भोपाल। कोरोना काल में लॉक डाउन से पर्यटन से जुड़े लोगों के रोजगार छिन गए. लेकिन अब फिर से पर्यटन के क्षेत्र में रौनक लौटने लगी है. इसी सिलसिले में शिवराज कैबिनेट ने बढ़ते पर्यटन को देखते हुए ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अपनी नीति में बदलाव किया. जिसमें सैलानियों को होम स्टे देने वाले स्थानीय को सरकार मकान बना कर देगी. जिसमें सरकार सब्सिडी देगी और मकान बनाकर सैलानियों को रोककर ग्रामीण अपना रोजगार और आमदनी बढ़ा सकते हैं.
ग्रामीण आवास और भोजन का बढ़ रहा है ट्रेंड: कोरोना काल के बाद पिछले साल से पर्यटन विकास निगम ने सैलानियों को पर्यटन स्थल पर घर जैसा माहौल और सुविधाएं मुहैया कराने के लिए होम स्टे योजना की शुरुआत की थी. जिसमें जानकारी के मुताबिक 100 से ज्यादा सैलानियों ने रजिस्ट्रेशन कराया. योजना के तहत पर्यटन स्थलों पर रहने वाले स्थानीय लोग सैलानियों के साथ निवास साझा करते हैं. इसके बदले में उन्हें तय राशि मिलती है, यहां पर्यटकों को भोजन के साथ अन्य बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं. ये प्लान कामयाब होते देख सरकार ने ग्रामीण पर्यटन को बढ़ाने के लिए अब घर बनाने के लिए राशि भी देने का प्रावधान किया है.
लोगों को रोजगार और आमदनी का जरिया बना होम स्टे पर्यटन: ग्रामीण अंचल तक पर्यटकों की पहुंच की कवायद सुनिश्चित करने और संबंधित स्थलों पर बुनियादी व्यवस्था करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम स्टे, तो नगरीय सीमा में होम स्टे योजना के तहत स्थानीय लोगों को शामिल किया जाता है. नगरीय सीमा से बाहर के आवास फॉर्म स्टे योजना के अंतर्गत आते हैं. पर्यटन विकास निगम के अधिकारियों के मुताबिक वाइल्ड लाइफ, धार्मिक और ग्रामीण परिवेश को जानने के लिए पर्यटकों का रुझान बढ़ा है. मध्य प्रदेश में बीते एक साल के दौरान 33 होम स्टे बढ़े हैं. वहीं 2020 में इनकी संख्या 71 थी, जो मार्च 2022 तक 160 पहुंच गई.
वित्तीय वर्ष में लगभग 300 होम स्टे शुरू होगें: पर्यटन विकास निगम के मुताबिक, अभी 110 गांवों में इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. इसमें स्थानीय भोजन, डांस, म्यूजिक, एग्रीक्लचर, आर्ट, क्राफ्ट्स के साथ ही लॉकल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किए जाने पर जोर है. 20 गांवों में विकास का काम पूरा हो चुका है और कुछ में टूरिस्ट ठहरना भी शुरू कर चुके हैं. ग्रामीण पर्यटन के तहत होम स्टे योजना को बढ़ावा दिया जाएगा. इस योजना के तहत गांवों में ऐसी पारंपरिक हवेलियां, पुराने किले या मकान चुने जाएंगे, जो पर्यटकों के रहने के लिए उपयुक्त हो. इसमें कुछ मकान ऐसे भी होंगे, जहां मकान मालिक स्वंय भी अपने परिवार के साथ रहता हो और एक हिस्से में पर्यटकों को ठहरा सके. इससे गांवों में मकान मालिकों को आय भी होगी और संस्कृति का मिश्रण भी हो सकेगा.
होम स्टे में क्या जोड़ा गया:
- नए होम स्टे निर्माण कराने पर लागत का 40 प्रतिशत अधिकतम 2 लाख रुपए का अनुदान मिलेगा. साथ ही होम स्टे का रिनोवेशन कराने के लिए लागत का 40 फीसदी, यानी 1 लाख 20 हजार अनुदान दो किश्तों में मिलेगा. हितग्राही अधिकतम दो कमरों का निर्माण कर सकेगा.
- होम स्टे के लिए 4 योजनाओं में पंजीयन कराना अनिवार्य है. पहले चरण में 365 कक्षों और दूसरे चरण में 375 कक्ष और भवनों का निर्माण होगा. इसके साथ 130 आवासों का उन्नयन कराया जा सकेगा. इस पर करीब 17 करोड़ की राशि खर्च कर, करीब 20 हजार ग्रामीणों को रोजगार के मौके दिए जाएंगे.
पूरे मध्यप्रदेश में कहीं भी रजिस्ट्रर कर सकते हैं होम स्टे: फिलहाल होम स्टे प्रमुख पर्यटन केंद्रों से सटे हैं. ओरछा, बांधवगढ़, कान्हा टाइगर रिजर्व, खजुराहो के साथ-साथ जहां पर सैलानी ज्यादा आ रहे हैं. वहां पर होम स्टे के साथ-साथ फार्म स्टे को लेकर लोगों ने उत्सुकता दिखाई है. जिसके चलते उनकी आमदनी भी बढ़ी है.
क्या कहती हैं पर्यटन मंत्री: पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर का कहना है कि, 'एमपी सरकार ने स्थानीय एवं विदेशी पर्यटकों को नया अनुभव देने की कोशिश की है. होम स्टे से देशी-विदेशी पर्यटकों को भारतीय संस्कृति, खानपान, वेशभूषा, संगीत और आतिथ्य का अनुभव मिलेगा. निजी भागीदारी से पर्यटकों को सुविधाओं में और बढ़ोतरी मिलेगी. साथ ही निजी क्षेत्रों को आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन राशि का प्रावधान भी किया गया है'.