भोपाल। 26 जुलाई यानी कारगिल विजय दिवस. यह वो दिन है, जब देश के वीर जवानों ने दुश्मन को पटखनी देकर विजय की एक नयी पटकथा लिखी थी. ये दिन उन तमाम जवानों को नमन करने का है, जो अपने आप को वर्दी में बांधकर देश के लिए हंसते-हंसते कुर्बान कर देते हैं. ऐसे ही वीर जवानों की यादों को हमेशा संजोए रखने के लिए राजधानी भोपाल में शौर्य स्मारक बनाया गया है. जहां आज भी कारगिल के वीर जवानों की शौर्य गाथा देखने को मिलती है.
भोपाल शहर के बीचों-बीच बना यह शौर्य स्मारक करीब 13 एकड़ में फैला हुआ है. यह देशभर में बना इंडियन आर्मी का एक मात्र शौर्य स्मारक है. जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था.
इस संग्रहालय में भारतीय सेना के शहीद जवानों की देशभक्ति और शौर्य को तस्वीरों के जरिए दर्शाया गया है. जहां पहुंचते ही मन में देशभक्ति की भावना जागृत हो जाती है. जो पर्यटकों को भी काफी आकर्षित करता है.
यहां लगी है तीनों सेनाओं की प्रदर्शनी
कारगिल विजय की वीरगाथा के साथ खून जमा देने वाली सियाचिन की सर्दी में जान हथेली पर रखकर खड़े जवानों की यहां प्रदर्शनी लगी है. संग्रहालय में परमवीर चक्र महावीर चक्र से सम्मानित वीर जवानों के जाबाजी की कहानी यहां देखने को मिलती है.
कारगिल विजय दिवस के मौके पर यहां हर साल विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है. संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला कहते हैं कि भोपाल आने वाला हर व्यक्ति शौर्य स्मारक जरुर देखना चाहता है. क्योंकि यहां देश के सैनिकों से जुड़ी सभी यादें देखने को मिलती हैं.
जवानों की शहादत को नमन करने यहां 60 फीट ऊंचा शौर्य स्तंभ भी बनाया गया है. इस शौर्य स्तंभ में थल सेना को काले ग्रेनाइट से, नौसेना के जल स्त्रोत और वायु सेना को श्वेत ग्रेनाइट पत्थर के रुप में दिखाया गया है.
शौर्य स्तंभ के आसपास का वातावरण शहीदों के बलिदान को दर्शाता है. जिसमें सीमा पर कुर्बान होने वाले मध्य प्रदेश के वीर जवानों के नाम लिखे हुए हैं. कारगिल विजय दिवस के मौके पर हर साल शौर्य स्मारक में सेना से जुड़ी फिल्में दिखाई जाती थीं. लेकिन इस बार कोरोना के चलते यहां लोगों के आने पर रोक लगी है.