भोपाल। मध्य प्रदेश की आधी आबादी की जिंदगी में जल जीवन मिशन ने बड़ा बदलाव लाने का काम किया है, क्योंकि राज्य के 3100 से ज्यादा गांव के घर-घर तक पानी पहुंचने लगा है, देश के हर हिस्से की तरह मध्य प्रदेश के भी ग्रामीण अंचल में जल प्राप्ति के साधन के रूप में नदी, तालाब, कुआं और बाबड़ी ही रहे हैं.
ग्रामीणों को नल कनेक्शन से मिल रहा जल
वक्त का पहिया घूमने के साथ धीरे-धीरे हैण्डपम्प और ट्यूबवेल का प्रचलन बढ़ा, इससे हमारी आधी-आबादी (महिला वर्ग) के परिश्रम में कुछ कमी तो आई, लेकिन उन्हें पेयजल की कठिनाई और समस्या से पूरी तरह मुक्ति नहीं मिल सकी, अब जल जीवन मिशन ग्रामीण आबादी को नल से जल देकर उनके जीवन में बदलाव ला रहा है, राज्य में जून 2020 से गांव के हर घर में नल कनेक्शन से जल उपलब्ध करवाने का सिलसिला प्रारम्भ हुआ, अब सभी जिलों की ग्रामीण आबादी को नल कनेक्शन से जल मुहैय्या करवाने का कार्य जारी हैं.
आंगनबाड़ी केंद्रों में भी मिला योजना का लाभ
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा ग्रामीण आबादी के घरों में नल से जल देने की व्यवस्था सहित स्कूल और आंगनबाड़ियों में भी पेयजल के लिए नल कनेक्शन दिए जा रहे हैं, इस मिशन का लक्ष्य, प्रत्येक ग्रामीण परिवार, आंगनबाड़ी और स्कूल में गुणवत्तापूर्ण और पर्याप्त जल की आपूर्ति करना है.
जल जीवन मिशन के तहत 3193 गांवों में दिया गया नल कनेक्शन
जल जीवन मिशन में प्रदेश के 3193 ग्रामों के प्रत्येक घर में नल कनेक्शन से प्रतिदिन जल दिए जाने की सुचारू व्यवस्था हो चुकी है, इसी कड़ी में प्रदेश की 24 हजार आंगनबाड़ियों और 41 हजार स्कूलों में बेहतर ढ़ग से पेयजल की व्यवस्था की जा चुकी है, शेष रहे ग्रामीण परिवारों सहित आंगनबाड़ियों और स्कूलों में भी नल से जलापूर्ति के कार्य निरन्तर जारी हैं.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी राज्य-मंत्री बृजेन्द्र सिंह यादव का मानना है कि धरातल पर उतरी योजनाओं के लाभ से ही जन-विश्वास कायम होता है, जब आमजन की मानसिकता यह बने कि सरकार उसकी अपनी है, तब ही माना जाय कि माप की कसौटी पर सरकार खरी उतरी है.
'जल जीवन मिशन समिति' का किया गया पुनर्गठन, ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता के लिए करेगी काम
जिला जल और स्वच्छता मिशन का गठन
प्रदेश में जल जीवन मिशन के संचालन के लिये मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य जल और स्वच्छता मिशन और कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला जल और स्वच्छता मिशन का गठन किया गया है, साथ ही ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति का गठन भी किया जायेगा, योजना में निर्माण लागत की 10 प्रतिशत जन-भागीदारी होगी, ग्रामीणों से जन-भागीदारी श्रम, सामग्री और नगद राशि के रूप में ली जा सकेगी. अनुसूचित जाति एवं जनजाति बहुल ग्रामों में जन-भागीदारी पांच प्रतिशत होगी.
आईएएनएस