भोपाल। मध्य प्रदेश के कूनो-पालपुर नेशनल पार्क (KNP) में चीतों के लिए बनाए बाड़े में 6 तेंदुए घुस गए हैं. दो तेंदुओं को बाहर निकाल लिया गया है, जबकि बाकी चार को निकालने के प्रयास जारी हैं. कूनो नेशनल पार्क में चीतों को बसाने की तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है. हालांकि, चीतों को जंगल में छोड़ने से पहले बाड़े में रखा जाएगा.
शुरुआत में चीते उधम मचा सकते हैं : रविवार को पीटीआई से बात करते हुए, एमपी के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जे.एस. चौहान ने स्वीकार किया कि "चीता यहां पहुंचने के लिए (नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से) एक बड़ी दूरी तय करने के बाद किसी तरह के तनाव में हो सकते हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि तेंदुए और चीते का सह-अस्तित्व इस महाद्वीप में भी मौजूद है. वन्यजीव विशेषज्ञों ने चिंता जताते हुए कहा कि पर्यावरण में बदलाव के कारण शुरुआत में चीते उधम मचा सकते हैं, जो तेंदुए की तुलना में उन्हें कमजोर बना सकते हैं".
भारत के जंगलों में 7 दशक बाद फिर दौड़ेंगे चीते: भारत में चीतों को नामीबिया से लाया जा रहा है. अंतरमहाद्वीप से लाकर बसाने के कारण चीतों को पहले बाड़े में रखा जाएगा. उनके यहां के व्यवहार को देखा जाएगा. एक बार यहां के वातावरण से घुल मिल जाने पर चीतों को खुले जंगलों में छोड़ा जाएगा. अभी कूनो नेशनल पार्क में 8 से 10 चीतों को लाया जा रहा है. चीता दुनिया में सबसे तेज दौड़ता है.
चीतों के 13 अगस्त तक देश में पहुंचने की अटकलें: चौहान के अनुसार, मध्य प्रदेश के चंबल क्षेत्र में 750 वर्ग किलोमीटर में फैले केएनपी में बड़ी संख्या में तेंदुए हैं. चीतों के 13 अगस्त तक देश में पहुंचने की अटकलों पर चौहान ने कहा कि "उनके विभाग को मौखिक या लिखित रूप से चीतों के आने के बारे में सूचित नहीं किया गया है." राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण के प्रमुख विनोद बी. माथुर ने इस चिंता को खारिज कर दिया कि चीतों के आने से प्रजनन के बाद देश में बाघों के सामने समस्याएं हो सकती हैं. हालांकि, पायलट परियोजना को सीमित क्षेत्र में किया जाना था. KNP का पर्याप्त वैज्ञानिक आधार है, इस अंतरमहाद्वीपीय प्रयोग को तुरंत खुशी या दु:ख का विषय बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है".
भारत में अंतिम चीता 1947 में कोरिया इलाके में देखा गया था. इसके बाद 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था. मिली जानकारी के अनुसार चीतों को जंगल में छोड़ने से पहले दो से तीन महीने तक बाड़े में रखा जाएगा. जे.एस. चौहान ने बताया कि " पहले हम चीतों को 'सॉफ्ट रिलीज एनक्लोजर' में छोड़ने जा रहे हैं, जो 5 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. हालांकि, छह तेंदुए इस क्षेत्र में प्रवेश कर चुके थे, जबकि दो को बाड़े से निकाल लिया गया है, शेष चार को हटाने का प्रयास किया जा रहा है."
मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा है: केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की भारत में तेंदुओं पर जारी की गई 2018 की रिपोर्ट के अनुसार देश में मध्य प्रदेश में सबसे अधिक 3,421 तेंदुओं हैं. इसके बाद कर्नाटक में 1,783 तेंदुओं हैं. जबकि भारत ने इसके लिए नामीबिया सरकार के साथ एक MOU पर हस्ताक्षर किए हैं. एक अन्य अधिकारी ने कहा, चीतों को भारत लाने का मामला दक्षिण अफ्रीका में निजी खेल भंडार और वहां की सरकार के साथ अधिक बड़ी बिल्लियों के लिए समझौते करने की प्रक्रिया में है. अधिकांश चीतों को दान कर दिया गया है, जबकि भारत की कुछ निजी सोर्स से इसे खरीदने की योजना है. उन्होंने कहा कि इनके दाम 3,000-4,000 अमेरिकी डॉलर प्रति पशु है.(MP Cheetah Project)
(PTI)