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CM शिवराज का मिशन 2023 प्लान (MP BJP Mission 2023), आदिवासी और हारी हुई सीटें ऐसे कांग्रेस से छीनेगी बीजेपी - mp bjp mlas making winning strategy 2023

MP में बीजेपी ने मिशन 2023 की तैयारी शुरु कर दी है. सीएम शिवराज ने हारे हुए आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के नेताओं को वन-टू-वन चर्चा के लिए बुलाया है. साथ ही BJP विधायकों से उनके क्षेत्र में बड़ी योजनाओं का रोड मैप मांगा है. संगठन ने कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए पूरे प्रदेश में डेढ़ लाख से ज्यादा स्वयंसेवक तैयार किए हैं. ताकि वोटरों के मन में बीजेपी की पॉजिटिव छवि बनाई जा सके. जानिए क्या है शिवराज का विनिंग प्लान.

Chief Minister Shivraj sought plan for tribal and lost seats
मुख्यमंत्री शिवराज ने आदिवासी और हारी हुई सीटों के लिए मांगा प्लान
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Published : Jan 4, 2022, 2:04 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में सत्ता संगठन ने मिशन 2023 के लिए ट्राइबल और हारी हुई सीटों पर फोकस कर दिया है. इसके लिए बीजेपी विधायकों से उनके क्षेत्र में बड़ी योजनाओं का रोड मैप मांगा गया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने विधायकों को हिदायत दी है कि अपने क्षेत्र में पकड़ मजबूत करें. प्रदेश में पंचायत चुनाव टलने के बाद बीजेपी पूरी तरह से मिशन 2023 में जुट गई है. हार के कारणों की समीक्षा के बाद पार्टी ने जीत के लिए रणनीति बनाई है. 2018 में जिन सीटों पर हार मिली उनसे सबक लेते हुए दिग्गज नेताओं ने उन सीटों पर फोकस कर लिया है. हार की क्या वजह रही, इसकी रिपोर्ट तैयार कर हाईकमान को सौंप दी है. साथ ही यह बताया गया है कि क्षेत्रों में बीजेपी कैसे जीत पाएगी.

आदिवासी क्षेत्रों में बड़ी योजनाओं को मंजूरी मिलेगी

आदिवासी क्षेत्रों में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ, इसी वजह से बीजेपी सरकार बनाने से चूक गई. मुख्यमंत्री ने हारे हुए और आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के लिए छोटी योजना के बजाय बड़ी योजनाओं को स्वीकृत करने पर जोर दिया है. इसी सिलसिले में विधायकों और संबंधित क्षेत्र के नेताओं को वन-टू-वन के लिए बुलाया है और उनसे कहा गया है कि आप अपने क्षेत्र में बड़े प्रोजेक्टों को लेकर आइये. जिससे जनता को बड़े प्रोजेक्ट मिलें और रोजगार बढ़े, तभी हम 2023 में फिर से ज्यादा बहुमत के साथ सरकार बना सकेंगे.

आदिवासियों को जोड़ने की कवायद शुरु

230 सीटों में से 45 सीटें अनुसूचित जनजाति की है. 2018 में मात्र 16 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी और बाकी 31 सीटें कांग्रेस के खाते में गई थी. 2013 में परिस्थितियां बीजेपी के पक्ष में रही थी, जिसके चलते बीजेपी ने 31 सीटों पर जीत हासिल की थी और कांग्रेस के हिस्से में सिर्फ 15 रहीं. यही वजह है कि सीएम शिवराज का आदिवासियों पर फोकस है. हाल ही में बिरसा मुंडा जयंती मनाई गई, पेसा एक्ट लागू किया गया और टंट्या मामा बलिदान दिवस भी जोर शोर से मनाया गया. आदिवासियों के लिए मुफ्त राशन पहुंचाने के लिए उन्हीं के समाज के युवाओं को वाहन भी सरकार की तरफ से दिए गए हैं.

MP BJP Mission 2023: संगठन महामंत्री बीएल संतोष मंत्रियों को देंगे 'गुरु मंत्र', शिवराज कैबिनेट की लगाएंगे क्लास !

मालवा पर भी शिवराज का फोकस

मालवा अंचल में भी बीजेपी को 2018 में उतना बहुमत नहीं मिल पाया. यहां की 22 सीटों में से बीजेपी को सिर्फ 6 ही मिली थी, आदिवासियों के प्रभुत्व की प्रदेश में 84 सीटें हैं और 2018 के चुनाव में भाजपा को 34 सीटें ही मिली थीं, तो वहीं 2013 में उसे 59 सीटें मिली थी.

तीसरी लहर को देखते हुए डेढ़ लाख से ज्यादा स्वयंसेवक तैयार

बीजेपी संगठन ने कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए पूरे प्रदेश में डेढ़ लाख से ज्यादा स्वयंसेवक तैयार किए हैं. सत्ता और संगठन दोनों ही मिशन 2023 को जीतने में कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहते. कोरोना को देखते हुए बीजेपी ने डेढ़ लाख स्वास्थ्य स्वयंसेवकों को सक्रिय कर दिया है, स्वास्थ्य स्वयंसेवक अभियान की प्रदेश एवं जिला समितियां काम करेंगी. इसका सीधा असर आने वाले 2023 के चुनाव पर पड़ेगा और यह स्वयंसेवक वोटर्स के मन में बीजेपी की पॉजिटिव छवि बनाने का काम करेंगे.

भोपाल। मध्य प्रदेश में सत्ता संगठन ने मिशन 2023 के लिए ट्राइबल और हारी हुई सीटों पर फोकस कर दिया है. इसके लिए बीजेपी विधायकों से उनके क्षेत्र में बड़ी योजनाओं का रोड मैप मांगा गया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने विधायकों को हिदायत दी है कि अपने क्षेत्र में पकड़ मजबूत करें. प्रदेश में पंचायत चुनाव टलने के बाद बीजेपी पूरी तरह से मिशन 2023 में जुट गई है. हार के कारणों की समीक्षा के बाद पार्टी ने जीत के लिए रणनीति बनाई है. 2018 में जिन सीटों पर हार मिली उनसे सबक लेते हुए दिग्गज नेताओं ने उन सीटों पर फोकस कर लिया है. हार की क्या वजह रही, इसकी रिपोर्ट तैयार कर हाईकमान को सौंप दी है. साथ ही यह बताया गया है कि क्षेत्रों में बीजेपी कैसे जीत पाएगी.

आदिवासी क्षेत्रों में बड़ी योजनाओं को मंजूरी मिलेगी

आदिवासी क्षेत्रों में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ, इसी वजह से बीजेपी सरकार बनाने से चूक गई. मुख्यमंत्री ने हारे हुए और आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के लिए छोटी योजना के बजाय बड़ी योजनाओं को स्वीकृत करने पर जोर दिया है. इसी सिलसिले में विधायकों और संबंधित क्षेत्र के नेताओं को वन-टू-वन के लिए बुलाया है और उनसे कहा गया है कि आप अपने क्षेत्र में बड़े प्रोजेक्टों को लेकर आइये. जिससे जनता को बड़े प्रोजेक्ट मिलें और रोजगार बढ़े, तभी हम 2023 में फिर से ज्यादा बहुमत के साथ सरकार बना सकेंगे.

आदिवासियों को जोड़ने की कवायद शुरु

230 सीटों में से 45 सीटें अनुसूचित जनजाति की है. 2018 में मात्र 16 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी और बाकी 31 सीटें कांग्रेस के खाते में गई थी. 2013 में परिस्थितियां बीजेपी के पक्ष में रही थी, जिसके चलते बीजेपी ने 31 सीटों पर जीत हासिल की थी और कांग्रेस के हिस्से में सिर्फ 15 रहीं. यही वजह है कि सीएम शिवराज का आदिवासियों पर फोकस है. हाल ही में बिरसा मुंडा जयंती मनाई गई, पेसा एक्ट लागू किया गया और टंट्या मामा बलिदान दिवस भी जोर शोर से मनाया गया. आदिवासियों के लिए मुफ्त राशन पहुंचाने के लिए उन्हीं के समाज के युवाओं को वाहन भी सरकार की तरफ से दिए गए हैं.

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मालवा पर भी शिवराज का फोकस

मालवा अंचल में भी बीजेपी को 2018 में उतना बहुमत नहीं मिल पाया. यहां की 22 सीटों में से बीजेपी को सिर्फ 6 ही मिली थी, आदिवासियों के प्रभुत्व की प्रदेश में 84 सीटें हैं और 2018 के चुनाव में भाजपा को 34 सीटें ही मिली थीं, तो वहीं 2013 में उसे 59 सीटें मिली थी.

तीसरी लहर को देखते हुए डेढ़ लाख से ज्यादा स्वयंसेवक तैयार

बीजेपी संगठन ने कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए पूरे प्रदेश में डेढ़ लाख से ज्यादा स्वयंसेवक तैयार किए हैं. सत्ता और संगठन दोनों ही मिशन 2023 को जीतने में कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहते. कोरोना को देखते हुए बीजेपी ने डेढ़ लाख स्वास्थ्य स्वयंसेवकों को सक्रिय कर दिया है, स्वास्थ्य स्वयंसेवक अभियान की प्रदेश एवं जिला समितियां काम करेंगी. इसका सीधा असर आने वाले 2023 के चुनाव पर पड़ेगा और यह स्वयंसेवक वोटर्स के मन में बीजेपी की पॉजिटिव छवि बनाने का काम करेंगे.

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