भोपाल : ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में शनि का विशेष महत्व है. शनि का असर किसी भी राशि पर लंबे समय तक रहता है. शनि राशि परिवर्तन के साथ ही कुछ राशियों पर साढ़ेसाती और शनि ढैय्या भी शुरू होती है. साढ़े साती (sadhe saati) और शनि ढैय्या का असर कई सालों तक रहता है. शनि देव को कर्म और न्याय का देवता कहा जाता है इसलिए ज्यादातर लोगों के लिए शनि की साढ़ेसाती (shani ki sadhe sati) या ढैय्या (Shani Dhaiya) या दशा का समय कष्टदायक ही रहता है. इन कष्टों से मुक्ति के लिए शनिदेव की पूजा (Shani dev puja) शनिवार के दिन की जाती है.
संसार में कुछ शाश्वत सत्य होते हैं और उन्हें टाला या झुठलाया नहीं जा सकता. ऐसा ही एक सत्य है व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी शनि की साढ़े साती (shani sadhe saati) या ढैय्या का आना. किसी भी राशि की कोई ऐसी कुंडली नहीं मिले होगी जिसमें किसी न किसी समयावधि में शनि की साढ़े सात साल या ढाई साल की विशेष दशा न हो.
साढ़ेसाती ढैय्या से प्रभावित राशियां
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार शनि की वर्तमान स्थिति में धनु , कुंभ और मकर राशि वाले लोग शनि की साढ़े साती से प्रभावित हैं. इनमें धनु राशि के लोगों पर शनि की साढ़े साती का अंतिम चरण, कुंभ राशि वालों पर पहला और मकर राशि वालों पर दूसरा चरण चल रहा है. इसके साथ ही तुला और मिथुन राशि पर शनि की ढैय्या का प्रभाव चल रहा है. अगले साल अप्रैल के 29 अप्रैल 2022 तक यही स्थिति रहेगी. इसके बाद शनि मकर से निकलकर कुंभ में गोचर करेंगे.
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शनि की साढ़ेसाती (sadhe sati), ढैय्या (Shani Dhaiyya), कुंडली की दशा (shani dasha) और पितृदोष (pitru dosh) आदि के कष्टों को दूर या कम करने के लिए शनिवार, शनैश्चरी अमावस्या और ग्रहण का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. शनि से संबंधित सभी परेशानियों के अलावा पितृ दोष (pitra dosh)आदि से भी से मुक्ति पाने के लिए शनिवार का दिन महत्वपूर्ण होता है.
इन उपायों से मिलेगी राहत (shanivar ke upay)!
शनिवार (shanivar ke upay) के दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. तांबे के कलश में जल के साथ शक्कर और दूध मिलाकर पश्चिम दिशा में मुंह कर पीपल के पेड़ को वृक्ष को जल दें. शनिवार व्रत के दिन नीले, बैंगनी या काले रंग के कपड़े पहनें. संभव हो तो दिन में व्रत रखें. शनि मंत्रों का जाप करें.
जरूर करें पीपल वृक्ष की पूजा
शनिदेव के प्रभाव से परेशान हैं तो भगवान शिव का पूजन करें. शनिदेव भगवान शिव को गुरु मानते हैं और हनुमान जी की पूजा करें. उनके सामने सरसों या तिल के तेल का दीपक जलाएं. शमी का पौधा अपने हाथों से लगाएं, उसका पूजन करें. हर शनिवार (shanivar ke upay) को मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाएं. सिर्फ शनिवार के दिन पीपल को छू सकते हैं इसलिए जल अर्पित करके वृक्ष (pipal ki puja) की पूजा और प्रणाम करें, ऐसा करने से मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है. अपने घर के आसपास सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे (peepal ki pooja) सरसों के तेल का दीपक जरूर जलाएं और घर वापस आते समय पीछे मुड़ कर न देखें.
शनि महाराज को (shanivar ke upay) तेल के दीये के साथ काली उड़द और फिर कोई भी काली वस्तु भेंट करें. शनि प्रतिमा पर सरसों का तेल, तिल और कपड़ा अर्पण करें. शनि देव को भेंट चढ़ाने के बाद शनि चालीसा पढ़ें. दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ भी लाभदायक रहता है. शनि देव की पूजा करने के बाद हनुमान जी की पूजा करने, उनकी मूर्ति पर सिंदूर लगाने , गुड़, चना और केला चढ़ाने से शनि देव जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं और दोनों देवताओं का आशीर्वाद मिलता है.
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शनिवार, अमावस्या (Amavashya) और ग्रहण के दिन गरीबों और जरूरतमंदो को यथाशक्ति दान करें. शनिवार, अमावस्या और ग्रहण के दिन पैसों, काली चीजों का दान श्रेष्ठ है जैसे कि काली उड़द, जूते-चप्पल, छाता, नील-काले कपड़े, तिल या सरसों का तेल और कम्बल आदि. मछलियों को आटे की गोलियां, दाना खिलाएं. गरीबों की सेवा करें उन्हें तेल और उड़द से बना खाना खिलाएं या दान करें.