आ रहे हैं. पीएम जनजातीय गौरव दिवस और बिरसा मुंडा की जयंती पर आदिवासी महासम्मेलन को संबोधित करेंगे. राज्य सरकार इस सम्मेलन का बड़े पैमाने पर और भव्य आयोजन कर रही है. सम्मेलन में प्रदेश के अलग-अलग जिलों से लगभग 2 लाख से ज्यादा आदिवासियों के सम्मेलन में शामिल होने का दावा किया जा रहा है.

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जानिए कौन सा मकसद साधने भोपाल आ रहे हैं मोदी!
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Published : Nov 13, 2021, 8:18 PM IST

Updated : Nov 15, 2021, 6:23 AM IST

भोपाल। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल आ रहे हैं. पीएम जनजातीय गौरव दिवस और बिरसा मुंडा की जयंती पर आदिवासी महासम्मेलन को संबोधित करेंगे. राज्य सरकार इस सम्मेलन का बड़े पैमाने पर और भव्य आयोजन कर रही है. सम्मेलन में प्रदेश के अलग-अलग जिलों से लगभग 2 लाख से ज्यादा आदिवासियों के सम्मेलन में शामिल होने का दावा किया जा रहा है. आपको बता दें कि कुछ दिन पहले कांग्रेस ने भी ऐसा ही एक सम्मेलन किया था. इसमें भी बड़ी संख्या में आदिवासी नेता शामिल हुए थे. कांग्रेस ने राज्य सरकार से आदिवासी दिवस पर अवकाश घोषित करने की मांग भी थी, जिसपर बीजेपी ने आज आदिवासियों के भगवान माने जाने वाले बिरसा मुंडा की जयंती को जनजतीय गौरव दिसव के रूप में मनाने और छुट्टी घोषित किए जाने का ऐलान किया था. सियासी जानकार मानते हैं कि आदिवासी मध्यप्रदेश में एक बड़ा वोट बैंक है जो विधानसभा की 40 से ज्यादा सीटों पर सीधा दखल रखते हैं. इसे देखते हुए बीजेपी 2023 की तैयारी में जुट गई है.

चुनाव अभी दूर लेकिन दौरे का मकसद सियासी!

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अभी 2 साल बाकी हैं, लेकिन 2018 में महज कुछ सीटों से सत्ता से बाहर हो जाने वाली बीजेपी इस बार पिछली बार जैसा कुछ भी नहीं चाहती. इसी बात पर फोकस करते हुए पार्टी ने मिशन 2023 के लिए जमीनी तैयारी शुरू कर दी है. यही वजह है कि शिवराज सरकार ने 15 नवंबर को होने जा रहे जनजातीय सम्मेलन में 2 लाख आदिवासियों को शामिल करने का टारगेट अपने नेताओं को सौंपा है. अकेले निमाड़ और महाकौशल से डेढ़ लाख आदिवासियों को सम्मेलन में शामिल करने के लिए भोपाल लाया जा रहा है, क्योंकि इस सम्मेलन के जरिए बीजेपी अपना सियासी मकसद पूरा करने के साथ ही 2023 के लिए आदिवासी समाज के बीच अपनी जमीन मजबूत कर लेना चाहती है.

2018 में सत्ता से...कुछ दूर रह गई थी बीजेपी

- मध्य प्रदेश में करीब 23% के करीब आदिवासी आबादी है. प्रदेश विधानसभा की 230 में से 47 सीटें इस ST वर्ग के लिए आरक्षित हैं.

- इनके अलावा अलग-अलग जिलों में 84 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां आदिवासी जीत और हार तय करते हैं.

- 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इन आदिवासी बहुल 84 में से 34 सीट पर ही जीत हासिल की थी. जबकि 2013 के चुनाव में उसे 59 सीटें मिलीं थी.

- मतलब साफ है 2013 के मुकाबले 2018 में पार्टी को आदिवासी बहुल इलाकों में 25 सीटों का नुकसान हुआ था.

- यही वजह थी बीजेपी प्रदेश में एक बार फिर से अपनी सरकार बनाने से 7 सीट पीछे रह गई थी. भाजपा को सरकार बनाने के लिए बहुमत (116 सीटें) से 7 सीटें कम मिली थीं.

- पार्टी को आदिवासियों का साथ नहीं मिला और भाजपा सत्ता में वापसी नहीं कर पाई. 2018 में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ने लंबे समय बाद प्रदेश की सत्ता में वापसी की थी. यही वजह है कि 2023 से पहले पार्टी का पूरा फोकस आदिवासी और ओबीसी वर्ग पर है. जिसे 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने की लड़ाई पार्टी कोर्ट में लड़ रही है. बीजेपी यह मानकर चल रही है कि आदिवासी और ओबीसी वोट बैंक पार्टी के साथ जुड़कर एक बार फिर प्रदेश की सत्ता में उसकी वापसी करा सकता है.

-पार्टी के रणनीतिकार यह मानते हैं कि 2023 विधानसभा चुनाव में बीजेपी की प्रदेश सरकार में वापसी होने पर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के नतीजे भी पहले से बेहतर हो सकते हैं. इसलिए बीजेपी बड़े पैमाने पर जनजातीय सम्मेलन का आयोजन कर रही है और पीएम नरेंद्र मोदी भी पार्टी के सियासी मकसद को साधने के लिए सम्मेलन में शिरकत कर रहे हैं. पीएम यहां आदिवासी समुदाय के लिए कई बड़ी घोषणाएं करेंगे.

2018 में बदल गया था सत्ता का समीकरण

- 2003 के विधानसभा चुनाव में st के लिए आरक्षित 41 सीटों में से बीजेपी ने 37 सीटें हासिल की थी जबकि कांग्रेस को 2 सीटें ही मिलीं थी. इसी दौरान नई बनीं पार्टी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने भी 2 सीटों पर कब्जा जमाया था.

- इससे पहले 1998 तक आदिवासी सीटों पर कांग्रेस का खासा प्रभाव माना जाता था.

- 2008 के चुनाव में st के लिए रिजर्व सीट 41 से बढ़कर 47 हो गई थी. जिसमें बीजेपी ने 29 सीटें और कांग्रेस ने 17 सीटों पर जीत हासिल की थी.

- 2013 के विधानसभा चुनावों में 47 सीटों में से बीजेपी को 31 जबकि कांग्रेस को 15 सीटें मिलीं थी.

- 2018 के चुनाव नतीजों से लगा कि आदिवासियों का बीजेपी से मोहभंग हो रहा है, क्योंकि 2018 के इलेक्शन में पांसा पलट चुका था. st की 47 सीटों में से बीजेपी केवल 16 सीटें जीत सकी जबकि कांग्रेस ने 30 सीटें हासिल की और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई.

2 महीने में लागू होंगी 14 घोषणाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मप्र सरकार की आदिवासियों से जुड़ी 14 घोषणाओं को लागू करेंगे. इन घोषणाओं का 18 सितंबर को जबलपुर में हुए कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिक्र किया था. पीएम इन घोषणाओं काे लागू करने का ऐलान करेंगे. ये घोषणाएं हैं

- PESA एक्ट चरणबद्ध तरीके से प्रदेश में लागू होगा.

- सामुदायिक वन प्रबंधन का अधिकार आदिवासी समाज को दिया जाएगा.

- राशन आपके द्वार योजना 89 ट्राइबल ब्लॉक में शुरू होगी.

- छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम राजा शंकर शाह होगा।

- मध्यप्रदेश औषधीय पादप बोर्ड का गठन.

- देवारण्य औषधीय उत्पादक बोर्ड का गठन.

- सिकेल सेल एनीमिया बीमारी से निजात पाने के लिए मिशन की शुरूआत .

- आदिवासी विद्यार्थियों को कक्षा 9वीं से ही NEET और JEE मेंस की परीक्षा की तैयारी के लिए स्मार्ट क्लासेस शुरू होंगी.

- वनोपज से बांस-बल्ली और जलाऊ लकड़ी पर समिति को अधिकार.

- प्रत्येक गांव में 4 व्यक्तियों को ग्रामीण इंजीनियर के रूप में ट्रेनिंग दी जाएगी.

- आदिवासी युवाओं को पुलिस व सेना में भर्ती के लिए ट्रेनिंग.

- एक साल में सरकारी बैकलॉग के रिक्त पदों को भर्ती अभियान चलाकर भरा जाएगा.

- जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर गांव में पानी की टंकी का निर्माण कर हर घर में नल कनेक्शन.

- मछली, मुर्गी व बकरी पालन के लिए एकीकृत स्कीम लागू होगी.

भोपाल। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल आ रहे हैं. पीएम जनजातीय गौरव दिवस और बिरसा मुंडा की जयंती पर आदिवासी महासम्मेलन को संबोधित करेंगे. राज्य सरकार इस सम्मेलन का बड़े पैमाने पर और भव्य आयोजन कर रही है. सम्मेलन में प्रदेश के अलग-अलग जिलों से लगभग 2 लाख से ज्यादा आदिवासियों के सम्मेलन में शामिल होने का दावा किया जा रहा है. आपको बता दें कि कुछ दिन पहले कांग्रेस ने भी ऐसा ही एक सम्मेलन किया था. इसमें भी बड़ी संख्या में आदिवासी नेता शामिल हुए थे. कांग्रेस ने राज्य सरकार से आदिवासी दिवस पर अवकाश घोषित करने की मांग भी थी, जिसपर बीजेपी ने आज आदिवासियों के भगवान माने जाने वाले बिरसा मुंडा की जयंती को जनजतीय गौरव दिसव के रूप में मनाने और छुट्टी घोषित किए जाने का ऐलान किया था. सियासी जानकार मानते हैं कि आदिवासी मध्यप्रदेश में एक बड़ा वोट बैंक है जो विधानसभा की 40 से ज्यादा सीटों पर सीधा दखल रखते हैं. इसे देखते हुए बीजेपी 2023 की तैयारी में जुट गई है.

चुनाव अभी दूर लेकिन दौरे का मकसद सियासी!

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अभी 2 साल बाकी हैं, लेकिन 2018 में महज कुछ सीटों से सत्ता से बाहर हो जाने वाली बीजेपी इस बार पिछली बार जैसा कुछ भी नहीं चाहती. इसी बात पर फोकस करते हुए पार्टी ने मिशन 2023 के लिए जमीनी तैयारी शुरू कर दी है. यही वजह है कि शिवराज सरकार ने 15 नवंबर को होने जा रहे जनजातीय सम्मेलन में 2 लाख आदिवासियों को शामिल करने का टारगेट अपने नेताओं को सौंपा है. अकेले निमाड़ और महाकौशल से डेढ़ लाख आदिवासियों को सम्मेलन में शामिल करने के लिए भोपाल लाया जा रहा है, क्योंकि इस सम्मेलन के जरिए बीजेपी अपना सियासी मकसद पूरा करने के साथ ही 2023 के लिए आदिवासी समाज के बीच अपनी जमीन मजबूत कर लेना चाहती है.

2018 में सत्ता से...कुछ दूर रह गई थी बीजेपी

- मध्य प्रदेश में करीब 23% के करीब आदिवासी आबादी है. प्रदेश विधानसभा की 230 में से 47 सीटें इस ST वर्ग के लिए आरक्षित हैं.

- इनके अलावा अलग-अलग जिलों में 84 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां आदिवासी जीत और हार तय करते हैं.

- 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इन आदिवासी बहुल 84 में से 34 सीट पर ही जीत हासिल की थी. जबकि 2013 के चुनाव में उसे 59 सीटें मिलीं थी.

- मतलब साफ है 2013 के मुकाबले 2018 में पार्टी को आदिवासी बहुल इलाकों में 25 सीटों का नुकसान हुआ था.

- यही वजह थी बीजेपी प्रदेश में एक बार फिर से अपनी सरकार बनाने से 7 सीट पीछे रह गई थी. भाजपा को सरकार बनाने के लिए बहुमत (116 सीटें) से 7 सीटें कम मिली थीं.

- पार्टी को आदिवासियों का साथ नहीं मिला और भाजपा सत्ता में वापसी नहीं कर पाई. 2018 में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ने लंबे समय बाद प्रदेश की सत्ता में वापसी की थी. यही वजह है कि 2023 से पहले पार्टी का पूरा फोकस आदिवासी और ओबीसी वर्ग पर है. जिसे 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने की लड़ाई पार्टी कोर्ट में लड़ रही है. बीजेपी यह मानकर चल रही है कि आदिवासी और ओबीसी वोट बैंक पार्टी के साथ जुड़कर एक बार फिर प्रदेश की सत्ता में उसकी वापसी करा सकता है.

-पार्टी के रणनीतिकार यह मानते हैं कि 2023 विधानसभा चुनाव में बीजेपी की प्रदेश सरकार में वापसी होने पर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के नतीजे भी पहले से बेहतर हो सकते हैं. इसलिए बीजेपी बड़े पैमाने पर जनजातीय सम्मेलन का आयोजन कर रही है और पीएम नरेंद्र मोदी भी पार्टी के सियासी मकसद को साधने के लिए सम्मेलन में शिरकत कर रहे हैं. पीएम यहां आदिवासी समुदाय के लिए कई बड़ी घोषणाएं करेंगे.

2018 में बदल गया था सत्ता का समीकरण

- 2003 के विधानसभा चुनाव में st के लिए आरक्षित 41 सीटों में से बीजेपी ने 37 सीटें हासिल की थी जबकि कांग्रेस को 2 सीटें ही मिलीं थी. इसी दौरान नई बनीं पार्टी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने भी 2 सीटों पर कब्जा जमाया था.

- इससे पहले 1998 तक आदिवासी सीटों पर कांग्रेस का खासा प्रभाव माना जाता था.

- 2008 के चुनाव में st के लिए रिजर्व सीट 41 से बढ़कर 47 हो गई थी. जिसमें बीजेपी ने 29 सीटें और कांग्रेस ने 17 सीटों पर जीत हासिल की थी.

- 2013 के विधानसभा चुनावों में 47 सीटों में से बीजेपी को 31 जबकि कांग्रेस को 15 सीटें मिलीं थी.

- 2018 के चुनाव नतीजों से लगा कि आदिवासियों का बीजेपी से मोहभंग हो रहा है, क्योंकि 2018 के इलेक्शन में पांसा पलट चुका था. st की 47 सीटों में से बीजेपी केवल 16 सीटें जीत सकी जबकि कांग्रेस ने 30 सीटें हासिल की और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई.

2 महीने में लागू होंगी 14 घोषणाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मप्र सरकार की आदिवासियों से जुड़ी 14 घोषणाओं को लागू करेंगे. इन घोषणाओं का 18 सितंबर को जबलपुर में हुए कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिक्र किया था. पीएम इन घोषणाओं काे लागू करने का ऐलान करेंगे. ये घोषणाएं हैं

- PESA एक्ट चरणबद्ध तरीके से प्रदेश में लागू होगा.

- सामुदायिक वन प्रबंधन का अधिकार आदिवासी समाज को दिया जाएगा.

- राशन आपके द्वार योजना 89 ट्राइबल ब्लॉक में शुरू होगी.

- छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम राजा शंकर शाह होगा।

- मध्यप्रदेश औषधीय पादप बोर्ड का गठन.

- देवारण्य औषधीय उत्पादक बोर्ड का गठन.

- सिकेल सेल एनीमिया बीमारी से निजात पाने के लिए मिशन की शुरूआत .

- आदिवासी विद्यार्थियों को कक्षा 9वीं से ही NEET और JEE मेंस की परीक्षा की तैयारी के लिए स्मार्ट क्लासेस शुरू होंगी.

- वनोपज से बांस-बल्ली और जलाऊ लकड़ी पर समिति को अधिकार.

- प्रत्येक गांव में 4 व्यक्तियों को ग्रामीण इंजीनियर के रूप में ट्रेनिंग दी जाएगी.

- आदिवासी युवाओं को पुलिस व सेना में भर्ती के लिए ट्रेनिंग.

- एक साल में सरकारी बैकलॉग के रिक्त पदों को भर्ती अभियान चलाकर भरा जाएगा.

- जल जीवन मिशन के अंतर्गत हर गांव में पानी की टंकी का निर्माण कर हर घर में नल कनेक्शन.

- मछली, मुर्गी व बकरी पालन के लिए एकीकृत स्कीम लागू होगी.

Last Updated : Nov 15, 2021, 6:23 AM IST
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