भोपाल। मध्यप्रदेश में सिर्फ उज्जैन ऐसा जिला है, जहां मासूमों के साथ दरिंदगी की एक भी घटना दर्ज नहीं हुई. जबकि इंदौर इस मामले में सबसे अव्वल है. यहां औसतम हर दो दिन में तीन मासूस बच्चियां दरिंदों का शिकार हो रही हैं. मध्यप्रदेश में पिछले चार सालों में बच्चियों से दरिंदगी के मामलों में करीब चार गुना बढ़ोतरी हुई है. इनमें 96 फीसदी मामलों में आरोपी परिचित ही निकले हैं. करीब 40 फीसदी मामलों में आरोपी फेमिली फ्रेंड या पड़ोसी ही निकलते हैं.
बच्चियों से दरिंदगी के मामले टाॅप 10 जिले
मध्यप्रदेश में साल 2020 में बच्चियों से दरिंदगी की 3259 घटनाएं हुई हैं. यानि हर रोज 8 से ज्यादा बच्चियों से दुराचार की घटनाएं हो रही हैं. एनसीआरबी और पुलिस मुख्यालय के मुताबिक सबसे ज्यादा 165 घटनाएं इंदौर में सामने आई हैं. यानि इंदौर में हर दो दिन में तीन मासूम के साथ दुराचार हुआ. प्रदेश के बड़े शहरों की अपेक्षा राजधानी से सटे छोटे जिलों सीहोर, रायसेन में भी ऐसी घटनाएं बड़ी संख्या में हुई हैं. आदिवासी जिला धार में एक साल में 128 और खरगौन में बच्चियों से दुराचार की 136 घटनाएं सामने आई हैं.
उज्जैन में एक साल में बच्चियां सबसे ज्यादा सेफ
प्रदेश का उज्जैन जिला ऐसा है, जहां पिछले एक साल में बच्चियों से दरिंदगी की एक भी घटना दर्ज नहीं हुई है. प्रदेश के बाकी सभी जिलों में इस तरह की एक दर्जन से ज्यादा घटनाएं सामने आई हैं.
बीते 4 साल में 400 गुना बढ़ीं दरिंदगी की घटनाएं
मध्यप्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य हैं, जहां मासूमों से दरिंदगी के दोषी को फांसी तक की सजा का प्रावधान किया है. इसके बाद भी इस तरह की घिनौनी घटनाओं में कमी नहीं आ रही है. राज्य में पिछले चार साल में मासूमों से ज्यादती की घटनाओं में 400 % की बढ़ोतरी हुई है. साल 2017 में जहां इस तरह की 964 घटनाएं हुई थीं, वहीं साल 2020 में ऐसी 3259 घटनाओं ने समाज को शर्मसार किया.
40 फीसदी घटनाओं में Family Friends निकले आरोपी
भोपाल के संदीप (परिवर्तित नाम) की बेटी को जिंदगी भर का दर्द मिला. वे बताते हैं कि पड़ोस में रहने वाले सुरेश (बदला हुआ नाम) अक्सर घर आते थे. कई बार टूर पर जाना पड़ता तो घर में किसी तरह की जरूरत पड़ने पर हमेशा मदद के लिए वो आगे रहते. मेरी पत्नी उन्हें भाई मानती थी. वह अक्सर उनकी 10 साल की बच्ची को पढ़ाई में मदद करते थे. बाद में वह उसे पढ़ाने के लिए उसे अपने घर बुलाने लगे।.इसी दौरान उन्होंने बच्ची के साथ छेड़खानी शुरू कर दी. हमने भी कभी अंकल के व्यवहार के बारे में पूछताछ नहीं की. इसी भरोसे का फायदा उठाकर उन्होंने बच्ची के साथ गलत काम शुरू कर दिया. लगभग इसी तरह की कहानी भरोसे के वजह से शिकार हुई दूसरी बच्चियों की है. इस तरह की ताजा घटना ग्वालियर की है, जहां 40 साल के पड़ोसी ने 4 साल की मासूम को दरिंदगी का शिकार बनाया.
- साल 2020 में छोटी बच्चियों से रेप की 3259 घटनाएं हुई. इसमें से 98 फीसदी मामलों में करीबियों ने ही बच्चियों से दुराचार किया. 3259 मामलों में से 3189 मामलों में आरोपी ऐसे निकले, जिन्हें पीड़ित बच्ची और उनके परिजन जानते थे. इनमें से 1070 आरोपी फैमिली फ्रेंड या पड़ोसी निकले. सिर्फ 70 आरोपी ही ऐसे थे, जिन्हें पहले से कोई नहीं जानता था. 264 मामलों में परिवार के सदस्य ही ऐसी दिल दहला देनी वाली घटना में आरोपी निकले.
- साल 2019 में मध्यप्रदेश में छोटी बच्चियों से दुराचार के 3337 मामले सामने आए. इसमें से 96 फीसदी मामलों यानी 3232 मामलों में आरोपी परिचित ही थे. इसमें से 1539 मामलों में फैमली फ्रेंड या पड़ोसी ही आरोपी निकले. 105 मामलों में आरोपी अपरिचित थे, जबकि 286 मामलों में आरोपी परिवार के सदस्य ही निकले.
- 2018 में राज्य में बच्चियों से दुराचार के 1047 मामले सामने आए. इसमें से 1030 मामलों में आरोपी परिचित निकले. इसमें से 420 मामलों में बच्चियों से दुराचार करने वाले फैमिली फ्रेंड, पड़ोसी पाए गए. सिर्फ 17 मामलों में आरोपी पहले से परिचित नहीं था, वहीं 94 मामलों में आरोपी परिवार का सदस्य ही निकला.
बच्चों को करें जागरूक
एडीजी महिला अपराध रुचि श्रीवास्तव कहती हैं कि ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है. लेकिन इससे बचने के लिए परिजनों को भी सतर्क रहना होगा. बच्चों को जागरूक करना होगा. पुलिस मुख्यालय की महिला अपराध शाखा ने बच्चों की सुरक्षा के लिए गाइडलाइन जारी की है. साथ ही कुछ तस्वीरें भी जारी की हैं. इनके जरिए बताया गया है कि बच्चों और परिजनों को कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना है, ताकि इस तरह की घटनाओं से मासूमों को बचाया जा सके.
- खेल के मैदान या पार्क में बच्चों को अकेला ना छोड़ें, संदिग्ध व्यक्ति से मिलने पर उससे पूछताछ करें.
- बच्चों से स्कूल, मोहल्ले, पड़ोसी, परिचित, रिश्तेदारों के बारे में खुलकर बात करें.
- कई बार अपराधी बच्चों को उनके मां-बाप, भाई बहन के बारे में झूठी सूचना देकर अपने साथ ले जाते हैं. इससे बचने के लिए अभिभावक और बच्चे अपने बीच कुछ पासवर्ड तय करें.
- बच्चा यदि किसी से मिलने या स्कूल जाने या किसी खास जगह जाने से घबराने लगे तो संकेतों को गंभीरता से लें.
- अपरिचित व्यक्तियों से चॉकलेट, आइसक्रीम, खाने पीने का सामान या खिलौना आदि ना लेना सिखाएं.
- अंजान और एकांत रोड या इलाकों से दूर रहने और ऐसी जगहों पर संभावित खतरों के बारे में बताएं.
- बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताएं.