जबलपुर। एमपीपीएससी द्वारा 19 जून को आयोजित की जा रही प्रारंभिक परीक्षा 2021 को स्थगित किए जाने की मांग को मानने से हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है. परीक्षा स्थगित किए जाने को लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि प्रारंभिक परीक्षा के आयोजन में हाईकोर्ट द्वारा पारित अंतरित आदेश तथा नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस अंजली पालो की युगलपीठ ने परीक्षा स्थागित किए जाने की मांग अस्वीकार कर दी है. इस मामले में अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है.
यह है मामला: भिंड निवासी छात्र आकाश पाठक ने दायर याचिका में कहा है कि एमपीपीएससी संवैधानिक नियमों की अवहेलना तथा हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश की अवमानना कर रही है. हाईकोर्ट ने 7 अप्रैल 2022 में पारित आदेश में एमपीपीएससी 2019 की परीक्षा को असंवैधानिक घोषित दिया था. एमपीपीएससी ने अभी तक साल 2019 की प्रारंभिक परीक्षा का संशोधित परिणाम जारी नहीं किया है. इसी प्रकार से 2020 की प्रारंभिक परीक्षा में भी हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के बावजूद भी ओबीसी वर्ग को 27 आरक्षण दिया गया है. 2021 की प्रारंभिक परीक्षा के नोटिफिकेशन में ओबीसी को 31 आरक्षण दिया गया है ,जबकि हाईकोर्ट ने ओबीसी वर्ग को सिर्फ 14 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने के अंतरित आदेश जारी किए हैं.
नगरीय निकाय चुनाव के बाद कराई जाए परीक्षा: याचिका में यह भी कहा गया है कि पंचायत तथा नगर पालिका चुनाव की डयूटी में ऐसे शासकीय कर्मचारी को लगाया गया है, जो पीएससी की प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी कर रहें हैं. कर्मचारियों को चुनाव संबंधित ट्रैनिंग 18 जून तक दी जायेगी और अगले दिन 19 जून को परीक्षा है. ऐसे में जिन अभ्यर्थियों की ड्यूटी किसी अन्य जिले में है और सेंटर उनके गृह जिले में है,उन्हें परेशाानी का सामना करना पडेगा. इसके अलावा उन्हें पढने का समय भी नहीं मिलेगा. याचिका में राहत चाहते हुए मांग की गई है कि एमपीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा नगरीय चुनाव के बाद आयोजित की जाए. याचिका की सुनवाई के दौरान पीएससी की तरफ से बताया गया कि प्रारंभिक परीक्षा की पूरी तैयारी हो गयी है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद परीक्षा स्थगित किये जाने की मांग को अस्वीकार करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका पर अगली सुनवाई 4 जुलाई को निर्धारित की गयी है.