भोपाल। 15 अक्टूबर 2021, शुक्रवार को आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि है. इसी दिन दशहरा मनाया जाएगा और रावध दहन होगा. दशहरा के दिन रावण के साथ-साथ कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का भी दहन किए जानें की परंपरा है. इस दिन अभिजित मुहूर्त 11:36 बजे से 12:24 बजे तक शुभ है. रावण दहन का शुभ समय 7.26 बजे से 9.22 बजे तक है. रिपोर्ट में जानें दिन और रात के शुभ मुहुर्त.
दिन के मुहूर्त
- सर्वार्थसिद्धि योग : सुबह 06.21 बजे से 09.16 तक
- शुभ समय : सुबह 7.30 बजे से 10.45 तक, दोपहर 12.20 से 2.00 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11.43 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक
- विजय मुहूर्त : दोपहर 2.01 बजे से दोपहर 2.47 बजे तक
- पूजा का मुहूर्त : 1.15 बजे से 3.33 बजे तक
रावण दहन का मुहूर्त
- रावण दहन का शुभ समय 7.26 बजे से 9.22 बजे तक उत्तम है.
- विशेष बात ये है कि इस दिन मकर राशि में तीन ग्रहों की युति बन रही है
- इस दिन गुरु, शनि और चंद्रमा एक साथ मकर राशि में रहेंगे
दशहरे की पूजन विधि
दशहरे के दिन सुबह जल्दी उठकर, नहा-धोकर साफ कपड़े पहने और गेहूं या चूने से दशहरे की प्रतिमा बनाएं. गाय के गोबर से 9 गोले और 2 कटोरियां बनाकर, एक कटोरी में सिक्के और दूसरी कटोरी में रोली, चावल, जौ और फल रखें. अब प्रतिमा को केले, जौ, गुड़ और मूली चढ़ाएं. यदि आप बहीखातों या शस्त्रों की पूजा कर रहे हैं तो उन पर भी ये सामग्री जरूर अर्पित करें. इसके बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा करें और गरीबों को भोजन कराएं. रावण दहन के बाद शमी वृक्ष की पत्ती अपने परिजनों को दें. अंत में अपने बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें.
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दशहरे पर होती है विशेष पूजा
शत्रुओं पर विजय की कामना लिए इस दिन शस्त्र पूजा का विधान है. पूर्व की भांति आज भी शस्त्र, मशीनों, कारखानों आदि की पूजन की परंपरा कायम है और देश की तमाम रियासतों और शासकीय शस्त्रागारों में आज भी शस्त्र पूजा बड़ी धूमधाम के साथ की जाती है. इस दिन शस्त्र पूजा के साथ ही अपराजिता, शमी के पेड़ के पूजन का भी महत्व है. वैसे तो दशहरे के दिन पूरी दशमी तिथि ही शुभ मानी जाती है, लेकिन शस्त्र, अपराजिता, शमी पूजा के लिए विजय मुहूर्त उत्तम माना जाता है. इस मुहूर्त में किए गए कार्य में सफलता अवश्य प्राप्त होती है. विजयादशमी के दिन विजय मुहूर्त में शस्त्रों आदि की पूजा करने का प्रयास करना चाहिए.
दशहरे के रीति-रिवाज और मान्यताएं
दहशरा के दिन शाम को रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है. 10 दिनों तक चलने वाली रामलीलाओं का समापन रावण दहन के साथ ही होता है. हर वर्ष दशहरा के दिन रावण के पुतले का दहन इसलिए किया जाता है कि व्यक्ति अपनी बुराइयों को नष्ट करके अपने अंदर अच्छी आदतों और व्यवहार का विकास करे. साथ ही उसे यह बात याद रहे कि विजय हमेशा सत्य की होती है, अच्छाई की होती है. नवरात्रि के दौरान जो लोग मां दुर्गा की मूर्तियां स्थापित करते हैं, वे दशहरे के दिन उनका विसर्जन कर देते हैं.
दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दिखना बड़ा ही शुभ माना जाता है. दशहरे पर इसका दिखना अच्छे समय की शुरुआत होने का संकेत माना जाता है. नीलकंठ पक्षी को भगवान शिव का रूप माना जाता है. दशहरे के दिन पान खाने का भी विशेष महत्व होता है. इस दिन श्री राम भक्त हनुमान को पान चढ़ाने से मन की मुरादें पूरी होती हैं.