भोपाल। दिग्विजय सिंह की दस साल की सत्ता को हिला पाना मुश्किल लग रहा था. वह 2003 का साल था. गुटों में बंटी बीजेपी को एकजुट करके चुनाव के लिए खड़ा करना भी बड़ी चुनौती थी. तब हर संकट को हर लेने वाले महाकाल की शरण में पहुंची थी उमा भारती. 2003 में बीजेपी ने उज्जैन में महाकाल के चरणों से अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की थी. बीजेपी ने इन चुनाव में दस साल की दिग्गी राजा की सत्ता को उखाड़ फेंका था. इसके बाद खुद उमा भारती भी बमुश्किल डेढ़ साल एमपी की सत्ता पर काबिज रह पाईं. अब बीजेपी पर लगा ग्रहण खत्म तो हो चुका था. इन चुनावों में मिली जीत के बाद बीजेपी ने विधानसभा से लेकर लोकसभा और हाल ही में हुए निकाय चुनाव तक अपने हर चुनाव अभियान की शुरुआत महाकाल से ही की. बीजेपी में शुरु हुई ये अघोषित परिपाटी थी. सबसे खास बात यही है कि महाकाल हर बार बीजेपी को जीत का महामंत्र देते रहें हैं. (bhopal party once again preparing for victory)
बीजेपी और महाकाल की मान्यताः भक्तों की आस्था और विश्वास अपनी जगह. लेकिन पिछले 20 साल में महाकाल बीजेपी और कांग्रेस तक में राजनीतिक मान्यता के केंद्र बनें हैं. उमा भारती 2003 में जब महाकाल का आर्शीवाद लेकर चुनाव अभियान पर निकलीं, तो एमपी में सत्ता परिवर्तन करवा कर ही लौटीं. फिर बीजेपी के चुनावी अभियान की शुरुआत महाकाल के आर्शीवाद से ही हुई. सीएम शिवराज की जनआर्शीवाद यात्राओं का आगाज भी महाकाल के दरबार में माथा टेकने के बाद ही हुआ. ये महाकाल की मान्यता और विश्वास के साथ उनसे मिले आर्शीवाद का ही परिणाम था, जो बीजेपी ने एमपी में सत्ता की हैट्रिक बनाई. चौथी पारी में अगर सत्ता से उतरी भी तो जीत हार का फासला चंद सीटों का ही था. हालांकि 2018 में बीजेपी को मिला झटका भी बीजेपी की आस्था को नहीं डिगा सका. अभी हाल में हुए निकाय चुनाव अभियान की शुरुआत भी बीजेपी ने महाकाल के दर से ही की. (bhopal recognition of bjp and mahakal)
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महाकाल के दर कांग्रेस के नाथः 2018 के विधानसभा चुनाव में सॉफ्ट हिंदुत्व का रुख कर रही कांग्रेस में भी बड़े बदलाव हो रहे थे. एमपी में एक बदलाव ये भी है कि मंदिरों के दौरे कर रहे थे पीसीसी चीफ कमलनाथ. खास बात ये कि बीजेपी की तरह कांग्रेस के चुनाव अभियान का आगाज महाकाल के दर से ही हुआ. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में आए नतीजे ने बताया कि महकाल का आर्शीवाद कांग्रेस को मिला. इन चुनावों में राहुल गांधी ने भी मालवा, निमाड़ इलाके के दौरे की शुरुआत महाकाल का आर्शीवाद लेने के साथ ही की थी. कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी पहली बार उज्जैन के दौरे पर आए थे. (bhopal mahakal lok modi) (Shri Ganesh of elections is done at mahakal)
महाकाल से सियासी चिट्ठी पत्री भीः 2018 के विधानसभा चुनाव में पीसीसी चीफ कमलनाथ को लिखी चिट्ठी भी खूब चर्चाओं में आई थी. इस चिट्ठी में कमलनाथ ने महाकाल से शिवराज सरकार की शिकायत की थी. कमलनाथ ने इस चिट्ठी में लिखा था कि पांच साल पहले शिवराज सिह चौहान ने आपको प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता का अंश मानकर आपकी पूजा अर्चना की. प्रदेश को सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने का वादा किया. उन्होंने आगे लिखा था कि शिवराज एक बार फिर से चुनावी आर्शीवाद यात्रा निकालने की आपके समक्ष आ रहे हैं. ये मतदाताओं को धार्मिक आस्था के नाम पर ठगने की तैयारी है. इस पत्र के बाद नंदी का जवाब भी बहुत चर्चा में रहा था. नंदी ने जवाब में कहा था कि महादेव ने कांग्रेस के लिए अपना आशीर्वाद एक नारियल के रूप में आपके अपने ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास पहुंचाया था मगर उन्होंने उसका तिरस्कार कर दिया, नंदी ने आगे कहा कि मैंने भोलेनाथ से स्वयं आप सब लोगों को सद्बुद्धि देने की विनती की है. (Shri Ganesh of elections is done at mahakal)
महाकाल के दर से होता है चुनावों का श्री गणेशः वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक ऋषि पाण्डे कहते हैं उज्जैन के बाबा महाकाल मध्य प्रदेश के सियासी दलों के लिए शुरू से आस्था के केंद्र हैं. कांग्रेस हो या भाजपा दोनों पार्टियां अपने चुनाव अभियान का श्रीगणेश बाबा महाकाल के दरवाजे पर माथा टेक कर ही करते आए हैं. कल 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस महाकाल लोक का लोकार्पण कर रहे हैं. यह दरअसल 2023 के चुनाव प्रचार का श्रीगणेश भी है. इसी तरह के प्रयोग पूर्व में होते रहे हैं. यही नहीं उत्तर प्रदेश में भी भाजपा ऐसा प्रयोग कर चुकी है और उसे बंपर सफलता भी हासिल हो चुकी है. विकास संग हिंदुत्व के फार्मूले पर चलते हुए भाजपा ने वहां न सिर्फ 2017 बल्कि 2022 के चुनाव में भी रिकॉर्ड बहुमत पाया था. इसी फार्मूले के साथ भाजपा इस बार मध्य प्रदेश के चुनाव मैदान में उतर रही है. (bhopal mahakal ke dar se kata tha bjp ka kantak) (bhopal mahakal lok modi)