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Dussehra-2021: जानिए क्या है दशहरा पर नीलकंठ दर्शन का महत्व - दशहरा पर नीलकंठ दर्शन का रहस्य

दशहरा पर्व (Dussehra festival) को जीत का पर्व कहा जाता है. वहीं, इस पर्व पर नीलकंठ पक्षी (Neelkanth bird) के दर्शन का अलग ही महत्व है, कहा जाता है कि ये पक्षी भगवान शिव का रूप है.

Know what is the secret of watching Neelkanth bird on  Dussehra festival
जानिए क्या है दशहरा पर नीलकंठ दर्शन का रहस्य
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Published : Oct 15, 2021, 7:36 AM IST

हैदराबाद। भारत में मान्यताओं का लोग विशेष तौर पर ध्यान रखते हैं. खासकर पर्व त्यौहार (Festival) में कोई चूक न हो जाए इसका खास ध्यान रखा जाता है. वहीं नवरात्र (Navratri) के बाद दशहरा पर्व (Dussehra festival )में एक ऐसा पक्षी जो दिख जाए तो लोगों की किस्मत बन जाती है. जी हां, ये भी मान्यता का ही एक हिस्सा है. दरअसल, दशहरा पर्व (Dussehra festival) में निलकंठ का दर्शन शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि ये भगवान शंकर का रूप हैं जो धरती पर अवतरित हुए हैं.

यही कारण है कि दशहरे के दिन हर व्यक्ति इसी आस में छत पर जाकर आकाश को निहारता है कि उन्हें नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाएं. ताकि साल भर उनके यहां शुभ कार्य का सिलसिला चलता रहे. कहते हैं कि इस दिन नीलकंठ के दर्शन होने से घर के धन-धान्य में वृद्धि होती है. साथ ही घर में मंगल कार्य लगातार होता रहता है.कहते हैं कि दशहरे में सुबह से लेकर शाम तक किसी भी वक्त नीलकंठ (Neelkanth darshan) दिख जाए तो देखने वाले व्यक्ति के लिए ये शुभ होता है.

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भगवान राम से जुड़ी है रहस्य

कहते है भगवान राम ने इस पक्षी के दर्शन के बाद ही रावण पर विजय प्राप्त की थी. विजय दशमी का पर्व जीत का पर्व है. दशहरे पर नीलकण्ठ के दर्शन की परंपरा बरसों पुरानी है. लंका जीत के बाद जब भगवान राम को ब्राह्मण हत्या का पाप लगा था. तब भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ मिलकर भगवान शिव की पूजा अर्चना की एवं ब्राह्मण हत्या के पाप से खुद को मुक्त कराया.

भगवान शिव का रूप नीलकंठ

तब भगवान शिव नीलकंठ पक्षी के रुप में धरती पर पधारे थे. नीलकण्ठ अर्थात् जिसका गला नीला हो. जनश्रुति और धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान शंकर ही नीलकण्ठ है. इस पक्षी को पृथ्वी पर भगवान शिव का प्रतिनिधि और स्वरूप दोनों माना गया है. नीलकंठ पक्षी भगवान शिव का ही रुप है. भगवान शिव नीलकंठ पक्षी का रूप धारण कर धरती पर विचरण करते हैं

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किसानों का मित्र कहलाता है नीलकंठ

वैज्ञानिकों की मानें तो यह भाग्य विधाता होने के साथ-साथ किसानों का मित्र भी है. दरअसल, नीलकंठ किसानों के भाग्य का रखवाला होता है, जो खेतों में कीड़ों को खाकर किसानों की फसलों की रखवारी करता है. यही कारण है कि किसान इसे अपना मित्र भी मानते हैं.

हैदराबाद। भारत में मान्यताओं का लोग विशेष तौर पर ध्यान रखते हैं. खासकर पर्व त्यौहार (Festival) में कोई चूक न हो जाए इसका खास ध्यान रखा जाता है. वहीं नवरात्र (Navratri) के बाद दशहरा पर्व (Dussehra festival )में एक ऐसा पक्षी जो दिख जाए तो लोगों की किस्मत बन जाती है. जी हां, ये भी मान्यता का ही एक हिस्सा है. दरअसल, दशहरा पर्व (Dussehra festival) में निलकंठ का दर्शन शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि ये भगवान शंकर का रूप हैं जो धरती पर अवतरित हुए हैं.

यही कारण है कि दशहरे के दिन हर व्यक्ति इसी आस में छत पर जाकर आकाश को निहारता है कि उन्हें नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाएं. ताकि साल भर उनके यहां शुभ कार्य का सिलसिला चलता रहे. कहते हैं कि इस दिन नीलकंठ के दर्शन होने से घर के धन-धान्य में वृद्धि होती है. साथ ही घर में मंगल कार्य लगातार होता रहता है.कहते हैं कि दशहरे में सुबह से लेकर शाम तक किसी भी वक्त नीलकंठ (Neelkanth darshan) दिख जाए तो देखने वाले व्यक्ति के लिए ये शुभ होता है.

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कहते है भगवान राम ने इस पक्षी के दर्शन के बाद ही रावण पर विजय प्राप्त की थी. विजय दशमी का पर्व जीत का पर्व है. दशहरे पर नीलकण्ठ के दर्शन की परंपरा बरसों पुरानी है. लंका जीत के बाद जब भगवान राम को ब्राह्मण हत्या का पाप लगा था. तब भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ मिलकर भगवान शिव की पूजा अर्चना की एवं ब्राह्मण हत्या के पाप से खुद को मुक्त कराया.

भगवान शिव का रूप नीलकंठ

तब भगवान शिव नीलकंठ पक्षी के रुप में धरती पर पधारे थे. नीलकण्ठ अर्थात् जिसका गला नीला हो. जनश्रुति और धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान शंकर ही नीलकण्ठ है. इस पक्षी को पृथ्वी पर भगवान शिव का प्रतिनिधि और स्वरूप दोनों माना गया है. नीलकंठ पक्षी भगवान शिव का ही रुप है. भगवान शिव नीलकंठ पक्षी का रूप धारण कर धरती पर विचरण करते हैं

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किसानों का मित्र कहलाता है नीलकंठ

वैज्ञानिकों की मानें तो यह भाग्य विधाता होने के साथ-साथ किसानों का मित्र भी है. दरअसल, नीलकंठ किसानों के भाग्य का रखवाला होता है, जो खेतों में कीड़ों को खाकर किसानों की फसलों की रखवारी करता है. यही कारण है कि किसान इसे अपना मित्र भी मानते हैं.

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