भोपाल। राजधानी भोपाल के शासकीय मेडिकल कॉलेज से संबंधित हमीदिया अस्पताल का निरीक्षण करने आज चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग पहुंचे, इस दौरान उन्होंने कहा कि सुल्तानिया जनाना अस्पताल छह माह के भीतर गांधी मेडिकल कॉलेज के परिसर में शिफ्ट कर दिया जाएगा. उन्होंने किसान आंदोलन को प्रायोजित बताया है. चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने हमीदिया अस्पताल की कैजुअल्टी रजिस्ट्रेशन काउंटर और ओपीडी व्यवस्थाओं का जायजा लिया.
निरीक्षण के दौरान चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने बताया कि हमारा एक सपना है हम सुल्तानिया जनाना अस्पताल को जीएमसी के परिसर में शिफ्ट करना चाहते हैं, जिसकी समीक्षा मैंने आज की. बी ब्लॉक जिसमें हम मैटरनिटी विंग और और पीडियाट्रिक विंग को एक साथ लाना चाहते हैं, उसकी तैयारियां पूरी हुई हैं, चूंकि कोविड 19 के कारण उसके आसपास कोविड सेंटर बना हुआ है, इसलिए हमने तय किया है कि सुल्तानिया अस्पताल को गांधी मेडिकल कॉलेज के परिसर में अगले छह महीने में शिफ्ट कर लेंगे. भोपाल शहर के लिए एक बड़ी सौगात होगी.
प्रसूति विंग और नवजातों की विंग हैं अलग-अलग
बता दें कि अभी सुल्तानिया अस्पताल में प्रसूति विभाग है और शिशु विभाग हमीदिया अस्पताल में है, जिसके कारण यदि किसी नवजात बच्चे को स्वास्थ्य सम्बंधी परेशानी होती है तो उसे सुल्तानिया अस्पताल से हमीदिया अस्पताल शिफ्ट करना पड़ता है, लेकिन यदि जीएमसी के परिसर में ही दोनों विभाग बन जाते हैं, तो इससे यह समस्या खत्म हो जाएगी. सुल्तानिया में पलंग क्षमता 180 से बढ़ाकर 300 करने की प्लानिंग भी चल रही है.
अव्यवस्थाओं को देखकर नाराज हुए मंत्री
शिक्षा मंत्री हमीदिया अस्पताल की ओपीडी में भी निरीक्षण करने पहुंचे थे, जहां कैजुअल्टी रजिस्ट्रेशन काउंटर पर अव्यवस्थाओं को देखकर उन्होंने नाराजगी जताई, जिसके लिए अधीक्षक डॉ. आईडी चौरसिया को शो कॉज नोटिस भी दिया गया है. इसके अलावा चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने लाइब्रेरी के टाइमिंग को बढ़ाने और स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के रेनोवेशन के निर्देश भी दिए हैं.
कांग्रेस की रणनीति है, यह एक प्रायोजित आंदोलन
किसान आंदोलन को लेकर कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, बीजेपी सरकार किसानों के पक्ष में है, किसानों के हित के लिए कृषि संशोधन बिल लाया गया है. कांग्रेस की आदि-अनादि काल से वर्ग संघर्ष करवा कर राजनीति करने की रीति-नीति रही है, क्योंकि ये अंग्रेजों की पार्टी है औरअंग्रेजों द्वारा चलाई गई पार्टी में फूट डालो राज करो की नीति के हिसाब से राजनीति होगी ही, इसलिए कंफ्यूजन पैदा कर किसानों को बरगलाने की कोशिश की जा रही है, यह आंदोलन पूरी तरह से प्रायोजित है, इसमें किसान नहीं है केवल चंद किसान नेता ही है.
मध्यप्रदेश के किसान रवाना
मध्य प्रदेश से भी अब किसानों के समूह किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए जा रहे हैं इस बारे में कैबिनेट मंत्री का कहना है कि देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर किसानों से बात कर रहे हैं और इस मसले को सुलझाया जा रहा है, इस बारे में अभी कुछ भी ज्यादा कहना उचित नहीं होगा.
कृषि संसोधन बिलों के खिलाफ किसानों की मांग
बता दें कि जब से कृषि से सम्बंधित तीन कृषि सुधार बिल, कृषक उपज वाणिज्य और व्यापार (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, आवश्यक वस्तु (संसोधन) विधेयक 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा विधेयक 2020 लाये गए हैं तब से ही किसान और खास तौर पर पंजाब-हरियाणा के किसान इनका विरोध कर रहे हैं और अब इस मांग ने एक बड़े आंदोलन का रूप ले लिया है, जिसमें हजारों की संख्या में किसान अपनी मांग को मनवाने के लिए दिल्ली की ओर कूच कर चुके हैं. मध्यप्रदेश के किसान भी छह माह का राशन लेकर दिल्ली रवाना हुए हैं.