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MP Government Big mistake: चाहकर भी नगर पालिका-परिषद में अध्यक्ष नहीं बन पाएंगे नेताजी, एक क्लिक में जानिये पूरा सियासी पेंच

मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय के नियमों में किया गया बदलाव जीतकर जाने वाले पार्षदों के लिए मुश्किल साबित होगा. दरअसल, नियमों में किए गए फेरबदल के बीच सरकार एक बड़ा बदलाव करना भूल गई. अध्यक्ष बनने के लिए उम्र 25 साल होना जरूरी है, जबकि पार्षद के लिए उम्र 21 या इससे अधिक है. ऐसे में नेताजी पार्षद तो बन जाएंगे, लेकिन चाहकर भी अध्यक्ष नहीं बना सकेंगे. वहीं, छत्तीसगढ़ सरकार दो साल पहले ही उम्र में संशोधन कर चुकी है. (MP Government Big mistake) (MP govt did not amend election Rules)

MP Government Big mistake
शिवराज सरकार से बड़ी चूक
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Published : Jun 23, 2022, 2:18 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव (MP Local Body Election) का बिगुल बज चुका है. नगर पालिका से लेकर नगर परिषद में कई युवा उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपनी सियासी किस्मत आजमाने उतरे हैं. इसमें कई ऐसे भी हैं जिनकी उम्र 21 और 22 साल है. ऐसे उम्मीदवार यदि पार्षद का चुनाव जीत भी गए तब भी अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी नहीं कर सकेंगे. क्योंकि शिवराज सरकार नगरीय निकाय चुनाव के नियमों में एक बड़ा बदलाव करना भूल गई. निर्वाचन नियमों में संशोधन न किए जाने से यह स्थिति बनी है. पार्षद के चयन की उम्र तो 21 साल या इससे अधिक रखी गई, लेकिन नगर पालिका और परिषद अध्यक्ष के लिए उम्र को 25 साल और उससे अधिक ही रखी गई है.

महापौर के प्रत्यक्ष चुनाव को लेकर अध्यादेश लाई थी सरकार: प्रदेश सरकार निकाय चुनाव में महापौर के प्रत्यक्ष चुनाव को लेकर 25 मई को अध्यादेश लेकर आई थी. इसमें प्रावधान किया गया कि महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होगा, जबकि नगर पालिका और नगर परिषद के चुनाव अप्रत्यक्षण प्रणाली से कराए जाएंगे. यानी नगर पालिका और नगर परिषद में जो उम्मीदवार चुनकर आएंगे, वह अध्यक्ष का चुनाव कराएंगे. जबकि पूर्व में महापौर की तरह नगर पालिका अध्यक्ष और नगर परिषद अध्यक्ष के चुनाव में डायरेक्ट होते थे, लेकिन इस बाद जब इसमें बदलाव किया गया तो उम्मीदवार की उम्र को नहीं बदला गया.

छत्तीसगढ़ सरकार उम्र में कर चुकी है संशोधन: छत्तीसगढ़ सरकार तीन साल पहले ही नगर पालिका अध्यक्ष की उम्र को घटाकर 21 साल कर चुकी है. 2019 में लाए गए अध्यादेश में नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष की न्यूनतम आयु सीमा को घटा कर 21 साल किया जा चुका है. इसी तरह महापौर के चुनाव की प्रक्रिया अप्रत्यक्ष कर दी गई थी और इसके बाद पार्षद के चुनने की उम्र को भी 21 साल कर दिया गया था. पूर्व में यह आयु सीमा 25 साल थी.

MP Nikay Chunav: प्रत्याशियों की पब्लिसिटी पर चुनाव आयोग का पहरा, खर्च में जुड़ेगा विज्ञापन व्यय

चाहकर भी अध्यक्ष नहीं बन पाएंगे नेताजी: प्रदेश में 76 नगर पालिका और 255 नगर परिषदों में चुनाव हो रहे हैं. इनमें बड़ी संख्या में युवा अपनी राजनीतिक किस्मत आजमाने चुनाव मैदान में उतरे हैं. ऐसे में यदि ये पार्षद का चुनाव जीतकर आ भी जाएं, तब भी 25 साल की उम्र का बंधन होने से नगर पालिका या नगर परिषद अध्यक्ष के लिए दावेदारी नहीं कर सकेंगे. हालांकि, मध्यप्रदेश विधानसभा का सत्र 25 जुलाई से शुरू होने जा रहा है, लेकिन इसके एक हफ्ते पहले यानी 18 जुलाई तक सभी निकायों के चुनाव परिणाम आ जाएंगे और अधिकांश स्थानों पर अध्यक्ष पद पर चुनाव भी हो जाएगा.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ ? : पूर्व विधानसभा अध्यक्ष भगवान देव ईशराणी के मुताबिक, नगर पालिका अध्यक्ष का पद हो या सदन के सभापति का पद, इस पद पर हमेशा ऐसे व्यक्ति को बैठाया जाता है, जिन्हें नियमों की अच्छे से जानकारी हो. वैसे अध्यक्ष के पद की उम्र 25 साल ही रही है. अध्यक्ष ऐसे व्यक्ति को ही बनाया जाना चाहिए, जो सीनियर हो. आमतौर पर चुनकर आने वाले अधिकांश उम्मीदवार 25 और इससे अधिक आयु के ही होते हैं.

(MP Local Body Election) (MP govt did not amend election rules) (MP Government Big mistake) (Councilors will become in 21 year but not president)

भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव (MP Local Body Election) का बिगुल बज चुका है. नगर पालिका से लेकर नगर परिषद में कई युवा उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपनी सियासी किस्मत आजमाने उतरे हैं. इसमें कई ऐसे भी हैं जिनकी उम्र 21 और 22 साल है. ऐसे उम्मीदवार यदि पार्षद का चुनाव जीत भी गए तब भी अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी नहीं कर सकेंगे. क्योंकि शिवराज सरकार नगरीय निकाय चुनाव के नियमों में एक बड़ा बदलाव करना भूल गई. निर्वाचन नियमों में संशोधन न किए जाने से यह स्थिति बनी है. पार्षद के चयन की उम्र तो 21 साल या इससे अधिक रखी गई, लेकिन नगर पालिका और परिषद अध्यक्ष के लिए उम्र को 25 साल और उससे अधिक ही रखी गई है.

महापौर के प्रत्यक्ष चुनाव को लेकर अध्यादेश लाई थी सरकार: प्रदेश सरकार निकाय चुनाव में महापौर के प्रत्यक्ष चुनाव को लेकर 25 मई को अध्यादेश लेकर आई थी. इसमें प्रावधान किया गया कि महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होगा, जबकि नगर पालिका और नगर परिषद के चुनाव अप्रत्यक्षण प्रणाली से कराए जाएंगे. यानी नगर पालिका और नगर परिषद में जो उम्मीदवार चुनकर आएंगे, वह अध्यक्ष का चुनाव कराएंगे. जबकि पूर्व में महापौर की तरह नगर पालिका अध्यक्ष और नगर परिषद अध्यक्ष के चुनाव में डायरेक्ट होते थे, लेकिन इस बाद जब इसमें बदलाव किया गया तो उम्मीदवार की उम्र को नहीं बदला गया.

छत्तीसगढ़ सरकार उम्र में कर चुकी है संशोधन: छत्तीसगढ़ सरकार तीन साल पहले ही नगर पालिका अध्यक्ष की उम्र को घटाकर 21 साल कर चुकी है. 2019 में लाए गए अध्यादेश में नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष की न्यूनतम आयु सीमा को घटा कर 21 साल किया जा चुका है. इसी तरह महापौर के चुनाव की प्रक्रिया अप्रत्यक्ष कर दी गई थी और इसके बाद पार्षद के चुनने की उम्र को भी 21 साल कर दिया गया था. पूर्व में यह आयु सीमा 25 साल थी.

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चाहकर भी अध्यक्ष नहीं बन पाएंगे नेताजी: प्रदेश में 76 नगर पालिका और 255 नगर परिषदों में चुनाव हो रहे हैं. इनमें बड़ी संख्या में युवा अपनी राजनीतिक किस्मत आजमाने चुनाव मैदान में उतरे हैं. ऐसे में यदि ये पार्षद का चुनाव जीतकर आ भी जाएं, तब भी 25 साल की उम्र का बंधन होने से नगर पालिका या नगर परिषद अध्यक्ष के लिए दावेदारी नहीं कर सकेंगे. हालांकि, मध्यप्रदेश विधानसभा का सत्र 25 जुलाई से शुरू होने जा रहा है, लेकिन इसके एक हफ्ते पहले यानी 18 जुलाई तक सभी निकायों के चुनाव परिणाम आ जाएंगे और अधिकांश स्थानों पर अध्यक्ष पद पर चुनाव भी हो जाएगा.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ ? : पूर्व विधानसभा अध्यक्ष भगवान देव ईशराणी के मुताबिक, नगर पालिका अध्यक्ष का पद हो या सदन के सभापति का पद, इस पद पर हमेशा ऐसे व्यक्ति को बैठाया जाता है, जिन्हें नियमों की अच्छे से जानकारी हो. वैसे अध्यक्ष के पद की उम्र 25 साल ही रही है. अध्यक्ष ऐसे व्यक्ति को ही बनाया जाना चाहिए, जो सीनियर हो. आमतौर पर चुनकर आने वाले अधिकांश उम्मीदवार 25 और इससे अधिक आयु के ही होते हैं.

(MP Local Body Election) (MP govt did not amend election rules) (MP Government Big mistake) (Councilors will become in 21 year but not president)

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