भोपाल। कोरोना संक्रमण की वजह से गड़बड़ाई प्रदेश की अर्थव्यवस्था और निचले तबके की आर्थिक बेहतरी के लिए सरकार प्रदेश में कुटीर उद्योगों को मजबूती देगी. इसके तहत प्रदेश में बेहतर काम कर रही स्व-सहायता समूहों के प्रोडक्ट को बाजार उपलब्ध कराया जाएगा. वहीं कुटीर उद्योगों के जरिए स्वरोजगार के अवसर पैदा किए जाएंगे. जिससे प्रदेश के छोटे तबके को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके. स्व सहायता समूह को समृद्ध बनाने 13 मई को पंचायत एवं ग्रामीण विकास द्वारा एक प्रेजेंटेशन भी किया जाएगा.
कोरोना वायरस से बचाव को लेकर लॉकडाउन के चलते मध्य प्रदेश की आर्थिक गतिविधियां रुकी हुई हैं. हालांकि ग्रीन, ऑरेंज और रेड जोन में भी कुछ पाबंदियों के साथ आर्थिक गतिविधियां शुरू की गई है लेकिन यह अभी तक पूरी तरह से गति नहीं पकड़ पाई है. डेढ़ महीने के लॉकडाउन की वजह से प्रदेश में लघु और कुटीर उद्योगों पर भी असर पड़ा है. हालांकि अब सरकार ने स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने लघु और कुटीर उद्योग की संख्या प्रदेश में बढ़ाने की तैयारी की है. ताकि स्थानीय स्तर पर ज्यादा से ज्यादा लोगों को इससे जोड़ा जा सके.
स्व-सहायता समूहों को बनाया जाएगा मजबूत
कोरोना संकट के दौर में प्रदेश के स्व-सहायता समूह मददगार साबित होंगे. प्रदेश के अलग-अलग जिलों में संचालित स्व-सहायता समूह ने बड़ी संख्या में ना सिर्फ मास्क उपलब्ध कराए हैं बल्कि बड़ी संख्या में पीपीई तैयार कर मदद की है. ग्वालियर, सागर, छिंदवाड़ा, धार, इंदौर आदि जिलों पर स्व-सहायता समूह ने बड़ी संख्या में मास्क, पीपीई किट, सेनिटाइजर आदि प्रोडक्ट बनाए हैं, हालांकि इनके अलावा बाकी उत्पाद बनाने वाले स्व-सहायता समूह की हालत बेहद खराब है. अब स्व-सहायता समूह को सरकार मार्केट उपलब्ध कराने की तैयारी कर रही है. स्व-सहायता समूह के उत्पादों की बिक्री के लिए मध्य प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर सांची पार्लर जैसे बूथ खोले जाएंगे. साथ ही प्रदर्शनी केंद्रों की स्थापना के जरिए इन उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराया जाएगा. इसके लिए भारत सरकार द्वारा 60 फीसदी तक की वित्तीय सहायता दी जाएगी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिए हैं.
13 मई को होगा प्रेजेंटेशन
स्व-सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के रोजगार बढ़ाने और उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने 40 सूत्रीय कार्य योजना तैयार की है. जिसे सीएम की मंजूरी के बाद से लागू किया जाएगा. इस संबंध में 13 मई को मुख्यमंत्री के सामने इसका प्रेजेंटेशन पेश किया जाएगा.
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में 2 लाख 92 हजार से ज्यादा स्व सहायता समूह हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं. इनमें से ज्यादातर समूह राज्य आजीविका मिशन द्वारा संचालित किए जा रहे हैं तो कुछ समूह खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड मध्य प्रदेश राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम भी चलाता है.