ETV Bharat / city

BY POLL कांग्रेस,बीजेपी का जीत का दावा, चलेगा सिम्पैथी का चक्कर या आदिवासी फैक्टर, जानें क्या है जातियों का गणित - BY POLL हावी रहेगा आदिवासी फैक्टर, जानें क्या है जातियों का गणित

खास बात यह है कि उपचुनाव की इन सभी सीटों पर आदिवासी वोटर बड़ी संख्या में हैं और यही हार जीत का फैसला भी करते हैं. जानते हैं क्या है इन सीटों का जातीय गणित और किसके हाथ में होगी जीत की चाबी.

mp-by-poll-bjp-and-congress-plan-for-win-
BY POLL कांग्रेस,बीजेपी का जीत का दावा
author img

By

Published : Oct 6, 2021, 10:26 PM IST

Updated : Oct 6, 2021, 10:33 PM IST

भोपाल। प्रदेश की 3 विधानसभा और 1 लोकसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव के लिए अपने कैंडिडेट घोषित कर दिये हैं. पार्टी के नेता इन्हें सुपर फोर बता रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि चारों ही उम्मीदवारों की अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ हैै. खंडवा लोकसभा सीट से राजनारायण पूरणी को मैदान में उतारा है. इस सीट को जिताने की जिम्मेदारी पार्टी ने पूर्णी के साथ साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं सज्जन वर्मा, विजय लक्ष्मी साधौ, रवि जोशी, झूमा सोलंकी और अरूण यादव को भी जिम्मेदारी दी गई है. खास बात यह है कि उपचुनाव की इन सभी सीटों पर आदिवासी वोटर बड़ी संख्या में हैं और यही हार जीत का फैसला भी करते हैं. जानते हैं क्या है इन सीटों का जातीय गणित और क्या होगा जीत का फैक्टर.

खंडवा -लोकसभा, कांग्रेस - राज नारायण पुरणी, पिछली बार - बीजेपी जीती थी.

कौन हैं राज नारायण पुरणी

- खंडवा की मांधाता विधानसभा के तीन बार विधायक रहे चुके हैं.

- राजनारायण क्षेत्र के दिग्गिज नेता रहे हैं जो 1998 से लेकर 2008 तक लगातार इस सीट से जीतते रहे हैं.

- क्षेत्र में अच्छी पकड़, राजपूत और गुर्जर समाज में खासा प्रभाव, दिग्विजय सिंह के करीबी

- सज्जन वर्मा, रवि जोशी, विजयलक्ष्मी साधौ और झूमा सोलंकी ने नाम आगे बढ़ाया.

- एससी वोटर्स पर साधौ और सज्जन सिंह वर्मा की गहरी पकड़ मानी जाती है, वहीं आदिवासी वोटर्स के बीच झूमा सोलंकी कांग्रेस का लोकप्रिय चेहरा हैं.

- अरुण यादव ने जताया जीत का भरोसा

साढ़े 7 लाख से ज्यादा एसटी/एससी वोटर्स के हाथ में जीत की चाबी

खंडवा लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा की सीटें हैं, जिनमें से 4 सीटें आरक्षित हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात इस क्षेत्र में 6 लाख से ज्यादा आदिवासी वोटर हैं, जो चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं.

कुल मतदाता

खंडवा लोकसभा उपचुनाव (2020)
कुल विधानसभा08
कुल मतदाता19,59,436
पुरुष वोटर्स9,89,451
महिला वोटर्स9,49,862
अन्य90

यह है जातीय समीकरण

जातीय समीकरण
सामान्य3,62,600
ओबीसी4,76,280
एससी/एसटी7,68,320
अल्पसंख्यक2,86,160
अन्य1500

वैसे तो यहां हर विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण अलग-अलग है, लेकिन अगर लोकसभा सीट की बात करें, तो यहां पर SC/ST वर्ग का कुछ सीटों पर जबरदस्त दबदबा है. यही वोटर्स हार जीत का फैसला करते हैं.

ये हैं मुख्य मुद्दे

  • कोई बड़ा उद्योग नहीं लगा, दाल मिल, जीनिंग फैक्ट्री बंद
  • इंदौर-इच्छापुर फोरलेन राजमार्ग अधूरा
  • खंडवा रिंग रोड, बायपास अधूरा
  • बुरहानपुर के 10-12 हजार पावरलूम बंद
  • नर्मदा जल योजना का लाभ नहीं मिला
  • बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था, बेरोजगारी की समस्या

विधानसभा - पृथ्वीपुर

सीट का नामपृथ्वीपुर
मतदाता2,06,000
पुरुष1,29,860
महिला 76,240

विधानसभा क्षेत्र की प्रमुख जातियां/उप जातियां

जातियां - दलित, ओबीसी, सवर्ण
अनुसूचित जाति - अहिरवार, कोरी/बुनकर
ओबीसी - यादव, कुशवाहा, डीमर, लौधी/पटेल/कुर्मी
सवर्ण - ब्राह्मण, ठाकुर

पृथ्वीपुर से 1 बार जीती है भाजपा

- 2008 से अब तक यहां तीन बार चुनाव हुए, 2008 और 2018 में कांग्रेस और 2013 में बीजेपी ने जीत दर्ज की.

- इस सीट पर कांग्रेस का ही दबदबा है, कांग्रेस विधायक बिजेंद्र सिंह राठौर के निधन से खाली हुई इस सीट पर कांग्रेस ने उनके बेटे नितेंद्र सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस यहां सिम्पैथी वोटिंग की वजह से अपनी जीत तय मान कर चल रही है.

पूर्व विधायक प्रोफाइल

2018 में पृथ्वीपुर से विधायक बने कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह राठौर अपने राजनीतिक करियर में पांच बार विधायक रहे और केवल एक ही विधानसभा चुनाव हारे थे. बिजेंद्र सिंह 1993 में पहली बार निवाड़ी से निर्दलीय विधायक बने, 1998 में निर्दलीय और फिर 2003 में कांग्रेस से चुनाव जीता. 2008 और 2018 में उन्होंने कांग्रेस से लड़ते हुए पृथ्वीपुर पर कांग्रेस का कब्जा बरकरार रखा.

निवाड़ी और पृथ्वीपुर सीट 2008 से पहले एक ही थी, लेकिन 2008 में हुए परिसमीन में निवाड़ी से अलग पृथ्वीपुर सीट बना दी गई. राठौर ने यहां से दो बार चुनाव जीता. अप्रैल 2021 में कोरोना के कारण उनका निधन हो गया. पृथ्वीपुर विधानसभा में करीब 40 फीसदी आबादी यादवों की है, लेकिन क्षेत्र की ब्राहम्ण वोटर यादव उम्मीदवारों की तरफ अपना झुकाव नहीं रखते हैं, जिसका फायदा नितेन्द्र सिंह राठौर को मिलने की उम्मीद है.

विधानसभा - जोबट (अलीराजपुर)

कांग्रेस - महेश पटेल पिछली बार - कांग्रेस (कलावती भूरिया)

क्यों चुने गए- क्षेत्र में कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाते हैं. राजनीति उन्हें विरासत में मिली है.

- महेश पटेल के पिता पिता बेस्ता पटेल का क्षेत्र में खासा प्रभाव रहा है. खुद महेश पटेल वर्तमान में अलीराजपुर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष हैं.

- महेश पटेल की पत्नी और भाई भी कांग्रेस से जुड़े हुए हैं. भाई मुकेश पटेल अलीराजपुर से मौजूदा विधायक हैं

- पत्नी सेना पटेल भी अलीराजपुर जिला परिषद की अध्यक्ष हैं.

- दिग्विजय सिंह के विश्वस्त माने जाते हैं, कमलनाथ भी उन्हें पसंद करते हैं.

कांग्रेस का गढ़ रहा है जोबट

जोबट विधानसभा सीट कांग्रेस और कानाकाकड़ के रावत परिवार का गढ़ रही है. पहले यहां से लंबे समय तक कांग्रेस के टिकट पर अजमेरसिंह रावत जीतते रहे. उनके निधन के बाद उनकी बहू सुलोचना को भी जनता का आशीर्वाद मिला। 1998 के चुनाव में भी उन्हें जीत मिली और दिग्विजय सरकार में राज्यमंत्री रहीं. 2003 में उन्हें इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा, हालांकि 2008 में वापसी करते हुए रावत परिवार ने यह सीट फिर हासिल की और सुलोचना यहां से विधायक चुनी गईं.

बीजेपी में शामिल हुईं सुलोचना

पूर्व मंत्री सुलोचना रावत और उनके पुत्र विशाल रावत ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली है. माना जा रहा है कि बीजेपी सुलोचना या उनके पुत्र को यहां से अपना उम्मीदवार बना सकती है. ऐसा होने पर महेश पटेल की जीत मुश्किल हो सकती है.

सबसे ज्यादा आदिवासी आबादी

जोबट सीट पर आदिवासियों की संख्या 97% है.

विधानसभा- रैगांव (सतना)

कांग्रेस - कल्पना वर्मा पिछली बार - बीजेपी के पास थी

- रैगांव विधानसभा सीट के लिए कांग्रेस ने कल्पना वर्मा पर भरोसा जताया है. कल्पना पिछले चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार जुगल किशोर बागरी से 17 हजार 421 वोटों से चुनाव हार गई थीं.

- कल्पना को रैगांव में कांग्रेस का लोकप्रिय चेहरा माना जाता है. वे चौधरी समाज से आती हैं और कमलनाथ की समर्थक मानी जाती हैं.

-इस सीट पर अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की अहम भूमिका रहती है.
- बीएसपी छोड़कर कांग्रेस में आईं उषा चौधरी और कल्पना वर्मा दोनों चौधरी समाज से आती हैं ऐसे में कांग्रेस को इसका फायदा मिल सकता है.

कौन हैं कल्पना वर्मा

32 साल की युवा नेता कल्पना वर्मा मैथमेटिक्स से एमएससी हैं. सतना जिला पंचायत वार्ड नंबर 2 से जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं. 2018 में कल्पना वर्मा रैगांव विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की उम्मीदवार रही है. कल्पना का यह पहला चुनाव था जिसमें विधानसभा चुनाव का यह पहला मौका था जब रैगांव में कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी. जबकि बसपा की उषा चौधरी को 16677 मत मिले थे. अब उषा चौधरी कांग्रेस में हैं.

बीजेपी का रिकॉर्ड बाकियों से बेहतर

सतना जिले के रैगांव विधानसभा सीट का गठन सन 1977 में हुआ था, रैगांव विधानसभा सीट पर अब तक 10 बार चुनाव हो चुका है, जिसमें 5 बार बीजेपी और 2 बार कांग्रेस का कब्जा रहा है, जबकि एक बार बहुजन समाज पार्टी ने चुनाव जीता था, इसके अलावा 2 बार अन्य दलों का कब्जा रहा, ऐसे में रैगांव सीट पर बीजेपी की जीत का प्रतिशत सबसे अधिक रहा है. यही वजह है कि रैगांव विधानसभा सीट बीजेपी के प्रभाव वाली सीट मानी जाती है.

बागरी परिवार का दबदबा

दिवंगत विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन के बाद उनके परिवार से टिकट के 3 दावेदार सामने आए हैं. बड़े बेटे पुष्पराज बागरी, छोटे बेटे देवराज बागरी और देवराज की पत्नी एवं जुगल किशोर बागरी की बहू वंदना बागरी . माना जा रहा है कि भारतीय पार्टी जनता पार्टी बागरी परिवार से ही किसी को टिकिट देगी और सहानुभूति वोटिंग के जरिए रैगांव पर अपना कब्जा बनाए रखना चाहती है. हालांकि पार्टी को अंतर्कलह का भी सामना करना पड़ सकता है.

रैगांव विधानसभा का जातीय समीकरण

सतना जिले की रैगांव विधानसभा सीट पर आदिवासी और दलित मतदाता सबसे अधिक हैं. जाति में कुशवाहा, सेन, विश्वकर्मा, बागरी और ब्राह्मण समाज के मतदाता प्रमुख भूमिका निभाते हैं. अनुसूचित जाति एवं ओबीसी वर्ग के प्रभाव वाली इस सीट पर सियासी दलों की नजर सवर्ण वोटरों पर भी रहती है, यही वजह है कि बीजेपी-कांग्रेस हो या बसपा, तीनों ही पार्टियां इन वर्गों के बीच सक्रिय हो चुकी हैं. हालांकि यह तय नहीं है कि बसपा उपचुनाव में अपना प्रत्याशी उतारेगी या नहीं.

रैगांव विधानसभा उपचुनाव के अहम मुद्दे

रैगांव उपचुनाव में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और बरगी नहर का पानी रैगांव विधानसभा क्षेत्र के मुख्य मुद्दे हैं, रैगांव विधानसभा क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है, बेहतर इलाज के लिए लोगों को सतना या दूसरे शहरों का रुख करना पड़ता है, शिक्षा का भी यही हाल है, इसके अलावा सड़क और पानी के मुद्दों को लेकर यहां के वोटरों में नाराजगी साफ देखी जा सकती है.

उपचुनाव की इन सभी सीटों पर 30 अक्टूबर को वोटिंग होगी और 2 नवंबर को नतीजों का एलान होगा.

भोपाल। प्रदेश की 3 विधानसभा और 1 लोकसभा सीट पर होने जा रहे उपचुनाव के लिए अपने कैंडिडेट घोषित कर दिये हैं. पार्टी के नेता इन्हें सुपर फोर बता रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि चारों ही उम्मीदवारों की अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ हैै. खंडवा लोकसभा सीट से राजनारायण पूरणी को मैदान में उतारा है. इस सीट को जिताने की जिम्मेदारी पार्टी ने पूर्णी के साथ साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं सज्जन वर्मा, विजय लक्ष्मी साधौ, रवि जोशी, झूमा सोलंकी और अरूण यादव को भी जिम्मेदारी दी गई है. खास बात यह है कि उपचुनाव की इन सभी सीटों पर आदिवासी वोटर बड़ी संख्या में हैं और यही हार जीत का फैसला भी करते हैं. जानते हैं क्या है इन सीटों का जातीय गणित और क्या होगा जीत का फैक्टर.

खंडवा -लोकसभा, कांग्रेस - राज नारायण पुरणी, पिछली बार - बीजेपी जीती थी.

कौन हैं राज नारायण पुरणी

- खंडवा की मांधाता विधानसभा के तीन बार विधायक रहे चुके हैं.

- राजनारायण क्षेत्र के दिग्गिज नेता रहे हैं जो 1998 से लेकर 2008 तक लगातार इस सीट से जीतते रहे हैं.

- क्षेत्र में अच्छी पकड़, राजपूत और गुर्जर समाज में खासा प्रभाव, दिग्विजय सिंह के करीबी

- सज्जन वर्मा, रवि जोशी, विजयलक्ष्मी साधौ और झूमा सोलंकी ने नाम आगे बढ़ाया.

- एससी वोटर्स पर साधौ और सज्जन सिंह वर्मा की गहरी पकड़ मानी जाती है, वहीं आदिवासी वोटर्स के बीच झूमा सोलंकी कांग्रेस का लोकप्रिय चेहरा हैं.

- अरुण यादव ने जताया जीत का भरोसा

साढ़े 7 लाख से ज्यादा एसटी/एससी वोटर्स के हाथ में जीत की चाबी

खंडवा लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा की सीटें हैं, जिनमें से 4 सीटें आरक्षित हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात इस क्षेत्र में 6 लाख से ज्यादा आदिवासी वोटर हैं, जो चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं.

कुल मतदाता

खंडवा लोकसभा उपचुनाव (2020)
कुल विधानसभा08
कुल मतदाता19,59,436
पुरुष वोटर्स9,89,451
महिला वोटर्स9,49,862
अन्य90

यह है जातीय समीकरण

जातीय समीकरण
सामान्य3,62,600
ओबीसी4,76,280
एससी/एसटी7,68,320
अल्पसंख्यक2,86,160
अन्य1500

वैसे तो यहां हर विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण अलग-अलग है, लेकिन अगर लोकसभा सीट की बात करें, तो यहां पर SC/ST वर्ग का कुछ सीटों पर जबरदस्त दबदबा है. यही वोटर्स हार जीत का फैसला करते हैं.

ये हैं मुख्य मुद्दे

  • कोई बड़ा उद्योग नहीं लगा, दाल मिल, जीनिंग फैक्ट्री बंद
  • इंदौर-इच्छापुर फोरलेन राजमार्ग अधूरा
  • खंडवा रिंग रोड, बायपास अधूरा
  • बुरहानपुर के 10-12 हजार पावरलूम बंद
  • नर्मदा जल योजना का लाभ नहीं मिला
  • बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था, बेरोजगारी की समस्या

विधानसभा - पृथ्वीपुर

सीट का नामपृथ्वीपुर
मतदाता2,06,000
पुरुष1,29,860
महिला 76,240

विधानसभा क्षेत्र की प्रमुख जातियां/उप जातियां

जातियां - दलित, ओबीसी, सवर्ण
अनुसूचित जाति - अहिरवार, कोरी/बुनकर
ओबीसी - यादव, कुशवाहा, डीमर, लौधी/पटेल/कुर्मी
सवर्ण - ब्राह्मण, ठाकुर

पृथ्वीपुर से 1 बार जीती है भाजपा

- 2008 से अब तक यहां तीन बार चुनाव हुए, 2008 और 2018 में कांग्रेस और 2013 में बीजेपी ने जीत दर्ज की.

- इस सीट पर कांग्रेस का ही दबदबा है, कांग्रेस विधायक बिजेंद्र सिंह राठौर के निधन से खाली हुई इस सीट पर कांग्रेस ने उनके बेटे नितेंद्र सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस यहां सिम्पैथी वोटिंग की वजह से अपनी जीत तय मान कर चल रही है.

पूर्व विधायक प्रोफाइल

2018 में पृथ्वीपुर से विधायक बने कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह राठौर अपने राजनीतिक करियर में पांच बार विधायक रहे और केवल एक ही विधानसभा चुनाव हारे थे. बिजेंद्र सिंह 1993 में पहली बार निवाड़ी से निर्दलीय विधायक बने, 1998 में निर्दलीय और फिर 2003 में कांग्रेस से चुनाव जीता. 2008 और 2018 में उन्होंने कांग्रेस से लड़ते हुए पृथ्वीपुर पर कांग्रेस का कब्जा बरकरार रखा.

निवाड़ी और पृथ्वीपुर सीट 2008 से पहले एक ही थी, लेकिन 2008 में हुए परिसमीन में निवाड़ी से अलग पृथ्वीपुर सीट बना दी गई. राठौर ने यहां से दो बार चुनाव जीता. अप्रैल 2021 में कोरोना के कारण उनका निधन हो गया. पृथ्वीपुर विधानसभा में करीब 40 फीसदी आबादी यादवों की है, लेकिन क्षेत्र की ब्राहम्ण वोटर यादव उम्मीदवारों की तरफ अपना झुकाव नहीं रखते हैं, जिसका फायदा नितेन्द्र सिंह राठौर को मिलने की उम्मीद है.

विधानसभा - जोबट (अलीराजपुर)

कांग्रेस - महेश पटेल पिछली बार - कांग्रेस (कलावती भूरिया)

क्यों चुने गए- क्षेत्र में कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाते हैं. राजनीति उन्हें विरासत में मिली है.

- महेश पटेल के पिता पिता बेस्ता पटेल का क्षेत्र में खासा प्रभाव रहा है. खुद महेश पटेल वर्तमान में अलीराजपुर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष हैं.

- महेश पटेल की पत्नी और भाई भी कांग्रेस से जुड़े हुए हैं. भाई मुकेश पटेल अलीराजपुर से मौजूदा विधायक हैं

- पत्नी सेना पटेल भी अलीराजपुर जिला परिषद की अध्यक्ष हैं.

- दिग्विजय सिंह के विश्वस्त माने जाते हैं, कमलनाथ भी उन्हें पसंद करते हैं.

कांग्रेस का गढ़ रहा है जोबट

जोबट विधानसभा सीट कांग्रेस और कानाकाकड़ के रावत परिवार का गढ़ रही है. पहले यहां से लंबे समय तक कांग्रेस के टिकट पर अजमेरसिंह रावत जीतते रहे. उनके निधन के बाद उनकी बहू सुलोचना को भी जनता का आशीर्वाद मिला। 1998 के चुनाव में भी उन्हें जीत मिली और दिग्विजय सरकार में राज्यमंत्री रहीं. 2003 में उन्हें इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा, हालांकि 2008 में वापसी करते हुए रावत परिवार ने यह सीट फिर हासिल की और सुलोचना यहां से विधायक चुनी गईं.

बीजेपी में शामिल हुईं सुलोचना

पूर्व मंत्री सुलोचना रावत और उनके पुत्र विशाल रावत ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली है. माना जा रहा है कि बीजेपी सुलोचना या उनके पुत्र को यहां से अपना उम्मीदवार बना सकती है. ऐसा होने पर महेश पटेल की जीत मुश्किल हो सकती है.

सबसे ज्यादा आदिवासी आबादी

जोबट सीट पर आदिवासियों की संख्या 97% है.

विधानसभा- रैगांव (सतना)

कांग्रेस - कल्पना वर्मा पिछली बार - बीजेपी के पास थी

- रैगांव विधानसभा सीट के लिए कांग्रेस ने कल्पना वर्मा पर भरोसा जताया है. कल्पना पिछले चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार जुगल किशोर बागरी से 17 हजार 421 वोटों से चुनाव हार गई थीं.

- कल्पना को रैगांव में कांग्रेस का लोकप्रिय चेहरा माना जाता है. वे चौधरी समाज से आती हैं और कमलनाथ की समर्थक मानी जाती हैं.

-इस सीट पर अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की अहम भूमिका रहती है.
- बीएसपी छोड़कर कांग्रेस में आईं उषा चौधरी और कल्पना वर्मा दोनों चौधरी समाज से आती हैं ऐसे में कांग्रेस को इसका फायदा मिल सकता है.

कौन हैं कल्पना वर्मा

32 साल की युवा नेता कल्पना वर्मा मैथमेटिक्स से एमएससी हैं. सतना जिला पंचायत वार्ड नंबर 2 से जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं. 2018 में कल्पना वर्मा रैगांव विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की उम्मीदवार रही है. कल्पना का यह पहला चुनाव था जिसमें विधानसभा चुनाव का यह पहला मौका था जब रैगांव में कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी. जबकि बसपा की उषा चौधरी को 16677 मत मिले थे. अब उषा चौधरी कांग्रेस में हैं.

बीजेपी का रिकॉर्ड बाकियों से बेहतर

सतना जिले के रैगांव विधानसभा सीट का गठन सन 1977 में हुआ था, रैगांव विधानसभा सीट पर अब तक 10 बार चुनाव हो चुका है, जिसमें 5 बार बीजेपी और 2 बार कांग्रेस का कब्जा रहा है, जबकि एक बार बहुजन समाज पार्टी ने चुनाव जीता था, इसके अलावा 2 बार अन्य दलों का कब्जा रहा, ऐसे में रैगांव सीट पर बीजेपी की जीत का प्रतिशत सबसे अधिक रहा है. यही वजह है कि रैगांव विधानसभा सीट बीजेपी के प्रभाव वाली सीट मानी जाती है.

बागरी परिवार का दबदबा

दिवंगत विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन के बाद उनके परिवार से टिकट के 3 दावेदार सामने आए हैं. बड़े बेटे पुष्पराज बागरी, छोटे बेटे देवराज बागरी और देवराज की पत्नी एवं जुगल किशोर बागरी की बहू वंदना बागरी . माना जा रहा है कि भारतीय पार्टी जनता पार्टी बागरी परिवार से ही किसी को टिकिट देगी और सहानुभूति वोटिंग के जरिए रैगांव पर अपना कब्जा बनाए रखना चाहती है. हालांकि पार्टी को अंतर्कलह का भी सामना करना पड़ सकता है.

रैगांव विधानसभा का जातीय समीकरण

सतना जिले की रैगांव विधानसभा सीट पर आदिवासी और दलित मतदाता सबसे अधिक हैं. जाति में कुशवाहा, सेन, विश्वकर्मा, बागरी और ब्राह्मण समाज के मतदाता प्रमुख भूमिका निभाते हैं. अनुसूचित जाति एवं ओबीसी वर्ग के प्रभाव वाली इस सीट पर सियासी दलों की नजर सवर्ण वोटरों पर भी रहती है, यही वजह है कि बीजेपी-कांग्रेस हो या बसपा, तीनों ही पार्टियां इन वर्गों के बीच सक्रिय हो चुकी हैं. हालांकि यह तय नहीं है कि बसपा उपचुनाव में अपना प्रत्याशी उतारेगी या नहीं.

रैगांव विधानसभा उपचुनाव के अहम मुद्दे

रैगांव उपचुनाव में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और बरगी नहर का पानी रैगांव विधानसभा क्षेत्र के मुख्य मुद्दे हैं, रैगांव विधानसभा क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है, बेहतर इलाज के लिए लोगों को सतना या दूसरे शहरों का रुख करना पड़ता है, शिक्षा का भी यही हाल है, इसके अलावा सड़क और पानी के मुद्दों को लेकर यहां के वोटरों में नाराजगी साफ देखी जा सकती है.

उपचुनाव की इन सभी सीटों पर 30 अक्टूबर को वोटिंग होगी और 2 नवंबर को नतीजों का एलान होगा.

Last Updated : Oct 6, 2021, 10:33 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.